झारखंड : लातेहार जिले के बूढ़ा पहाड़ पर बनेंगी सड़कें, विभाग तैयार करा रहा है योजना
पहल : सीएस व डीजीपी की पहल पर पथ विभाग तैयार करा रहा है योजना, चार सड़कें बनाने के लिए हुआ सर्वे मनोज लाल रांची : नक्सल से निबटने के लिए बूढ़ा पहाड़ में सड़कें बनायी जायेगी. आधुनिक तकनीक से सड़कों का निर्माण कराया जायेगा, ताकि तेजी से सड़कें बने. मुख्य सचिव व डीजीपी की […]
पहल : सीएस व डीजीपी की पहल पर पथ विभाग तैयार करा रहा है योजना, चार सड़कें बनाने के लिए हुआ सर्वे
मनोज लाल
रांची : नक्सल से निबटने के लिए बूढ़ा पहाड़ में सड़कें बनायी जायेगी. आधुनिक तकनीक से सड़कों का निर्माण कराया जायेगा, ताकि तेजी से सड़कें बने. मुख्य सचिव व डीजीपी की पहल पर सड़क बनाने की योजना तैयार की जा रही है. इसके लिए पथ निर्माण विभाग ने अभी तक चार सड़कों के लिए सर्वे किया है.
यहां बिल्कुल नयी सड़कें बनायी जायेंगी. अगर कहीं कच्ची सड़कें है, तो उसे भी बनाया जायेगा. नक्सलियों पर कार्रवाई के लिए सड़कें कैसे बने, यह देखा जा रहा है. कहां-कहां सड़क निर्माण कराना उपयुक्त होगा, सर्वे में इसका भी ख्याल रखा जा रहा है. फिलहाल जिन चार सड़कों का सर्वे हुआ है, उसका प्रजेंटेशन अधिकारियों को दिखाने के बाद योजना को फाइनल रूप दिया जायेगा.
हाल के दिनों में बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों की काफी गतिविधियां देखी गयी है. इसे सरकार ने गंभीरता से लिया है. इसके बाद डीजीपी ने बूढ़ा पहाड़ पर सड़क बनाने का आग्रह सरकार से किया.
तब मुख्य सचिव ने इसके लिए पथ निर्माण विभाग को निर्देश दिया. बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षाकर्मियों का कैंप भी बनाया जा रहा है. इसके लिए राशि भी दे दी गयी है. कैंप बन जाने के बाद सुरक्षाकर्मियों को आने-जाने में दिक्कतें न हो या उग्रवादियों से निबटने के लिए कार्रवाई की जा सके, इसे देखते हुए सड़कें बनायी जायेंगी. सरकार बूढ़ा पहाड़ को फोकस करके काम करेगी. इलाके के लिए अन्य योजनाएं भी तैयार करायी जायेगी, ताकि यहां का विकास हो सके.
लेना होगा फॉरेस्ट क्लीयरेंस
जानकारी के मुताबिक बूढ़ा पहाड़ इलाका झारखंड के गढ़वा, लातेहार व गुमला इलाके में फैला हुआ है. इस क्षेत्र में घना जंगल है. यहां सड़क बनाने के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटने होंगे. ऐसे में सड़क निर्माण के लिए फॉरेस्ट क्लीयरेंस की जरूरत होगी.
सारंडा में भी बनायी गयी थी कई सड़कें
सरकार ने चार साल पहले सारंडा में भी सड़कों का काम शुरू कराया था. यह इलाका भी जंगली क्षेत्र था. इस दौरान यहां सड़क व पुल मिला कर करीब एक दर्जन योजनाओं को स्वीकृति दी गयी थी. अधिकतर योजनाएं यहां पूरी कर ली गयी है. यहां भी नक्सलियों से निबटने के उद्देश्य से सड़कों का निर्माण कराया गया था. साथ ही सारंडा विकास प्लान के माध्यम से यहां के लोगों को सरकारी सहायता दी गयी थी.