आखिरकार ढाई साल बाद हुई बकोरिया में नक्सली बताकर मारे गये 5 नाबालिगों की पहचान

रांची: पलामू के जिस चर्चित बकोरिया फर्जी मुठभेड़ ने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र को कई दिनों तक ठप रखा, उस मामले में उन पांच नाबालिगों की पहचान हो गयी है, जिन्हें पुलिस ने नक्सली बताया था. आठ जून, 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में हुई घटना के एक दिन बाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 27, 2018 12:34 PM

रांची: पलामू के जिस चर्चित बकोरिया फर्जी मुठभेड़ ने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र को कई दिनों तक ठप रखा, उस मामले में उन पांच नाबालिगों की पहचान हो गयी है, जिन्हें पुलिस ने नक्सली बताया था. आठ जून, 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में हुई घटना के एक दिन बाद गांव के लोगों को इसके बारे में तब जानकारी मिली, जब अखबारों में बच्चों की तस्वीरें छपीं.

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घटना के बाद गांव में भय का महौल था. अपने बच्चों की पहचान करने से भी परिजनों ने इन्कार कर दिया. उन्हें डर था कि बच्चों की पहचान करेंगे, तो पुलिस और नक्सली दोनों से उन्हें खतरा हो जायेगा. इसलिए सच जानने की भी उन्होंने कभी कोई कोशिश नहीं की. यही वजह है कि वे अपने बच्चों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाये. उन्हें यह भी मालूम नहीं हो सका कि उनके बच्चों के शव का पुलिस ने क्या किया.

ग्रामीणों ने बताया कि बकोरिया में पुलिस ने जिस मुठभेड़ में नक्सलियों को मारने का दावा किया था, उसमें 5 नाबालिग थे. इन्हें पुलिस ने नक्सली बताकर मार डाला था. मृतकों की पहचान महेंद्र सिंह खरवार (पिता कमलेश्वर सिंह खरवार, उम्र 15 वर्ष, गांव हरातु), चरकु तिर्की (भाई विजय तिर्की, उम्र 12 वर्ष, गांव अम्बाटिकर), बुधराम उरांव (भाई महिपाल उरांव, उम्र 17 वर्ष, गांव करूमखेता), उमेश सिंह खरवार, (पिता पचासी सिंह खरवार, उम्र 16 वर्ष, गांव लादी), सत्येंद्र पहरहिया (पिता रामदास पहरहिया, उम्र 17 साल, गांव लादी) के रूप में हुई है.

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यह खुलासा उस वक्त हुआ, जब बकोरिया कांड के ढाई साल बाद 8 जनवरी, 2018 को एक जांच टीम उस गांव पहुंची. ग्रामीणों को बताया गया कि कथित मुठभेड़ में जिन बच्चों की मौत हुई थी, उनकी पहचान करने सीआइडी की टीम रांची से आयीहै. इसके बाद घरवालों ने रोते-बिलखतेअपने बच्चों की पहचान की.

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