झारखंड की दो बच्चियां दिल्ली में करायी गयीं मुक्त

दिल्ली/रांची : दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के पीतमपुरा इलाके के एक घर में घरेलू नौकर के रूप में काम करनेवाली झारखंड की दो बच्चियों को मुक्त कराया है. दोनों की उम्र 10 व सात साल है और दोनों बहन है. बड़ी बहन को सात माह व छोटी बहन को तीन माह पहले दिल्ली लाया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 28, 2018 3:50 AM

दिल्ली/रांची : दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली के पीतमपुरा इलाके के एक घर में घरेलू नौकर के रूप में काम करनेवाली झारखंड की दो बच्चियों को मुक्त कराया है. दोनों की उम्र 10 व सात साल है और दोनों बहन है. बड़ी बहन को सात माह व छोटी बहन को तीन माह पहले दिल्ली लाया गया था. इस मामले में रानी बाग थाने में एफआईआर दर्ज की गयी है. बच्चियों को आश्रय घर में रहने के लिए भेज दिया गया है. अब उनको बाल कल्याण समिति और मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जायेगा.

घटना दो दिन पहले की है. दिल्ली महिला आयोग की 181 महिला हेल्पलाइन पर पीतमपुरा के एक घर में नाबालिग बच्ची को घर में कैद करने की शिकायत मिली थी. शिकायत एक पड़ोसी ने की थी. दिल्ली महिला आयोग की एक टीम दिल्ली पुलिस के साथ तुरंत वहां पहुंची. वहां नाबालिग बच्ची के बारे में पूछताछ करने पर मकान मालकिन के लड़के ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, मगर घर की तलाशी करने पर एक अंधेरे कमरे में दोनों बच्चियां मिल गयीं. बच्चियां काफी डरी हुई थीं. पुलिस ने उन्हें वहां से छुड़ाया.
पीतमपुरा में 10 व सात साल की दोनों बहन एक घर में थीं घरेलू नौकर
181 पर शिकायत मिलने के बाद दिल्ली महिला आयोग ने की कार्रवाई
शारीरिक व मानसिक शोषण की भी मिली हैं शिकायतें
मामले में दिल्ली पुलिस ने दर्ज की प्राथमिकी
बच्चियों को एक महिला लेकर आयी थी दिल्ली
बच्चियों को वहां से मुक्त करा कर रानी बाग थाना लाया गया. वहां पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता बहुत गरीब हैं और वे झारखंड में रहते हैं. उन्होंने बताया कि एक महिला उनको दिल्ली लेकर आयी थी. बड़ी बहन को सात महीने पहले दिल्ली लाया गया था, जबकि छोटी बहन तीन माह पहले दिल्ली लायी गयी थी.
घर में कैद कर रखा जाता था दोनों बच्चियों को
आयोग व पुलिस को यह बताया गया कि दोनों को घर पर ही कैद करके रखा जाता था और उनको शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था. उन्होंने यह भी बताया कि काम करने के एवज में उनकी मां को बहुत कम पैसे पहुंचाये जाते थे. बच्चियों ने यह भी बताया कि उनको ठीक से खाना और कपड़े भी नहीं दिये जाते थे.

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