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ज्यां द्रेज का सरकार पर बड़ा आरोप : आधार सीडिंग का टार्गेट पूरा करने के लिए रद्द कर दिये जॉब कार्ड और राशन कार्ड

रांची : सामाजिक कार्यकर्ता और योजना आयोग के सदस्य रहे ज्यां द्रेज ने केंद्र और झारखंड सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. द्रेज ने कहा है कि ‘आधार’ सीडिंग का टार्गेट पूरा करने के लिए राज्यों के अधिकारी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) के तहत बने लोगों के जॉब कार्ड और राशन कार्ड […]

रांची : सामाजिक कार्यकर्ता और योजना आयोग के सदस्य रहे ज्यां द्रेज ने केंद्र और झारखंड सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है. द्रेज ने कहा है कि ‘आधार’ सीडिंग का टार्गेट पूरा करने के लिए राज्यों के अधिकारी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) के तहत बने लोगों के जॉब कार्ड और राशन कार्ड को रद्द कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह गैरकानूनी है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि आधार कार्ड को आधार बनाकर लोगों को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित नहीं किया जा सकता. बावजूद इसके, राज्य सरकार के अधिकारी लोगों को उनके अधिकार से वंचित कर रहे हैं. लोगों को राशन नहीं मिल रहा, मनरेगा में मजदूरी करने वालों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा. बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्हें पेंशन नहीं मिल रही.

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श्री द्रेज ने सोमवार को रांची के जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोसल सर्विस (XISS) में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. पत्रकारों से बाततचीत में उन्होंने कहा कि झारखंड में पिछले कुछ महीनों में झारखंड में कम से कम चार लोगों की भूख से मौत हो गयी है. इसमें संतोषी कुमारी, रूपलाल मरांडी, प्रेमनी कुंवर और इतवारिया देवी के नाम शामिल हैं. उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर झारखंड सरकार और UIDAIकीनिष्क्रियताको जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने दावा किया कि इन मामलों में प्रमाणित हो चुका है कि ये मौतें ‘आधार’ सीडिंग न होने की वजह से राशन नहीं मिलने और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अभाव में हुईं.

ज्यां द्रेज ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में ‘आधार’ को अनिवार्य कर दिया गया है, जिसकी वजह से पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी भोजन व पेंशन के अधिकार से वंचित हो रही है. झारखंड सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही. UIDAI भी अधिकारियों की लापरवाही पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही. फलस्वरूप समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है.

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दूसरी तरफ, सरकार सभी योजनाओं को ‘आधार’ से लिंक करने के अभियान को बड़ी सफलता बता रही है. ज्यां द्रेज ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें कहा गया है कि ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने स्वीकार किया है कि मनरेगा के तहत जारी जॉब कार्ड को 100 फीसदी आधार से लिंक करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़े पैमाने पर जॉब कार्ड रद्द कर दिये गये. द्रेज ने कहा कि अप्रैल, 2017 में केंद्र सरकार ने दावा किया कि आधार से लिंक करने के कारण करीब एक करोड़ ‘फर्जी जॉब कार्ड’ पकड़े गये और उन्हें रद्द कर दिया गया.

हालांकि, सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत मिले एक आवेदन के जवाब में उसी केंद्र सरकार ने कहा कि 12.6 फीसदी कार्ड रद्द ‘फर्जी’ या ‘डुप्लीकेट’ थे. इसमें जॉब कार्ड की संख्या 1 फीसदी थी. रिलीज के मुताबिक, 22 दिसंब, 2017 को झारखंड सरकार ने दावा किया कि आधार की वजह से 11 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़े गये और उन्हें रद्द कर दिया गया. लेकिन, लातेहार और खूंटी में इसका सत्यापन किया गया, तो पाया गया कि रद्द किये गये अधिकांश राशन कार्ड फर्जी नहीं थे. बड़ी संख्या में ऐसे राशन कार्ड मिले, जो परिवार के अन्य सदस्यों के आधार कार्ड से लिंक नहीं थे. सिमडेगा जिले की संतोषी भी ऐसे ही एक परिवार से थी.

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इसी तरह, पेंशन के मामले में भी ज्यां द्रेज ने आंकड़ों के आधार पर कई बातें कहीं हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में दावा किया कि आधार की मदद से 2 लाख ऐसे लोगों का खुलासा हुआ है, जो फर्जी तरीके से पेंशन ले रहे थे. खूंटी में करीब 100 लोगों का सत्यापन किया गया, तो पाया गया कि कोई फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है. अधिकांश लोगों ने अपनी पेंशन को आधार कार्ड से लिंक नहीं कराया था.

द्रेज ने बताया कि अक्तूबर, 2016 में खूंटी में जिला प्रशासन ने सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत उन लोगों को मिलने वाली पेंशन का भुगतान बंद कर दिया, जिन्होंने अपने खाते को आधार से लिंक नहीं करवाया था. बाद में कुछ लोगों ने पेंशन को आधार से लिंक करवा लिया, तो उनकी पेंशन शुरू हो गयी. लेकिन, जो लोग ऐसा करने में नाकाम रहे, वे पेंशन के लिए आज भी संघर्ष कर रहे हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में ज्यां द्रेज के साथ अशर्फी नंद, धीरज, स्टेन स्वामी और शिराज दत्त भी मौजूद थे.

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