रांची : झारखंड में गंगा के किनारे बसे सभी 78 गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाकर लगभग 45,000 परिवारों के जीवन स्तर में सुधार का लक्ष्य करीब डेढ़ साल पहले सरकार ने तय किया था. तय हुआ था कि इन गांवों में बेहतर स्वच्छता के लिए प्रभावी ढंग से प्रबंधन, सुधार और सुविधाएं स्थापित की जायेंगी. स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जायेगा, ताकि गंगा किनारे बसे इन गांवों के लोगों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन आये.
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गंगा को पुनर्जीवन देने के लिए एक मॉडल के रूप में यह कार्यक्रम झारखंड में विकसित किया जा रहा है. गंगा की सफाई के अभियान ‘नमामि गंगे’ के हिस्सा के तौर पर केंद्र सरकारशनिवारको ‘गंगा ग्राम योजना’ का औपचारिक शुभारंभ करेगी. इसका उद्देश्य गंगा के तट पर स्थित गांवों का पूरी तरह स्वच्छ करना है.
अगस्त में केंद्र ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के गंगा के तट पर स्थित सभी 4,470 गांवों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया था. इन गांवों में से केंद्र और राज्य सरकारों ने 24 गांवों की पहचान की है, जिन्हें गंगा ग्राम बनाने के लिए पायलट परियोजना के तहत लिया जायेगा.
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परियोजना की शुरुआत नयी दिल्ली में ‘गंगा ग्राम स्वच्छता सम्मेलन’ में होगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता पेयजल तथा स्वच्छता मंत्री उमा भारती करेंगी. इसमें जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर शामिल होंगे.
चुने गयेये 24 गांवों को 31 दिसंबर, 2017 तकसंपूर्णविकास काअभियान चलाकर ‘गंगा ग्राम’ में तब्दील किया जायेगा. अभियान के तहत ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन, तालाबों के पुनरोद्धार और जल संसाधन, जल संरक्षण परियोजनाओं, जैविक खेती, फूलों की खेती और औषधीय वनस्पतियों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जायेगा.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड सरकार ने यूएनडीपी के सहयोग से साहेबगंज जिले के 78 गांवों का चयन किया था. ‘गंगा ग्राम’ योजना की सफलता के आधार पर गंगा किनारे बसे अन्य गांवों में भी इन योजनाओं को लागू कर उन्हें भी संपूर्ण स्वच्छ बनाया जायेगा, ताकि गंगा गंदी न रहे.