माओवादियों के हथियार विशेषज्ञ बूढ़ा पहाड़ पर जुटे, जानिए इनके ”कोड वर्ड”
!!प्रणव!! रांची : एक ओर पुलिस नक्सल मुक्त झारखंड की कवायद में जुटी है, वहीं दूसरी आेर भाकपा माओवादी संगठन अपने हथियार विशेषज्ञों की टीम काे बूढ़ा पहाड़ पर एकत्र कर रही है. केंद्रीय स्तर का हथियार विशेषज्ञ संतोष उर्फ विश्वनाथ बूढ़ा पहाड़ पर है. साथ में जोनल कमांडर स्तर की इसकी पत्नी पूनम भी […]
!!प्रणव!!
रांची : एक ओर पुलिस नक्सल मुक्त झारखंड की कवायद में जुटी है, वहीं दूसरी आेर भाकपा माओवादी संगठन अपने हथियार विशेषज्ञों की टीम काे बूढ़ा पहाड़ पर एकत्र कर रही है. केंद्रीय स्तर का हथियार विशेषज्ञ संतोष उर्फ विश्वनाथ बूढ़ा पहाड़ पर है. साथ में जोनल कमांडर स्तर की इसकी पत्नी पूनम भी इसके साथ है.
दोनों माओवादियों के केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ रुपये के इनामी सुधाकर उर्फ सुधाकरण दस्ते के साथ हैं. आंध्र प्रदेश का रहनेवाला संतोष देखने में काला है. इसके चेहरे पर चेचक का दाग है. यह लाठी लेकर चलता है.
यह हथियार बनाने के अलावा, मोर्टार का गोला के अलावा तीर में गोला जो बंदूक में फिट होता है, उसे बनाता है. पिछले दिनों चाईबासा में पकड़े गये संदीप दा उर्फ मोतीलाल सोरेन ने पुलिस की पूछताछ में यह खुलासा किया है. उसने बताया है कि सैक सदस्य चमन उर्फ लंबू बंदूक का कुंदा बनाता है. साथ ही बारूदी सुरंग बनाने में भी उसे महारथ हासिल है. इसी तरह रिजनल कमेटी सदस्य मेहनत उर्फ मोछू हथियार बनाने और मरम्मत के अलावा बारूदी सुरंग भी तैयार करवाता है.
उक्त विशेषज्ञों के एक जगह पर जुटान से ऐसा प्रतीत होता है कि माओवादी संगठन खत्म हो रहे अपने जनाधार को वापस पाने के लिए किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं. हालांकि फिलवक्त झारखंड पुलिस बूढ़ा पहाड़ को चारों ओर से घेरे हुए हैं.
सहदेव सोरेन व अजय महतो के जरिये आते हैं हथियार और गोली
हार्डकोर नक्सली सहदेव सोरेन उर्फ अमलेश और पारसनाथ के अजय महतो के माध्यम से भाकपा माओवादी संगठन के पास हथियार और गोली आता है. वहीं किशन दा भाष्कर बनर्जी के माध्यम से कोलकाता से वॉकी-टॉकी मंगवाता है.
हार्डकोर नक्सली सहदेव सोरेन उर्फ अमलेश और पारसनाथ के अजय महतो के माध्यम से भाकपा माओवादी संगठन के पास हथियार और गोली आता है. वहीं किशन दा भाष्कर बनर्जी के माध्यम से कोलकाता से वॉकी-टॉकी मंगवाता है.
हथियार काे डंडा और पुलिस को ईंट बोलते हैं माओवादी
पुलिस की पूछताछ में संदीप दा ने यह भी बताया है कि माओवादी संगठन में कोडवर्ड में अधिकतर काम होता है. जैसे हथियार को डंडा, गोली को कैप्सूल, लैंड माइन को कोहरा और पुलिस को ईंटा बोला जाता है.