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झारखंड : चारा घोटाला मामले में 21 साल बाद लालू सहित 16 की सजा पर फैसला आज

रांची : चारा घोटाले में देवघर कोषागार (आरसी 64ए/96) से 89 लाख रुपये के फर्जीवाड़ा मामले में 21 साल बाद बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट, रांची के जज शिवपाल सिंह फैसला सुनायेंगे. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद, पूर्व सांसदों आरके राणा और जगदीश शर्मा एवं आईएएस अधिकारियों सहित […]

रांची : चारा घोटाले में देवघर कोषागार (आरसी 64ए/96) से 89 लाख रुपये के फर्जीवाड़ा मामले में 21 साल बाद बुधवार को विशेष सीबीआई कोर्ट, रांची के जज शिवपाल सिंह फैसला सुनायेंगे. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद, पूर्व सांसदों आरके राणा और जगदीश शर्मा एवं आईएएस अधिकारियों सहित 16 दोषी हैं.
सभी को 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार देने के बाद अदालत ने न्यायिक हिरासत मेंबिरसा केंद्रीय कारा, होटवार भेज दिया था. धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार के आरोपों को कोर्ट ने सही मानते हुए लालू सहित 16 आरोपितों को दोषी माना था. फिलवक्त लालू को बिरसा केंद्रीय कारा में कैदी नंबर 3351 मिला हुआ है. जबकि आरसी 20ए/96 में सजा होने के बाद इन्हें कैदी नंबर 3312 मिला था.
उल्लेखनीय है कि पशुओं के लिए दवा, अस्पताल के लिए उपकरण खरीदने के लिए 4.7 लाख रुपये देवघर पशुपालन विभाग को आवंटित किया गया था. लेकिन घोटालेबाजों ने जाली कागजातों के सहारे 89 लाख रुपये से अधिक की सरकारी राशि की निकासी कर ली थी. सीबीआई की जांच में इस बात का खुलासा हुआ है.
एक नजर
-देवघर कोषागार से अवैध निकासी मई-जून 1991 से अगस्त 1994 के बीच हुआ
-निकासी की राशि 89 लाख रुपये से ज्यादा थी
-सीबीआई ने मामले में 15 मई, 1996 को दर्ज की थी प्राथमिकी
-जांच एजेंसी ने 27 अक्तूबर, 1997 और 25 अगस्त 2004 को चार्जशीट की
-आरोप गठन 29 मई, 2005
-कुल आरोपित : 38
-11 की हो चुकी मौत
-तीन बने सरकारी गवाह, एक की मौत
-ट्रायल के आरोपित : 22
-आरोपितों का बयान जुलाई, 2014 में हुआ था दर्ज
-सीबीआई की ओर से 160 गवाहों को किया गया पेश
-लालू की ओर से 16 गवाह किये गये पेश
-दो मामलों आरसी 64ए/96 और आरसी 20ए/96 में लालू ने सीबीआई जज बदलने की मांग हाईकोर्ट से की थी
-इनकी सजा पर होना है निर्णय
-लालू प्रसाद, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री
-जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद
-आरके राणा, पूर्व विधायक
-फूलचंद सिंह, पूर्व विकास आयुक्त
-बेक जुलियस, पूर्व पशुपालन सचिव, बिहार
-महेश प्रसाद, पूर्व पशुपालन सचिव, बिहार
-डॉ कृष्ण कुमार, पूर्व पशुपालन पदाधिकारी
-सुबीर भट्टाचार्य, पूर्व ट्रेजरी ऑफिसर
-त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-राजा राम जोशी, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-सुनील कुमार सिन्हा, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-सुशील कुमार सिन्हा, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-सुनील गांधी, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-संजय कुमार अग्रवाल, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-ज्योति कुमार झा, पूर्व आपूर्तिकर्ता
-गोपीनाथ दास, पूर्व आपूर्तिकर्ता
लालू से मिलने पहुंचे पूर्व मंत्री अब्दुल गफ्फुर व अन्य
रांची : चारा घोटाला के आरसी-64ए/96 मामले में जेल में बंद राजद सुप्रीमो व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से मिलने मंगलवार को भी कई नेता पहुंचे़ उनमें बिहार के पूर्व मंत्री डा अब्दुल गफ्फूर लालू से मिलने पहुंचे थे़
सुरक्षाबलों के हाथों उन्होंने सेव, अनार और अंगूर लालू के लिए भिजवाया़ उनके अलावा पूर्व विधायक उदय प्रकाश गोइल, प्रो मो. ताहिर, बिहार प्रदेश महासचिव प्रो खालिद, विजेन्द्र प्रसाद यादव, झारखंड के प्रदेश महासचिव अनिल सिंह आजाद तथा अब्दुल गफार, हेमंत वर्मा, जयकिशन यादव सहित अन्य नेता लालू से मिलने पहुंचे थे़ लेेकिन किसी को मिलने नहीं दिया गया़ इस दौरान अब्दुल गफ्फूर ने कहा कि राजद अध्यक्ष लालू यादव से जेल में नहीं मिलने देना फासिज्म की तरह है़ जेल में भाजपा के इशारे पर नए कानून बनाये जा रहे है़ इसका राजद जोरदार विरोध करेगा़ राजद को न्यायालय पर पूरा भरोसा है़
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मंगलवार को होटवार जेल में पार्टी का कोई भी नेता नहीं मिला़ जेल मैनुअल का हवाला देकर सुरक्षाबलों ने किसी भी नेता को लालू से मिलने नहीं दिया़
बिहार के पूर्व मंत्री डा अब्दुल गफ्फूर लालू से मिलने पहुंचे थे़ लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया़ इसके बाद सुरक्षाबलों के हाथों उन्होंने सेव, अनार और अंगूर लालू के लिए भिजवाया़ गौरतलब है कि लालू की सुरक्षा में रैप, जैप और जिला पुलिस के लगभग 250 सुरक्षाकर्मियों के अलावा जेल प्रशासन के जवान तैनात है. लालू का मंगलवार को जेल में स्वास्थ्य जांच पांच डॉक्टरों की टीम ने की जांच में शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्टबीट सब कुछ सामान्य पाया गया़
-सीबीआई व लालू के गवाह पर कार्रवाई का आदेश
रांची : सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने चारा घोटाले में देवघर के तत्कालीन उपायुक्त सुखदेव सिंह आैर बिहार के तत्कालीन डीजी विजिलेंस डीपी ओझा के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है. इन दोनों अधिकारियों को न्यायालय में पेश हो कर अपना पक्ष रखने काे कहा है.
इसके लिए 23 जनवरी की तिथि निर्धारित की है. साथ ही यह भी कहा है कि सीबीआइ ने गलत तरीक़े से शिव कुमार पटवारी और शैलेंद्र प्रसाद को एप्रूवर बनाया है, क्यों न इसे वापस किया जाये. न्यायाधीश ने 23 दिसंबर को फ़ैसला सुनाये जाने के बाद राजद नेता आैर पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की बयानबाज़ी के लिए नोटिस भेजने काे कहा है. काेर्ट ने इनके बयानाें काे सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 64ए/96 में मूल फ़ैसले से अलग एक पार्ट अॉर्डर किया है. इसमें सीबीआइ के गवाह सुखदेव सिंह का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा है कि 12 मार्च 1994 को शिवशंकर तिवारी ने एक रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी थी. इसमें 50 लाख के भुगतान का उल्लेख किया गया था.
उपायुक्त ने इस रिपोर्ट को सरकार के पास अग्रसारित कर दिया. खुद कोई कार्रवाई नहीं की. इससे यह प्रतीत होता है कि फ़र्ज़ी निकासी की जानकारी उन्हें थी और उन्हाेंने कार्रवाई नहीं की. लालू प्रसाद के गवाह बिहार के तत्कालीन डीजी विजिलेंस डीपी ओझा के सिलसिले में भी न्यायालय ने यह माना है कि उन्हें भी मामले की जानकारी थी.
उन्होंने भी कार्रवाई नहीं की. इसलिए दोनों अधिकारियों के खिलाफ अलग से न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए. अदालत ने मुख्य सचिव के माध्यम से इन अधिकारियों को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है. इन्हें 23 जनवरी को कोर्ट में अपना पक्ष पेश करने को कहा गया है आैर कहा है कि क्यों न उनके विरूद्ध भी घोटाले के इस मामले में कार्रवाई की जाये.
अदालत ने सरकारी गवाह शिवकुमार पटवारी और शैलेंद्र प्रसाद सिंह को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. अदालत का मानना है कि इन दोनों को सीबीआइ ने गलत तरीक़े से एप्रूवर बनाया. इसलिए एप्रूवर बनाने के आदेश को क्यों न वापस ले लिया जाये. अदालत ने सीबीआइ को इस कांड के मृत अभियुक्तों की चल-अचल संपत्ति ज़ब्त करने का निर्देश दिया है.
मिश्र सहित छह हो चुके हैं बरी
इस मामले में अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, अधीरचंद्र चौधरी, सरस्वती चंद्रा और साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भेज तेजप्रताप से मांगा जवाब
पटना : राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बड़े बेटे व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप से सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस भेजकर 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट के वकील वैभव मिश्रा ने चारा घोटाला मामले में फैसला आने के बाद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को जेल व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को बेल मिलने के बाद तेजप्रताप के उस बयान पर आपत्ति जतायी है जिसमें उन्होंने जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने के बाद कहा था कि लालू प्रसाद भी यदि मिश्रा होते तो उन्हें भी बेल मिल जाता. कोर्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए तेज प्रताप को नोटिस भेजा है.
नोटिस पर राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि तेज प्रताप ने ठीक कहा है. उन्होंने कहा कि लालू मिश्रा होते तो वह भी जेल नहीं जाते. हम किसी नोटिस की परवाह नहीं करते हैं. हम डरते नहीं है.सच बोलने से जेल भेजा जाता है तो हम जेल जाने के लिए भी तैयार हैं.
लालू समेत नौ के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट का आदेश
पटना. पटना में चल रहे पशुपालन घोटाले के मामले की सुनवाई मंगलवार को नहीं हो सकी. इसकी अगली सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी. अब इस मामले में किसी गवाह की गवाही नहीं हो सकेगी. क्योंकि अभियुक्त बनाये गये लालू प्रसाद समेत नौ लोग रांची में चल रहे मामले में दोषी करार होने के पश्चात सभी लोग जेल में बंद हैं. पटना में सीबीआई तीन के विशेष जज देवराज त्रिपाठी की अदालत में मंगलवार को जेल में बंद सभी अभियुक्तों की पैरवी नहीं होने के कारण मामले की सुनवाई बाधित रही. अदालत ने जिन अभियुक्तों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया है, उनमें लालू प्रसाद के अलावा आरके राणा, जगदीश शर्मा, बेगजुलियस, महेश प्रसाद, फुलचंद सिंह,टीएम प्रसाद ,सुनील कुमार सिन्हा व सुशील कुमार शामिल हैं.
विशेष अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के समय जेल में बंद अभियुक्तों के अधिवक्ताओं द्वारा जैसे ही अदालत में प्रोडक्शन के लिए आवेदन दिया, वैसे ही अदालत ने उपरोक्त सभी अभियुक्तों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट निर्गत करने का आदेश दिया.
ट्रायल के दौरान इन आरोपितों की हुई मौत
ट्रायल के दौरान आरोपितों में श्याम बिहारी सिन्हा, शेषमुनी राम, भोला राम तुफानी, चंद्रदेव प्रसद वर्मा, राजो सिंह, ब्रजभूषण प्रसाद, ओमप्रकाश गुप्ता, महेंद्र प्रसाद, के. अरुमुगम. इनके अलावा एक सरकारी गवाह राघवेंद्र किशोर दास की भी मौत हो चुकी है.

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