झारखंड बजट : नये बजट से उम्मीदें तो हैं, लेकिन पुरानी उम्मीदों पर क्या कहते हैं व्यापारी, जानें…

रांची : झारखंड बजट से व्यापारी वर्ग क्या उम्मीदें रखते हैं? क्या यह बजट उनके लिए उम्मीदों को बजट होगा ? झारखंड का बजट 23 जनवरी को पेश होना है. बजट से पहले मुख्यमंत्री ने लोगों की राय मांगी. बजट पर संगोष्ठी का आयोजन किया. कई अहम सुझाव को बजट में शामिल किया गया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 19, 2018 2:46 PM

रांची : झारखंड बजट से व्यापारी वर्ग क्या उम्मीदें रखते हैं? क्या यह बजट उनके लिए उम्मीदों को बजट होगा ? झारखंड का बजट 23 जनवरी को पेश होना है. बजट से पहले मुख्यमंत्री ने लोगों की राय मांगी. बजट पर संगोष्ठी का आयोजन किया. कई अहम सुझाव को बजट में शामिल किया गया है. व्यापारी वर्ग ने अपनी मांग लिखित में मुख्यमंत्री तक पहुंचायी है.

बात जब नये उम्मीदों की हो, तो पुरानी उम्मीदों पर भी चर्चा होनी चाहिए. प्रभात खबर डॉट कॉम ने व्यापारियों से बात की. उनसे बजट को लेकर सिर्फ दो सवाल किये. पहला- पुराने बजट का कितना फीसदी धरातल पर उतरा? और दूसरा नये बजट से उम्मीदें क्या हैं? इन दो सवालों में कई सवाल छिपे हैं. सरकार के सिंगल विंडो सिस्टम का हाल क्या है,ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की स्थिति क्या है. नये बजट से उम्मीदें हैं, तो कौन सी परेशानी है जिसे दूर किये बगैर आपकी उम्मीदें पूरी नहीं होंगी. पढ़ें, क्या है झारखंड बजट पर क्या कहते हैं व्यापारी.

रंजीत गाड़ोदिया (अध्यक्ष, चेंबर ऑफ काॅमर्स)
रंजीत गाड़ोदिया ने झारखंड बजट से जुड़े सवालों पर कहा, उम्मीदें तो बहुत हैं. पिछली बार की तरह लेकिन पिछली बार कमियां रह गयीं. सरकार ने बहुत कोशिशें की, लेकिन आज भी लैंड बैंक की समस्या जस की तस है. मेरे पास ढेर सारी शिकायतें आ रही हैं. कुछ लोगों को जमीन मिली, तो उन्हें इन्फास्ट्रक्चर नहीं मिला. तय समय पर व्यापारी काम शुरू नहीं कर पाते, जिसका नुकसान उन्हें और झारखंड के व्यापार को होता है.

कुल मिला कर बात यह है कि झारखंड में व्यापार बढ़ना चाहिए, रुकी हुई योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए. इंडस्ट्री की हालत खराब है. व्यापार के साथ-साथ सरकार को गांवों की तरफ भी ध्यान देना चाहिए. गांव की स्थिति बेहद खराब है. गांव छोड़िये, जिले की हालत देख लीजिए. खूंटी जिले से आप थोड़ा आगे जायेंगे, तो स्वास्थ्य की झारखंड में क्या स्थिति है समझ जायेंगे. सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास कैपिटल के लिए फंड है, खूब खर्चा करते हैं, लेकिन उसे चलाने के लिए पैसे नहीं देते. बिल्डिंग बनाने से ज्यादा रनिंग और मैनजमेंट पर खर्च होना चाहिए. कई शानदार इमारतों में डॉक्टर और नर्स नहीं है.

अंजय पचेरीवाला (जेएसआईए – महासचिव)
राज्य सरकार ने कई योजनाएं बनायी जो अच्छी थी लेकिन लागू करने और देखरेख करने को लेकर काम नहीं हुआ. नीति अच्छी बनी लेकिन सुविधा मिलने में परेशानी हुई. व्यापार में बढ़ोतरी नहीं हुई. सरकार स्किल डेवलपमेंट को लेकर काम कर रही है. स्किल्ड लेबर किस तरह तैयार हो रहे हैं. उस पर ध्यान देना चाहिए. स्किल डेवलपमेंट इंडस्ट्री आधारित होना चाहिए. अगर इस दिशा में सरकार काम नहीं करेगी तो सरकार खर्च तो करेगी लेकिन उसका फायदा नहीं होगा. गुजरात में ऐसे कई उदाहरण है. प्लास्टिक फैक्ट्री में रिसर्च और ट्रेनिंग की सुविधा होती है. वहीं बच्चे काम सीखते हैं, फिर उन स्किल्ड लोगों को वही काम मिल जाते हैं. अपने यहां भी खनिज में अपार संभावनाएं हैं. सरकार को यहां रिसर्च और ट्रेनिंग सेंटर पर खर्च करना चाहिए. स्किल्ड लेबर होंगे तो काम अच्छा होगा. काम अच्छा होगा तो निवेश आयेगा और व्यापार बढ़ेगा.

प्रवीण लोहिया (थोक कपड़ा व्यवसायी संघ अध्यक्ष)
व्यापार की तेजी में लैंड बैंक की कमी रह गयी. लैंड बैंक मिल जाये तो कई काम बेहतर रूप से चलने लगे. टेक्सटाइल पार्क की बात थी. सुविधाओं के आधार पर उन्हें जो जमीन चाहिए थी वह नहीं मिली. दूसरी सबसे बड़ी समस्या सड़क और कनेक्टिविटी की है. सड़क अच्छा होगा तो संचार बेहतर होगा. इससे व्यापार पर असर पड़ेगा. बिजनेस कॉरिडोर को लेकर कब से अपनी बात रख रहा हूं सरकार को उस पर भी ध्यान देना चाहिए.

आरपी शाही (बिजनेसमैन)
सरकार कैबिन और बिल्डिंग बनाने में व्यवस्त है. इवेंट पर खर्च हो रहा है. इंडस्ट्रीज मर रही हैं. स्टील सेक्टर ग्रो जरूर हो रहा है लेकिन उसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है. पिछले बजट की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं, तो आने वाले बजट से क्या उम्मीद रखी जाये?

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