झारखंड : रांची जिले में दारोगा के 432 और जमादार के 234 पद खाली

अमन तिवारी रांची : रांची जिले में दारोगा के 602 और जमादार के 693 पद स्वीकृत हैं. इनमें से दारोगा के 432 और जमादार के 234 पद खाली हैं. वर्तमान में यहां 170 दारोगा और 432 जमादार कार्यरत हैं. इससे अनुसंधान में दिक्कत आ रही है. वहीं इंस्पेक्टर के 37 पद स्वीकृत हैं जबकि कार्यरत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2017 8:28 AM
अमन तिवारी
रांची : रांची जिले में दारोगा के 602 और जमादार के 693 पद स्वीकृत हैं. इनमें से दारोगा के 432 और जमादार के 234 पद खाली हैं. वर्तमान में यहां 170 दारोगा और 432 जमादार कार्यरत हैं.
इससे अनुसंधान में दिक्कत आ रही है. वहीं इंस्पेक्टर के 37 पद स्वीकृत हैं जबकि कार्यरत 38 हैं. इस बात की पुष्टि पुलिस विभाग से मिले आंकड़े से होती है. तैयार आंकड़ों में कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आये हैं. पीसीआर में जमादार और दारोगा का कोई पद स्वीकृत नहीं है, लेकिन पीसीआर में एक दारोगा और 83 जमादार कार्यरत हैं. गृह विभाग में जमादार का कोई पद पहले से सृजित नहीं है, लेकिन वहां वर्तमान में पांच जमादार हैं.
इसी तरह सदर कोर्ट में दारोगा और जमादार का कोई पद स्वीकृत नहीं है, लेकिन वहां वर्तमान में नौ दारोगा और पांच जमादार काम करते हैं. इसी प्रकार शक्ति कमांडो में दारोगा और जमादार का कोई पद सृजित नहीं है, लेकिन वहां चार दारोगा और चार जमादार पदस्थापित हैं. पुलिस लाइन में दारोगा या जमादार का कोई स्वीकृत पद नहीं है, लेकिन लाइन में वर्तमान में 24 दारोगा और 33 जमादार हैं.
एक ओर जहां रांची जिले में क्राइम कंट्रोल और केस के अनुसंधान के लिए पर्याप्त संख्या में दारोगा और जमादार नहीं हैं, वहीं दूसरीओर उपलब्ध बल की संख्या में कटौती कर उन्हें दूसरे स्थान पर तैनात कर दिया गया है. इसका सीधा असर केस के अनुसंधान पर पड़ रहा है. एक पुलिस अधिकारी के अनुसार राजधानी के एक थाना में हत्या के आठ मामले पहले से लंबित हैं. जब उनसे बैठक में सीनियर अधिकारियों ने पूछा कि केस क्यों लंबित है. तब उन्होंने कहा था कि दो केस उनके कार्यकाल का है. छह केस पहले के हैं. रोजाना के काम और थानों में अफसरों की कमी के कारण केस को देखने का समय नहीं मिल पाता है.
रांची जिले में प्रतिमाह दर्ज होते हैं 600 से अधिक केस
पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार रांची जिले में प्रतिमाह 600 से अधिक केस दर्ज होते हैं. अक्तूबर माह में रांची जिले में विभिन्न आपराधिक घटनाओं को लेकर 636 मामले दर्ज हुए थे. वहीं सितंबर में 662 मामले दर्ज किये गये थे. आइटी एक्ट के केस को छोड़ दें, तो अधिकांश केस का अनुसंधान जमादार रैंक के पुलिस अधिकारी करते हैं. रांची में वर्तमान में दारोगा और जमादार की संख्या 602 है.
170 में से करीब 70 दारोगा रोजाना विधि-व्यवस्था के काम में लगे रहते हैं. वहीं 432 जमादार में करीब 150 विधि-व्यवस्था के दूसरे काम में व्यस्त रहते हैं. इस कारण केस का अनुसंधान प्रभावित होता है. 72 घंटे के अंदर किसी महत्वपूर्ण घटना के खुलासा के लिए सौंपी गयी जिम्मेदारी भी पूरी नहीं हो पाती है.
अनुसंधान व क्राइम कंट्रोल का काम नहीं बंट सका
थानों में दर्ज होनेवाले केस की क्वालिटी अनुसंधान हो और क्राइम कंट्रोल का काम बेहतर तरीके से किया जा सके, इसके लिए क्राइम कंट्रोल व अनुसंधान के काम को अलग-अलग करने की योजना थी. यह काम पिछले कई महीनों से लंबित है. राजधानी में कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें गंभीर प्रवृत्ति के केस की जांच भी दारोगा की कमी के कारण जमादार रैंक के अफसर कर रहे हैं.

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