बाइबल का पुराना नियम आधार नया नियम उस पर बनी संरचना

रांची : मसीही धर्मसेवकों के लिए एक्शन मिनिस्ट्रीज की तीन दिवसीय ग्लोबल मॉड्यूल स्टडीज कार्यशाला मंगलवार को एसडीसी, पुरूलिया रोड में शुरू हुई़ इसमें मुख्य वक्ता सिस्टर ग्लोरिया टोप्पो ने बाइबल के पुराने नियम का परिचय दिया़ उन्होंने कहा कि इसमें परमेश्वर के प्रकटीकरण व उद्धार के लिए उसकी योजना की एक स्पष्ट समझ मिलेगी़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2018 8:49 AM
रांची : मसीही धर्मसेवकों के लिए एक्शन मिनिस्ट्रीज की तीन दिवसीय ग्लोबल मॉड्यूल स्टडीज कार्यशाला मंगलवार को एसडीसी, पुरूलिया रोड में शुरू हुई़ इसमें मुख्य वक्ता सिस्टर ग्लोरिया टोप्पो ने बाइबल के पुराने नियम का परिचय दिया़
उन्होंने कहा कि इसमें परमेश्वर के प्रकटीकरण व उद्धार के लिए उसकी योजना की एक स्पष्ट समझ मिलेगी़ अधिकतर लोग नया नियम पढ़ते हैं और इसके आगे नहीं बढ़ते़ जब पुराने नियम की बात आती है, तो ज्यादातर लोग कहानियां ही याद करते हैं. उन कहानियों पर केंद्रित होने की जगह उन पर मनन करना और दूसरों को इसका तात्पर्य बताना अधिक चुनौतीपूर्ण है़ बाइबल मेें लगभग 10,000 घटनाएं हैं और हर घटना के पीछे परमेश्वर हैं.
पुराने नियम का अध्ययन हमें बताता है कि परमेश्वर का लोगों के लिए क्या उद्देश्य है और इस संदर्भ में हम अपने जीवन में उसके उद्देश्य को समझे़ं उन्होंने कहा कि जब हम पुराना नियम व नया नियम शब्दावली का इस्तेमाल करते हैं, तो सर्वोत्तम यह है कि बाइबल को एक एकीकृत संपूर्ण पवित्र शास्त्र के रूप में देखें. इसमें परमेश्वर का पूर्ण, दिव्य, प्रगतिशील, उद्धार देने वाला प्रकाशन दो क्रमिक अवस्थाओं में है़ प्रत्येक लेख इसलिए अद्वितीय है, क्योंकि परमेश्वर ने उनके द्वारा सत्य को जीवित किया है़ पुराना नियम परमेश्वर के प्रकाशन के साथ शुरू होता है, जबकि नया नियम परमेश्वर के प्रकाशन के साथ समाप्त होता है़ पुराना नियम यीशु मसीह की पूर्व घोषणा आनेवाले मसीह के रूप में करता है, जबकि नया नियम यीशु मसीह को मसीहा के रूप में प्रस्तुत करता है़
पुराना नियम परमेश्वर के सिद्धांतों व सत्य का विवरण देता है, वहीं नया नियम परमेश्वर के सिद्धांतों व सत्य को पुन: स्थापित व सुदृढ़ करता है़ पुराना नियम आधार है, जबकि नया नियम उसके ऊपर बनी संरचना है़ पुरान नियम स्रोत है, तो नया नियम प्रवाहित नदी है़ कार्यशाला में कोऑर्डिनेटर पास्टर आलोक कच्छप सहित रांची, गुमला, बोकारो, रामगढ़, चंद्रपुरा के 25 धर्मसेवक शामिल हैं.

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