एंजाइटी डिसऑर्डर को गंभीरता से लें, बना सकता है मनोरोगी

गंभीर. चिंता, व्याकुलता व तनाव के कारण तेजी से बढ़ रही समस्या जीवनशैली में तेजी से हो रहे बदलाव का असर हमारे शरीर पर पड़ रहा है. तनाव के अलावा अत्यधिक चाहत, कम समय में सफल होने की इच्छा लोगों को बीमार बना रही है. इच्छा की पूर्ति नहीं होने के कारण लोग एंजाइटी डिसऑर्डर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2018 3:46 AM

गंभीर. चिंता, व्याकुलता व तनाव के कारण तेजी से बढ़ रही समस्या

जीवनशैली में तेजी से हो रहे बदलाव का असर हमारे शरीर पर पड़ रहा है. तनाव के अलावा अत्यधिक चाहत, कम समय में सफल होने की इच्छा लोगों को बीमार बना रही है. इच्छा की पूर्ति नहीं होने के कारण लोग एंजाइटी डिसऑर्डर (व्याकुलता विकार) के शिकार होते जा रहे हैं. विशेषज्ञ इसे मनोरोग के प्रथम लक्षण के रूप में देखते हैं. चिंता की बात यह है कि इन दिनों सरकारी और निजी अस्पतालों में एंजाइटी डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
रांची : राजधानी रांची में भी पहले के मुकाबले एंजाइटी डिसऑर्डर (व्याकुलता विकार) के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. रिम्स के मेडिसिन विभाग के आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि रिम्स के मेडिसिन विभाग में आनेवाले 100 मरीजों में 10 से 15 फीसदी मरीज एंजाइटी डिसऑर्डर के शिकार हैं. वहीं, निजी अस्पतालों के ओपीडी में भी ऐसे मरीजों की संख्या पहले से बढ़ी है.
रिम्स में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ जेके मित्रा कहते हैं : बदलती जीवनशैली हमें मानसिक रूप से भी बीमार बना रही है. एंजाइटी डिसऑर्डर इसका शुरुआती चरण है. सबसे गंभीर बात यह है कि इस इस समस्या से हर आयु वर्ग के लोग पीड़ित हैं. अगर शुरुआत में ही इस समस्या की पहचान कर ली जाये, तो दवा से मरीज को ठीक किया जा सकता है. लेकिन, अगर कोई मरीज लंबे समय से एंजाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित है, तो उसे मनोचिकित्सक के पास भेजना पड़ता है. कई बार एंजाइटी डिसऑर्डर को लोग मिथ्या के कारण पागलपन मानने लगते हैं.
जबकि ऐसा नहीं है. अगर समय रहते इसका इलाज शुरू कर दिया जाये, तो मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है. इधर, शहर के फिजिशियन डॉ एमके बदानी ने बताया कि उनकी क्लिनिक में भी ऐसे मरीजों की संख्या 15 फीसदी के करीब है.
राजधानी में तेजी से बढ़ रहे हैं एंजाइटी डिसऑर्डर के मरीज
शुरुआती लक्षणों को हृदय रोग की समस्या मान लेते हैं कई लोग
समय पर इलाज आैर काउंसेलिंग से दूर हो सकती है यह बीमारी
लंबे समय तक रही समस्या, तो जाना पड़ेगा मनोरोग विशेषज्ञ के पास
15 फीसदी मरीज एंजाइटी डिसऑर्डर के होते हैं रिम्स के मेडिसिन ओपीडी में आनेवाले
लक्षण
Àधड़कन तेज हो जानाÀघबराहट Àसांस फूलना Àथकान महसूस होना Àपसीना आना À मुंह सुखना.
केस स्टडी
डकरा निवासी एक महिला को सांस फूलने की समस्या पर परिजन रिम्स के मेडिसिन ओपीडी में ले आये. डॉक्टरों ने पहले महिला की सभी प्रकार की जांच करायी. सीटी स्कैन, एक्सरे भी कराया, लेकिन सभी जांच सामान्य पाया गया. अंत में डॉक्टरों ने यह निर्णय लिया कि महिला को एंजाइटी डिसऑर्डर है.
अचानक बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर व शूगर : एंजाइटी डिसऑर्डर के मरीजों में अचानक ब्लड प्रेशर और शूगर लेबल बढ़ जाता है. इसकी जानकारी मरीज को डॉक्टर के पास पहुंचने के बाद होती है. कई बार तो मरीज को भर्ती करने की नौबत आ जाती है.
घबराहट, सांस फूलना व धड़कन तेज होने जैसे लक्षण पर लोग हार्ट के डॉक्टर के पास चले जाते हैं, जबकि मरीज को मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए. कई बार यह समस्या काउंसेलिंग व हल्की दवा से ठीक हो जाती है.
डॉ सुयेश सिन्हा, मनोचिकित्सक

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