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झारखंड : बढ़ता जा रहा है हाथी और मनुष्य के बीच का संघर्ष, तीन सालों में 178 लोगों की मौत

रांची : पिछले तीन सालों में देश में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष में 1356 लोगों की जान चली गयी है. इनमें केवल झारखंड में 178 लोग मारे गये हैं. राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी ने देश में पिछले तीन वर्षो के दौरान मनुष्य और वन्य जीवन के बीच संघर्ष से होनेवाले नुकसान का ब्यौरा […]

रांची : पिछले तीन सालों में देश में हाथी और मनुष्य के बीच संघर्ष में 1356 लोगों की जान चली गयी है. इनमें केवल झारखंड में 178 लोग मारे गये हैं. राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी ने देश में पिछले तीन वर्षो के दौरान मनुष्य और वन्य जीवन के बीच संघर्ष से होनेवाले नुकसान का ब्यौरा मांगा था.

केंद्रीयपर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा द्वारा राज्य सभा के पटल पर रखे गए विवरण के अनुसार, वर्ष 2017-18 में ही नवम्बर 2017 तक देश में हाथियों के साथ संघर्ष में 201 लोगों की मौत हुई जिनमें से 38 लोग झारखण्ड में मरे .मंत्री महोदय ने यह भी बताया कि देश मे पिछले तीन वर्ष और वर्तमान वर्ष में विभिन्न राज्यों के टाइगर रिजर्व के इर्दगिर्द बाघों के साथ संघर्ष की 49 घटनाएं सामने आईं. हालांकि झारखण्ड से ऐसी कोई घटना की खबर नहीं है.

महेश शर्मा ने यह भी बताया कि मनुष्यों और जावनरों के बीच संघर्ष से निपटने का काम राज्य सरकारों द्वारा होता है. केन्द्र सरकार ने इस विषय में राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रशासनों के मुख्य वनजीव वार्डन और प्राधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किए हैं.

मनुष्यों और जानवरों के बीच संघर्ष के उपशमन के लिए मौजूद व्यवस्ता तंत्र में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 11 और 12 के तहत उल्लिखित प्रावधानों में समस्यामूलत जंगली जानवरों और फसलों को नुक्सान या बरबाद करते जानवरों के बारे में आवश्यक कदम उठाने का अधिकार शामिल है. इतना ही नहीं, संबंधित राज्य राज्य सरकारों द्वारा बाघ, हाथी, तेंदुआ, गेंडा जैसे जानवरों के प्रबन्धन के लिए मानव प्रचालन प्रक्रियाओं/दिशा निर्देशों का उपयोग भी किया जा रहा है, ऐसा भी मंत्रीजी ने बताया . गत तीन वर्षो और चालू वर्ष के दौरान हाथियों द्वारा मारे गए लोगों का विवरण संलग्न है.

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