वाह झारखंड मोमेंटम! तीन करोड़ में बनीं प्रेस रिलीज

सुनील चौधरी रांची : इस साल फरवरी में आयोजित मोमेंटम झारखंड के प्रचार-प्रसार से संबंधित प्रेस रिलीज बनाने का काम बिना किसी टेंडर के एड फैक्टर को तीन करोड़ में दे दिया गया था. दिलचस्प बात यह है कि प्रेस रिलीज बनाने का काम पहले से ही सरकार के नॉलेज पार्टनर अर्नेस्ट एंड यंग की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2017 6:35 AM
सुनील चौधरी
रांची : इस साल फरवरी में आयोजित मोमेंटम झारखंड के प्रचार-प्रसार से संबंधित प्रेस रिलीज बनाने का काम बिना किसी टेंडर के एड फैक्टर को तीन करोड़ में दे दिया गया था. दिलचस्प बात यह है कि प्रेस रिलीज बनाने का काम पहले से ही सरकार के नॉलेज पार्टनर अर्नेस्ट एंड यंग की ओर से किया जा रहा था.
इसी काम के लिए सरकार का अपना सूचना एवं जनसंपर्क विभाग भी है. एड फैक्टर को इसका काम देने के बाद भी मोमेंटम झारखंड के दौरान सारी प्रेस रिलीज सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से ही जारी किया जा रहा था. अब सवाल उठ रहे हैं कि फिर एड फैक्टर को काम कैसे दिया गया.
एक साल के लिए रखा गया था : एड फैक्टर को काम देने को लेकर सरकार की ओर से कहा गया कि कंपनी को रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के तहत रखा गया है. आरएफपी का मतलब हुआ कि कंपनी ने सरकार के सामने इस काम को करने का प्रपोजल रखा. गुजारिश की कि यह काम उसे दे दी जाये और सरकार ने उसे काम दे दिया.
इस काम के लिए न ही कोई टेंडर निकाला गया और न ही दूसरी प्रक्रिया अपनायी गयी. बिना किसी प्रक्रिया के तय किया गया कि कंपनी सरकार के लिए एक साल तक काम करेगी. इसके बदले कंपनी को तीन करोड़ रुपये दिये जायेंगे. कंपनी कम्यूनिकेशन पार्टनर के रूप में काम करेगी.
भुगतान लेकर गायब हो गये कंपनी के लोग
तीन करोड़ के बदले एड फैक्टर ने तीन लोगों को नेपाल हाउस स्थित उद्योग विभाग के कार्यालय में बैठा दिया. ये लोग अर्नेस्ट एंड यंग या उद्योग विभाग के अधिकारियों से प्रेस रिलीज तैयार करवाते और उसे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को भेज देते. मोमेंटम झारखंड के दौरान जितने भी वक्ता आये, उसका रिलीज सूचना एवं जनसंपर्क की ओर से जारी किया गया.
बेंगलुरु में रोड शो के दौरान प्रारंभ में कहीं प्रचार-प्रसार नहीं किया गया. इसे लेकर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव ने नाराजगी भी जतायी थी. तब आनन-फानन में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने बेंगलुरु की एजेंसी से संपर्क कर होर्डिंग लगवाये. कंपनी के काम से उद्योग विभाग के अधिकारी भी नाराज थे. इस कारण कंपनी के भुगतान पर रोक लगा दी गयी. हालांकि बाद में दबाव पड़ने के बाद भुगतान कर दिया गया और इसके बाद कंपनी के लोग गायब हो गये.

Next Article

Exit mobile version