देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद जहां इस पर राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ी हुई है, वहीं दूसरी तरफ जहरीली हवा की मार देश के कई दूसरे शहरों में भी पड़ रही है, जिससे झारखंड की राजधानी रांची भी अछूती नहीं है.
कभी अपनी हरियाली और स्वच्छ आबोहवा की वजह से अविभाजित बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही रांची भी विकास की दौड़ में प्रदूषण की मार झेलती नजर आ रही है.
रांची शहर के वातावरण में सूक्ष्म धूलकणों (पार्टिकल मैटर) पीएम 10 की मौजूदगी अधिकतम सीमा से डेढ़ गुणा ज्यादा दर्ज की गयी है.
बात करें बीते नवंबर महीने की, तो इस दौरान रांची की हवा में पीएम 10 की मात्रा 138-158 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही.
नवंबर महीने में रांची के प्रमुख चौराहे, अल्बर्ट एक्का चौक पर दिन भर (24 घंटे) की अलग-अलग तीन पालियों में प्रदूषण की जांच की गयी.
जांच करने पर हर पाली में पीएम 10 की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक दर्ज की गयी. सूक्ष्म धूल कण की मात्रा सुबह के समय 120 से 126, शाम के समय 130 से 138 और रात के समय 158 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गयी.
वहीं, दिसंबर महीने में भी अधिक नमी की वजह से वायु में प्रदूषण का स्तर सामान्य से अधिक दर्ज होने की संभावना जतायी जा रही है.
यहांयह जानना गौरतलब है कि हवा में पीएम 10 की मात्रा 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा होनेकी स्थिति स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है.
जाहिर है कि इस आलम में अस्पतालों में सांस, अस्थमा, एलर्जीआदि रोगों के मरीजों की संख्या बढ़रही है. गौरतलब है कि रांची में दीपावली पर हवा में सूक्ष्म धूल कण की मात्रा 185 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज की गयी थी.
बात करें देश की राजधानी दिल्ली की, तो वहां प्रदूषण का औसत स्तर 225 से 250 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि हमारी रांची भी बढ़ते प्रदूषण की उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.