रांची, अभिषेक रॉय : ड्रोन का इस्तेमाल बड़े सभा स्थल व शादी समारोह के अलावा विधि व्यवस्था पर पैनी नजर रखने के लिए किया जाता है. यह छोटा सा यंत्र कई व्यक्तियों के बदले अकेले काम करता है. तकनीक के विस्तार के साथ इसकी उपयोगिता भी बढ़ी है. डिफेंस और इंडस्ट्री सेक्टर में भी ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है. यहीं कारण है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी से 100 से अधिक ड्रोन के मॉडल तैयार किये गये हैं. यह अब स्किल कोर्स का हिस्सा बन चुका है. सरकारी और गैर-सरकारी शैक्षणिक संस्थानों ने इस कोर्स को लांच कर दिया है. 10वीं और 12वीं पास विद्यार्थी इस कोर्स से जुड़ रहे हैं. स्किल कोर्स होने की वजह से रोजगार के अवसर भी तैयार हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2023 के अंत तक देशभर में एक लाख ड्रोन पायलट तैयार करने की बात कही है. जिससे कि देश को ग्लोबल ड्रोन हब बनाने का लक्ष्य पूरा हो सके.
झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम के मेंटेनेंस इंजीनियर कमल कांत ने बताया कि ड्रोन टेक्नोलॉजी कोर्स को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर तकनीक में बांटा गया है. हार्डवेयर सेक्शन में ड्रोन को उड़ने की क्षमता देने वाले हाई स्पीड मोटर से परिचय कराया जा रहा है. इस मोटर को तकनीकी भाषा में ब्रशलेस मोटर या ब्रशड मोटर नाम दिया गया है. यह 10 हजार से 50 हजार आरपीएम (रिवॉल्यूशन पर मिनट) की क्षमता से घूमता है. इससे ड्रोन उड़ने में सक्षम होता है. इनमें मुख्य रूप से क्वाड कॉप्टर – चार मोटर युक्त, हेक्सा कॉप्टर – छह मोटर युक्त और एयर क्राफ्ट – सिंगल मोटर शामिल है. इसके अलावा विद्यार्थियों को अन्य हिस्सों जैसे बैटरी (लिथियम पॉलिमर बैटरी), वायरलेस कंट्रोलर, सॉफ्टवेयर एंड प्रोग्रामिंग, जेस्चर कंट्रोल की जानकारी दी जा रही है. इससे विद्यार्थियों को यह विषय रुचिकर लग रहा है.
अब तक ड्रोन के 100 से अधिक मॉडल तैयार किये जा चुके हैं. इनका इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है. इनमें मुख्य रूप से 20 ड्रोन- एग्री ड्रोन, हाइब्रीड, वीडियोग्राफी, मैपिंग एंड सर्वे, सर्विलांस ड्रोन, सोलर पैनल क्लिनिंग ड्रोन, सीड ड्रॉपिंग ड्रोन, लाउडस्पीकर ड्रोन, फायर फाइटिंग ड्रोन, सर्विलांस एंड मैपिंग, इंडस्ट्री, स्ट्रिंगिंग ड्रोन, माइनिंग एंड टर्नल इंस्पेक्शन ड्रोन, पाइप लाइन इंस्पेक्शन एंड गैस लीक डिटेक्शन ड्रोन, पॉल्यूशन कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग ड्रोन, वेयरहाउस मैनेजमेंट, आइपीपीओ-डिलिवरी व ड्रोन टैक्सी एंड मेडिकल एंबुलेंस ड्रोन के बारे में बताया जा रहा है.
का हो रहा इस्तेमाल
केंद्र सरकार ने 2023 तक देशभर में एक लाख ड्रोन पायलट तैयार करने की बात कही है. यह वैसे अभ्यर्थी होंगे, जिन्हें ड्रोन उड़ाने से लेकर इसके निर्माण और विकसित करने की तकनीकी जानकारी होगी. ड्रोन टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण लेकर अभ्यर्थी मेडिकल, एग्रीकल्चरल, पंचायतीराज, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, आवास और शहरी मामले, खनन, परिवहन, बिजली, पेट्रोलियम और गैस, पर्यावरण और सूचना-प्रसारण जैसे क्षेत्र में रोजगार से जुड़ सकेंगे. सरकार ने इन क्षेत्रों में ड्रोन का इस्तेमाल करने की अनुमति दी है.
Also Read: Suicide Case in Dhanbad: बच्चे का शव घर में रख पिता-पुत्री जहर खरीदने गये थे बाजार
लेना होगा लाइसेंस
ड्रोन पायलट के तौर पर प्रशिक्षित होने वाले अभ्यर्थियों को इसे उड़ाने का लाइसेंस भी लेना होगा. ड्रोन लाइसेंस की अनुमति भारत सरकार के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की ओर से दी जाती है. इसके लिए वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर आवेदन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. यह लाइसेंस उन्हें ही मिलेगा, जिन्होंने ड्रोन टेक्नोलॉजी कोर्स और प्रशिक्षण पूरा किया है. ड्रोन पायलट के आवेदन के बाद अभ्यर्थियों को लिखित व प्रैक्टिकल परीक्षा भी देनी होगी. इसके बाद ही डीजीसीए विभाग की ओर से लाइसेंस निर्गत किया जायेगा.
झारखंड गवर्नमेंट टूल रूम के आइटी स्किल इंस्ट्रक्टर कुमार अविनाश ने कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी कोर्स समय की मांग को देखते हुए तैयार किया गया है. इस क्षेत्र में बेहतर रोजगार के अवसर भी हैं. रांची में फिलहाल ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सिक्योरिटी सर्विलेंस के लिए किया जा रहा है. वहीं, एग्रीकल्चर के क्षेत्र में पेस्टीसाइड के छिड़काव में भी हो रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त युवा ड्रोन पायलट बन इस क्षेत्र में फ्रीलांसिंग कर बेहतर रोजगार कर सकते हैं.
देश के 10 राज्यों में 18 ड्रोन पायलट ट्रेनिंग स्कूल खोले गये हैं. झारखंड के जमशेदपुर में एक, यूपी के अलीगढ़ में धनीपुर हवाई पट्टी पर दो, हरियाणा के गुरुग्राम में दो और बहादुरगढ़ में एक, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक, गुजरात के अहमदाबाद में एक, हिमाचल प्रदेश के शाहपुर में एक, कर्नाटक के बेंगलुरु में एक, महाराष्ट्र के पुणे में दो, मुंबई में एक व बारामती में एक केंद्र खोला गया है. इसके अलावा सिकंदराबाद, हैदराबाद व चेन्नई में ड्रोन पायलट ट्रेनिंग स्कूल संचालित है.
टूल रूम टाटीसिलवे
अप्रैल से शॉर्ट टर्म कोर्स में नामांकन की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. 10वीं और 12वीं पासआउट विद्यार्थी आवेदन कर सकेंगे. 30 विद्यार्थियों का चयन होगा, जिन्हें सर्टिफिकेट कोर्स से जोड़ा जायेगा. सफल होने के बाद विद्यार्थी डिप्लोमा व डिग्री कोर्स से भी जुड़ सकेंगे.
यहां जुलाई 2022 से शॉर्ट टर्म कोर्स चल रहा है. पहले बैच में 16 विद्यार्थियों को 40 घंटे का कोर्स कराया गया. कोर्स के तहत भू-सूचना विज्ञान, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), विभिन्न प्रकार के ड्रोन, घटकों और सिमुलेटर की जानकारी दी गयी. संस्था के डॉ सतीश कुमार ने बताया कि ड्रोन टेक्नोलॉजी की मांग बढ़ी है. रही है. अप्रैल-मई में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी.
नेशनल स्किल एंड एनवायरमेंट प्रोटेक्शन फाउंडेशन (एनएसइपीएफ) के नीतेश मिश्र ने बताया कि स्किल इंडिया के तहत राज्य में ड्रोन पायलट परियोजना शुरू की गयी है. 12 फरवरी को शुरू हुए पहले बैच से 11 विद्यार्थी जोड़े गये हैं. इन्हें रांची में ट्रेनिंग देने के साथ-साथ चेन्नई के ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री से जोड़ा जायेगा. अगला बैच मार्च में शुरू होगा. इच्छुक विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं.
संस्था के सर्टिफिकेट कोर्स जियो इंफॉर्मेटिक्स के तहत विद्यार्थियों को ड्रोन तकनीक से जोड़ा जायेगा. प्रो प्रकाश दास ने बताया कि कोर्स की रूपरेखा तैयार कर ली गयी है. नये सत्र में संभवत: ड्रोन टेक्नोलॉजी को कोर्स में शामिल किया जायेगा.
-
नैनो ड्रोन : वजन 250 ग्राम या इससे कम.
-
माइक्रो ड्रोन : वजन दो किलोग्राम तक.
-
स्मॉल ड्रोन : वजन 25 किलोग्राम तक.
-
मीडियम ड्रोन : वजन 150 किलोग्राम तक.
-
लार्ज ड्रोन : वजन 150 किलोग्राम से अधिक.