रांची : जनता दल यूनाइटेड से बाहर हुए वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी व झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव आज राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मिलने रांची के होटवार स्थित सेंट्रल जेल पहुंचे.लालको जेल मेंदेखते ही शरद यादवनेउन्हें गले लगायाऔर उनका हाल-चाल जाना.दोनों नेताओं में राजनीतिक मुद्दों पर भीसंक्षिप्त चर्चा होने की संभावना जतायी जा रही है.यहमुलाकात आठ से दस मिनट चली. इससे पहले शरद यादव ने मरांडी से मुलाकात व वार्ता की. इस कवायद को विपक्षी एकता के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है. रांची पहुंचे शरद यादव ने मीडिया से कहा कि देश का लोकतंत्र व एकता आज खतरे में है. उन्होंने कहा कि इससे पहले हमने संविधान बचाओ और साझा विरासत बचाओ कार्यक्रम कर चुके हैं.
ध्यान रहे कि जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अलगाव के बाद शरद यादव ने चरणबद्ध रूप से बिहार के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी और उन्होंने पटना व दिल्ली में विरासत बचाओ कार्यक्रम किया था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों का जुटाव हुआ था.
वहीं, तेजस्वी यादव के इस्तीफे के मुद्दे पर नीतीश कुमार द्वारा महागंठबंधन तोड़ने का एलान किये जाने के बादऔर नये सिरे सेलालूकुनबेके कोर्ट-कचहरीवजांचएजेंसियों के चक्कर में पड़ने के बाद लालू प्रसाद यादव ने शरद यादव के प्रति यह कह कर सम्मान जताया था कि शरदजी पहले भी हमारे नेता रहे हैं और वे फिर हमारा नेतृत्व करें. हालांकियह सद्भावना दिखायेजाने के बाद कुछ समय तक लालू प्रसाद यादव ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया.
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मुश्किल घड़ी में लालू प्रसाद यादव की शरद यादव से उम्मीद बंधे होने की क्या है वजह?
अब संकट की घड़ी में लालू प्रसाद के प्रति शरद की सद्भावना से दोनों नेताओं के रिश्ते फिर बेहतर होने की संभावना है. शरद यादव बड़े समाजवादी नेता हैं और वैकल्पिक गठजोड़ व समीकरण तैयार करने के लिए वे भारतीय राजनीति में जाने जाते हैं. संकट से गुजर रहे राष्ट्रीय जनता दल व उसके नेताओं व कार्यकर्ताओं को इस कारण शरद यादव से उम्मीदें हैं. होटवार जेल के बाहर जुटे राजद कार्यकर्ताओं ने कहा कि शरद जी के आने से हमारे नेता व राष्ट्रीय जनता दल को लाभ मिलेगा.
उधर, पटना में राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि शरद यादव पर कार्रवाई का राजद व लालू प्रसाद ने विरोध किया था और जब नीतीश ने 2015 के चुनाव में जो कहा था उसका उलटा काम किया तो उसका शरद यादव ने विरोध किया, जिसे राजद ने समर्थद दिया.
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