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फेमटो लेजर असिस्टेड कैटरेक्ट सर्जरी की आधुनिकतम पद्धति

रांची : फेमटो लेजर असिस्टेड कैटरेक्ट सर्जरी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. मोतियाबिंद के ऑपरेशन की यह अत्याधुनिक तकनीक है. आइ हॉस्पिटल की फेमटो लेजर कैटरेक्ट एवं लासिक सर्जन डॉ भारती कश्यप ने बताया कि इस तकनीक में गलती होने की गुंजाइश कम रहती है. कश्यप अस्पताल में 2015 से इस तकनीक से इलाज […]

रांची : फेमटो लेजर असिस्टेड कैटरेक्ट सर्जरी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. मोतियाबिंद के ऑपरेशन की यह अत्याधुनिक तकनीक है. आइ हॉस्पिटल की फेमटो लेजर कैटरेक्ट एवं लासिक सर्जन डॉ भारती कश्यप ने बताया कि इस तकनीक में गलती होने की गुंजाइश कम रहती है. कश्यप अस्पताल में 2015 से इस तकनीक से इलाज किया जा रहा है. इसमें कंप्यूटर कंट्रोल्ड इन्सिजन लेजर के माध्यम से चीरा लगाया जाता है. इससे संक्रमण की संभावना कम रहती है. 5.5 एमएम का छिद्र बनता है. कॉर्निया पर अल्ट्रासाउंड ऊर्जा की चोट के जोखिम को कम करता है.
लगातार वर्ष 2009 से एनएबीएच : कश्यप मेमोरियल आइ हॉस्पिटल को लगातार वर्ष 2009 से एनएबीएच की मान्यता प्राप्त है. अस्पताल में उच्च कोटि के माड्यूटर ऑपरेशन थिएटर की स्थापना की गयी है.
इन मरीजों के लिए फायदेमंद
फेमटो लेजर असिस्टेड कैटरेक्ट सर्जरी की प्रक्रिया हृदय व डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित है. अस्थमा व हिमोफोलिया आदि के रोगियों के लिए भी सुरक्षित है. सर्जरी की प्रकिया में नौ से 15 मिनट का समय लगता है.
क्या है जेप्टो लेजर
जेप्टो लेजर मोतियाबिंद की आगे की झिल्ली को काटने का एक यंत्र होता है. वहीं, फेमटो लेजर पद्धति से मरीजों की आंखों के हिसाब से मोतियाबिंद की सर्जरी प्रक्रिया पूरी की जाती है.

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