रांची : हमारे प्रधानमंत्री को इस बात पर गर्व है कि हमारा देश युवा देश है. यहां के युवा माउस से खेलते हैं. तकनीक से देश की तकदीर बदल रहे हैं. झारखंड की युवा आबादी पर प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी गर्व है. लेकिन, अब यही युवा आबादी, जो कम्प्यूटर और मोबाईल टेक्नोलॉजी में काफी दक्ष है, झारखंड के लिए बड़ी समस्या के रूप में उभर रहे हैं. नये लोगों ने नये अपराध को जन्म दिया है और इस मामले में झारखंड की छोटी-छोटी जगहों के लोगों ने बड़े-बड़े शहरों को पीछे छोड़ दिया है.
जी हां. झारखंड साईबर क्राईम का एपिसेंटर बन गया है. साईबर क्राईम के मामले प्रदेश में लगातार बढ़ रहे हैं. 5 साल में साईबर फ्रॉड के मामले 25 गुणा तक बढ़ गये हैं. धनबाद, जामताड़ा, गिरीडीह, दुमका और देवघर जिलोंसाईबर क्रिमिनल्स के कई गिरोह काम कर रहे हैं.
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आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में इन जिलों में साईबर क्राईम के 28 केस दर्ज हुए थे. वर्ष 2017 में दिसंबर तक 726 मामले दर्ज हुए. 5 साल का रिकॉर्ड खंगालेंगे, तो पायेंगे कि 26 दिसंबर, 2017 तक राज्य में ऑनलाईन फ्रॉड के 1647 मामले दर्जकिये गये.
पुलिस अब तक साईबर क्राईम पर अंकुश नहीं लगा पायी. साईबर क्राईम से बचने के लिए लोगों को उचित तरीके से जागरूक भी नहीं किया जा जा रहा है. यही वजह है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में गांवों के लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं.
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सुत्रों की मानें, तो राज्य में साईबर क्राईम के 150 गिरोह सक्रिय हैं. इनमें से कई गिरोहों को झारखंड पुलिस ने चिह्नित कर लिया है. हालांकि, झारखंड पुलिस के लिए ये गिरोह बड़ी चुनौतीहैं,लेकिन पुलिस अब इनके सफायाकरने के लिए सक्रिय दिख रही है. कई अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की भी तैयारी चल रही है.
साईबर क्राईम के ज्यादातर मामले एटीएम से जुड़े होते हैं. अपराधी बूढ़े-बुजुर्ग या महिलाओं को शिकार बनाते हैं. ये लोग एटीएम के बाहर अकेले में लोगों को शिकार बनाते हैं. बैंक अधिकारी बनकर फर्जी तरीके से लोगों का बैंक खाता खाली कर देते हैं.