झारखंड : जांच रिपोर्ट और जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं : हाइकोर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को फर्जी नक्सली सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि जांच रिपोर्ट व जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं है. कोर्ट किसी गैर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2018 7:46 AM
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को फर्जी नक्सली सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने काे लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए माैखिक रूप से कहा कि जांच रिपोर्ट व जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं है. कोर्ट किसी गैर कानूनी कार्य की अनदेखी नहीं कर सकता है.
सरकार व प्रार्थी के जवाब को देखने से ऐसा लगता है कि कहीं कुछ गैरकानूनी हुआ है. खंडपीठ ने सरकार को पुन: जांच रिपोर्ट से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दाैरान सिटी एसपी अमन कुमार सशरीर उपस्थित थे. अगली सुनवाई के दाैरान भी उन्हें उपस्थित रहने को कहा गया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तिथि तय की गयी.
इससे पूर्व राज्य सरकार के विशेष अधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि मिनिस्ट्री अॉफ होम अफेयर्स, सीआरपीएफ व झारखंड पुलिस मिल-जुल कर नक्सलियों के विरुद्ध अभियान चलाती है. सीक्रेट अॉपरेशन चलाया जाता है. नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरेंडर पॉलिसी बनायी गयी है. नक्सलियों को सरेंडर कराया जाता है. 10 नक्सलियों को सरेंडर कराया गया. इसमें कहीं कोई गैरकानूनी नहीं है. 514 नक्सलियों के सरेंडर की जानकारी नहीं है. इसमें राज्य के पुलिस विभाग का उससे कुछ लेना-देना नहीं है.
जांच के दाैरान 130 लोगों का बयान दर्ज किया गया है. इसमें पुलिस पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है. दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट ने गलत किया है. जांच में यह बात साबित भी हुई है. इस मामले में दो चार्जशीट दायर की गयी है. ट्रायल भी चल रहा है. दोबारा जांच करना उचित नहीं होगा.
प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने सरकार की दलील का विरोध करते हुए पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में 514 फर्जी नक्सलियों के सरेंडर मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गयी है.

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