झारखंड : दो गांव ऐसा, एक में आजादी के पहले से है शराबबंदी, दूसरे में कोई थाना नहीं जाता

झारखंड का बड़ा इलाका भले ही अपराध आैर शराब से परेशान रहता है लेकिन इसी झारखंड के ग्रामीण क्षेत्राें में ऐसे-ऐसे गांव हैं, जाे आदर्श बने हुए हैं. ऐसे ही दाे गांवाें की छाेटी सी कहानी आपकाे बता रहे हैं. अगर विस्तार से इस रिपाेर्ट काे पढ़ना है ताे पढ़िए पंचायतनामा (16-31 जनवरी, 2017) का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2018 7:09 AM
झारखंड का बड़ा इलाका भले ही अपराध आैर शराब से परेशान रहता है लेकिन इसी झारखंड के ग्रामीण क्षेत्राें में ऐसे-ऐसे गांव हैं, जाे आदर्श बने हुए हैं. ऐसे ही दाे गांवाें की छाेटी सी कहानी आपकाे बता रहे हैं. अगर विस्तार से इस रिपाेर्ट काे पढ़ना है ताे पढ़िए पंचायतनामा (16-31 जनवरी, 2017) का अंक. कीमत सिर्फ ढाई रुपये. अपने हॉकराें से इसे आप मांग सकते हैं. ऐसी अनेक सकारात्मक रिपाेर्ट आपकाे पंचायतनामा में मिलेगी.
रामगढ़ का चेटर गांव
गुरूस्वरूप मिश्रा
रांची : रामगढ़ जानेवाली मुख्य सड़क के पास बूढ़ाखूखड़ा बसा है. इसके आगे बसा है चेटर गांव. गांव में लगभग 150 घर हैं आैर गांव की आबादी है लगभग डेढ़ हजार. पढ़ा लिखा गांव है. इस गांव के लगभग 40 लाेग सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं, 20 प्राइवेट शिक्षक हैं. कुछ छात्राेें ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. गांव में मेल-जाेल का माहाैल है. अगर कभी छाेटी घटना हाे जाती है, जमीन या अन्य प्रकार का विवाद हाे जाता है ताे गांव में ही बड़े बुजुर्गों की माैजूदगी में मामले काे सुलझा लिया जाता है. काेई एफआइआर करने थाना नहीं जाता. यही कारण है कि आजादी के बाद से आज तक किसी मामले में काेई एफआइआर दर्ज नहीं हुई है. इसका सीधा असर यह पड़ा है कि यहां के लाेगाें काे काेर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़ता. पैसा आैर समय बर्बाद नहीं हाेता.
वीरेंद्र कुमार सिंह
पाेटका : पूर्वी सिंहभूम जिले के पाेटका प्रखंड का माकाे गांव ऐसा गांव है जहां आजादी के पहले से ही शराब की बिक्री पर प्रतिबंध है. यहां के लाेगाें ने खुद काे शराब से दूर रखा है. पूरा गांव पढ़ा-लिखा है.
हर व्यक्ति कम से कम आठवीं पास है, चाहे वह महिला हाे या पुरुष. इस गांव से डॉक्टर बने हैं, इंजीनियर बने हैं, सरकारी सेवा में भी लाेग हैं. 160 परिवार के इस गांव में अधिकांश लाेग पिछड़ी जाति के हैं. कभी नदी-नाले से घिरे इस गांव में जाने में बहुत परेशानी हाेती थी. टापू बन जाता था. अब पुल बन ग या है. यह गांव जानमडीप पंचायत के अधीन है. यहां की मुखिया हैं मालती मार्डी. सारा ध्यान पंचायत-गांव के विकास पर केंद्रित करने में लगी हुई हैं.

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