रांची: हाउसिंग लोन देने वाली एक कंपनी से रामगढ़ के एक दंपती ने 27 लाख रुपये की ठगी की है. अब इस दंपती का कोई अता-पता नहीं चल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि जिस जमीन के कागजात के आधार पर लोन दिये गये, उसके तमाम दस्तावेज जांच में सही पाये गये थे. लोन लेने के बाद रामगढ़ का यह दंपती फरार है.
लोन देने वाली दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के मैनेजर ने राजधानी रांची स्थित लालपुर थाना में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है. मैनेजर अरुण कुमार ने अपनी शिकायत में कहा है कि रामगढ़ के रहने वाले सुजीत कुमार प्रजापति और उनकी पत्नी डहरी देवी ने जमीन के दस्तावेज के आधार पर 27 लाख रुपये का होम लोन लिया. इसके लिए उन्होंने रसीद, करेक्शन स्लिप समेत कई प्रमाण जमा किये थे. जांच में ये सभी दस्तावेज सही पाये गये.
इसे भी पढ़ें : EXIT POLL पर बोले सरयू राय : कई भ्रम टूट गये, सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा, कांग्रेस के लिए जनता में अविश्वास
सुजीत कुमार ने कहा कि सुजीत और उसकी पत्नी लोन लेने के लिए उनके कार्यालय आये थे. उन्होंने रामगढ़ के मुर्रमकला मौजा की चार डिसमिल जमीन के दस्तावेज पेश किये.दस्तावेजों की जांच करने के बाद उन्हें 6 अक्तूबर, 2017 को 27 लाख रुपये का लोन दे दिया गया.
नवंबर में कंपनी को जानकारी मिली कि सुजीत कुमार प्रजापति ने उसी जमीन के दस्तावेज के आधार पर कई बैंकों से लोन ले रखे हैं. इसके बाद जब कंपनी ने कागजातों की जांच करायी, तो सभी दस्तावेज जाली निकले. कंपनी के प्रतिनिधियों ने संबंधित जमीन का निरीक्षण किया, तो पता चला कि उक्त जमीन का मालिक कोई और ही है.
इसे भी पढ़ें : झारखंड विधानसभा में सरकार की फजीहत, विपक्ष के संशोधन को सत्ता पक्ष के विधायकों का समर्थन मिला
सुजीत प्रजापति ने अपने घर और कार्यालय का जो पता दिया था, उस पते की जांच कीगयी, तो वहां कोई दूसरा व्यक्ति मिला. इसके बाद जांच करने पहुंचे अधिकारियों के होश उड़ गये. वकील से भी तमाम कागजातों की जांच करवायी,तो सब कुछ फर्जी निकला. इसके बाद अरुण कुमार लालपुर थाना पहुंचे और और मामला दर्ज कराया. पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है.
हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के के मैनेजर ने बताया कि उन्होंने लोन देने से पहले सुजीत कुमार प्रजापति के दस्तावेज की जांच एक कंपनी से करवायी थी. जांच करवाने वाले दीपक कुमार को भी इस मामलेमें अभियुक्त बनाया गया है, क्योंकि कंपनी ने जांच के बाद कंपनी ने सुजीत के तमाम दस्तावेजों को सही बताया था. यहां तक कि उसके पते को भी सही बताया. दोबारा जांच कराने पर सुजीत के साथ एजेंसी की मिलीभगत सामने आयी है.