झारखंड में लागू हैं दो स्थानीय नीति? भाजपा के 26 विधायकों ने बढ़ायी रघुवर दास सरकार की मुश्किलें
रांची : क्या? झारखंड में दो-दो स्थानीय नीति है? दो-दो नियोजन नीति भी? विधायकों का तो यही कहना है. स्थानीय व नियोजन नीति पर विपक्ष तो सरकार को घेर ही रहा था, अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने ही रघुवर दास सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. बजट सत्र […]
रांची : क्या? झारखंड में दो-दो स्थानीय नीति है? दो-दो नियोजन नीति भी? विधायकों का तो यही कहना है. स्थानीय व नियोजन नीति पर विपक्ष तो सरकार को घेर ही रहा था, अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों ने ही रघुवर दास सरकार को कटघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है. बजट सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने इस नीति पर सवाल खड़े किये. 26 विधायकों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को पत्र लिखकर स्थानीय व नियोजन नीति में संशोधन की मांग कर दी.मुख्यमंत्रीने कहा है कि राज्यहित में सरकारइसमुद्दे पर निर्णय लेगी.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सुझावों पर निर्णय लेती है. सत्ता पक्ष-विपक्ष के जो सुझाव हैं, उन पर सरकार राज्यहित में निर्णय लेगी. चाहे 11 जिलों में स्थानीय नीति का मामला हो या जेपीएससी या जेएसएससी में आरक्षण का मामला, सरकार राज्य के नौजवानों के हित में निर्णायक निर्णय लेगी.
हंगामे के बीच निर्दलीय विधायक भानु प्रताप शाही ने स्थानीय नीति और नियोजन नीति का मामला उठाया. उन्होंने कहा कि राज्य के 13 जिलों में स्थानीय लोगों की बहाली हो रही है. 11 जिलों के लिए अलग स्थानीय नीति बनायी गयी है. इन 11 जिलों में पूरे भारत के लोगों के लिए बहाली का रास्ता खोल दिया गया है. इन जिलों में स्थानीय लोगों को हक नहीं मिल रहा है.
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भानु प्रताप के बयान के बाद सदन में हंगामा और तेज हो गया. सत्ता पक्ष के विधायक योगेश्वर प्रसाद बाटुल ने भी इसका समर्थन किया. बाटुल ने कहा कि 11 जिलों में स्थानीय नीति में परिवर्तन की जरूरत है, संशोधन की जरूरत है. राज्य की सवा तीन करोड़ जनता का सवाल है. यहां के लोगों के हित में स्थानीय नीति बने. विधानसभा की एक कमेटी बननी चाहिए. कमेटी तीन महीने में रिपोर्ट दे. बाटुल के बयान का सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने मेज थपथपा कर स्वागत किया.
चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सत्येंद्र तिवारी ने कहा, ‘सरकार ने स्थानीय और नियोजन नीति बनाकर राज्यहित में फैसला लिया है. 11 जिलों में नियोजन नीति में संशोधन होना चाहिए. इसके बाद विपक्षी सदस्य खड़े हो गये. स्थानीय नीति रद्द करने की मांग करने लगे. झामुमो और कांग्रेस के विधायक वेल में आ गये. सरकार विरोधी नारे लगाने लगे.
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हो-हल्ला के बीच प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि यही बात हम लोग पहले से कह रहे हैं. हमारी बातें सुनी नहीं जा रही हैं. अब सत्ता पक्ष के लोग बोल रहे हैं, तो उनकी बात सुन रहे हैं. इस बीच, झाविमो विधायक प्रदीप यादव, झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो, चंपई सोरेन, अमित महतो सहित कई विपक्षी विधायक स्थानीय नीति रद्द करने की मांग करने लगे.