रांची : विधानसभा के बजट सत्र के दौरान डोमिसाइल, नियोजन और आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष के साथ-साथ अपने विधायकों का भी विरोध झेल चुकी सरकार अब मुद्दे का हल ढूंढ़ने की कोशिशों में जुटी हुई है. इसलिए राज्य की अगली कैबिनेट नेतरहाट में होने जा रही है. सरकार के इस कदम को एक तरह से हालिया राजनीतिक घटनाक्रम के डैमेज कंट्रोल के रूप में भी देखा जा रहा है.
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सात फरवरी को कैबिनेट की बैठक है. बैठक में कैबिनेट के सदस्यों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल और गठबंधन के सदस्यदलोंके सभी विधायकों को बुलाया गया है. कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं होने वालेमंत्रियों के साथ-साथ सत्ता पक्ष के उन विधायकों पर भी नजर रहेगी, जो नेतरहाट नहीं पहुंचेंगे.
कैबिनेट मीटिंग और विधायकों की एकजुटता दिखाकर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि सरकार और संगठन में ‘ऑल इज वेल’ है. कहीं कोई दिक्कत नहीं है. 81 सदस्यीयझारखंड विधानसभा में सत्ता पक्ष के 47 विधायक हैं इनमें छह झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के विधायकों समेत 43 भारतीय जनता पार्टी के और चार आजसू के विधायक हैं.
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झाविमो छोड़कर भाजपा में आये विधायकों पर दलबदल का केस चल रहा है. इनमें से कुछ विधायक सरकार से नाराज हैं. दूसरी तरफ, सुदेश महतो की आजसू पार्टी भी नियोजन और डोमिसाइल को लेकर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. इस बीच, राज्य के वरिष्ठ मंत्री सरयू राय ने जिस तरह एक दायित्व से मुक्ति ले ली है, यह दर्शाता है कि सब कुछ ठीक नहीं है. हालांकि, सरयू राय ने खुद कह दिया है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है. मुद्दों का हल निकाला जायेगा, लेकिन राजनीति में ऐसे बयानों के भी कई मायने निकाले जाते हैं.