गणतंत्र दिवस पर विशेष : युवा गढ़ रहे हैं नया प्रतिमान, पढ़े-लिखे युवा खेती से बदल रहे तकदीर

लोधमा-कर्रा से लौटकर आनंद मोहन-सतीश कुमार रणधीर कुमार अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास. एक एकड़ में गोभी के लहलहाते फसल के बीच कुदाल लेकर भरी दोपहरिया में खड़े हैं. गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रभात खबर की टीम राजधानी के आसपास गांव में विकास से लेकर जीवन में बदलाव को टटोलने पहुंची थी. कर्रा-लोधमा के एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2018 7:39 AM
लोधमा-कर्रा से लौटकर
आनंद मोहन-सतीश कुमार
रणधीर कुमार अर्थशास्त्र में फर्स्ट क्लास. एक एकड़ में गोभी के लहलहाते फसल के बीच कुदाल लेकर भरी दोपहरिया में खड़े हैं. गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रभात खबर की टीम राजधानी के आसपास गांव में विकास से लेकर जीवन में बदलाव को टटोलने पहुंची थी. कर्रा-लोधमा के एक गांव पइका टोली (जंगल के बीच) में यह युवा किसान मिला.
गांव में गोभी की इतने बड़े पैमाने पर खेती देख कर टीम रूक गयी थी. रणधीर कुमार भी खेत से बाहर निकल कर बाहर आये. उन्होंने कहा : घर की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण घास काट कर उसे बेचता और पैसे जुटाता था. स्कूल में छह रुपये फीस देकर पढ़ता था.
बाद में जेएन कॉलेज तक पढ़ाई की. प्रतियोगिता परीक्षा दी थी, नौकरी नहीं हुई, तो खेती करने की ठान ली. गांव में अपना खेत है. इस पर ही काम कर रहे हैं. एक एकड़ में गोभी लगाया हूं.
सालों भर गोभी की खेती करता हूं. एक फसल खत्म होते ही दूसरी फसल लगा देता हूं. अब तक दो से ढाई लाख रुपये तक की गोभी बेच चुका हूं. रणधीर ने बताया कि उनके दो बेटे हैं. एक बेटा अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ता है. वह कहते हैं कि चूक गया, इस बार टमाटर का भाव अच्छा रहा था़ टमाटर लगाता, तो आठ लाख तक की कमाई हो जाती.
इसी गांव में हैं रंजीत कुमार. वे रंजीत इंटर पास है़ किराने की दुकान चलाते हैं, साथ ही पूरे गांव में इनकी खेती की भी चर्चा है. उन्होंने बताया कि 90 हजार रुपये तक का मटर बेच दिया है़ गांव में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा नहीं है़ गांव से सटे नदी के किनारे के खेत में धनकटनी के बाद सब्जी लगाये जा रहे हैं. नदी का पानी मोटर से लाकर खेत का पटवन करना पड़ता है.
रंजीत पशुपालन भी करते हैं. उनके पास छह भैंस हैं. अफसोस भी जताते हैं, कहते हैं : खेती किस्मत का खेल हो गया है. रेट अच्छा मिला, तो लगता है इससे बढ़िया कोई काम नहीं है. कभी-कभी भाव बहुत ही कम मिलता है. लेकिन खुश हूं कि अपने घर में रहकर ही खेती करके जीवन यापन कर रहा हूं.
पइका टोली से सटे जंगल के बीच एक गांव है, महतो टोली. पूरा गांव खेती करता है. हर तरफ सब्जी के फसल लहलहा रहे हैं. यह गांव इलाके में सब्जी की खेती के लिए जाना जाता है.
यहां के किसानों ने बीन्स, अदरक, शिमला मिर्च और मिर्च की खेती की है. गांव के किसान रूणा महतो इंटर पास हैं और मटर की खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि गांव में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. मोटर के सहारे नदी के पानी से खेतों में पटवन किया जाता है. मैं नौकरी नहीं करना चाहते. खेत-खलिहान को ही संवारने में लगा हूं, अब यही जीवन की पूंजी है. रूणा महतो ने गांव के किसान हरि चरण महतो के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हरि चरण बीएड पास हैं. इसके बाद नौकरी नहीं की, खेती-किसानी में ही लग गये. अब तो वे गांव के बड़े किसानों में गिने जाते हैं.
लोधमा-कर्रा में कई युवा किसान हैं, जो खेती कर चला रहे जीवन, बच्चों को दे रहे अच्छी शिक्षा
बिचौलिया को दरकिनार कर खुद बाजार जाते हैं
गांव से पढ़े-लिखे किसान और युवा बिचौलियों को बाहर कर रहे हैं. किसान रणधीर बताते हैं कि इस गांव में बिचौलिया हावी नहीं हैं. गांव के किसान खुद अपना सामान लेकर बाजार जाते हैं. कभी थोक में, तो कभी खुदरा भी बेचते हैं. रंजीत कुमार ने कहा कि पहले बाजार से लोग आते थे, लेकिन अब हम खुद सब्जी उपजा कर बाजार जाते हैं. बाजार का जो भाव रहता है, उस पर बेचते हैं.
िकराये पर लेते हैं खेत
महतो टोली में कई किसानों ने जमीन मालिक से दो से आठ हजार रुपये तक रेंट पर खेत लेकर मटर और गोभी की खेती कर रहे हैं. फसल होने के बाद ही जमीन मालिकों को पैसा दिया जाता है. नुकसान होने पर जमीन मालिकों द्वारा रियायत भी दी जाती है.

Next Article

Exit mobile version