एचइसी : झारखंड का गौरव है मदर ऑफ इंडस्ट्री, जानें इसका पूरा इतिहास
रांची : हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी ) के निजी हाथों में जाने की खबर पर प्रतक्रियाएं तेज है. केंद्र सरकार ने इसे बेचने के लिए आरंभिक प्रक्रिया तेज कर दी है. वहां काम करने वाले लोगों के साथ-साथ कई जनप्रतिनिधि इसे बचाने की जुगत में लगे हैं. कहीं सड़क पर उतर कर आंदोलन तेज […]
रांची : हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचईसी ) के निजी हाथों में जाने की खबर पर प्रतक्रियाएं तेज है. केंद्र सरकार ने इसे बेचने के लिए आरंभिक प्रक्रिया तेज कर दी है. वहां काम करने वाले लोगों के साथ-साथ कई जनप्रतिनिधि इसे बचाने की जुगत में लगे हैं. कहीं सड़क पर उतर कर आंदोलन तेज करने की धमकी है, तो कहीं चिट्ठी लिखकर सरकार को समझाने की कोशिश. एचईसी इस्पात, खनन, रेलवे, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और सामरिक क्षेत्रों के लिए भारत में पूंजीगत उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं में से एक है. यह 2100,000 वर्ग मीटर में फैला है. इस कंपनी से सिर्फ सरकार की नहीं वैसे लोगों की उम्मीदें जुड़ी है जिन्होंने अपनी जमीन देकर कंपनी को स्थापित करने में योगदान दिया है.
कब और कैसे हुई स्थापना
कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1958 को हुई थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को कंपनी को राष्ट्र को समर्पित किया था. आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस गये. वहां उन्होंने भारी मशीनें और कंपनी देखी, तो भारत में भी ऐसी कंपनी की स्थापना का विचार किया. कंपनी स्थापित करने के लिए उन्होंने रांची को चुना. पांच सालों के अंदर 15 नवंबर 1963 में इसकी शुरुआत हो गयी. उस वक्त इसे मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्री कहा गया. आज मदर ऑफ इंडस्ट्री पर संकट के बादल हैं.
देश को जब जरूरत पड़ी एचईसी ने हमेशा दिया साथ
एचईसी भारत के कई युद्ध और देश की तरक्की के लिए उठाये गये कई कदम में हमेशा साथ रहा . 1971 के युद्ध में इंडियन माउंटेन टैंक, 105 एमएम गैन बैरल का निर्माण,105 एमएम गैन बैरल का निर्माण,टी- 72 टैंक की कास्टिंग,120 एमएम गन का हीट ट्रीटमेंट और मशीनिंग ,आईएनएस राणा के लिए गियर सिस्टम का निर्माण, युद्धपोत के लिए आरमर प्लेट का निर्माण, आधुनिक रडार का निर्माण, परमाणु पनडुब्बी के महत्वपूर्ण उपकरण का निर्माण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को जिम्मेदारी के साथ निभाया है. चंद्रयान-जीएसएलवी के लिए लॉन्च पैड बनाने में भी एचईसी की भूमिका रही. रक्षा मंत्रालय से टैंकों को और बेहतर करने की जिम्मेदारी भी उठाता रहा है
सिर्फ घाटा ही नहीं मुनाफा भी दिया है एचईसी ने
सरकार का तर्क है कि एचईसी लगातार घाटे में चल रहा है. कंपनी ने वित्त वर्ष 2008-09 में 16.11 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड मुनाफा कमाया था. उस साल के पिछले वित्त वर्ष हुए 4.17 करोड़ रुपये के मुनाफे के मुकाबले यह मुनाफा 286.33 फीसदी अधिक रहा था. कंपनी को इस साल लगभग 1,671.50 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे. इससे पहले कंपनी ने 1975-76 में 2 करोड़ और 1976-77 में कंपनी ने 3.26 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था. कंपनी ने सबसे अधिक मुनाफा 1988-89 में 12 करोड़ रुपये कमाया था.
वर्ष मुनाफा
2006-07 2.86
2007-08 4.17
2008-09 18.37
2009-10 44.27
वर्ष मुनाफा
2010-11 38.14
2011-12 8.53
2012-13 12.21
2013-14 299.31
वर्ष मुनाफा
2014-15 241.68
2015-16 180.77
2016-17 82.27
कुछ सवाल रह गये
अगर एचईसी निजी हाथों में चला गया तो प्लांट बिक गया तो जमीन देने वालों का क्या होगा. हजारों लोग बेघर हो जायेंगे. इस बचाने की कोशिश तेज हो गयी है. सांसद रामटहल चौधरी ने कहा है कि गुरुवार को भाजपा के सभी सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से मिल कर ज्ञापन सौंपेंगे.एचईसी को बचाने का आग्रह करेंगे. दूसरी तरफ हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन भी सड़क पर उतरने की तैयारी में है. यूनियन के लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि सरकार घाटा बताकर बेच रही है क्या इसे खरीदने वाले लोग घाटा में चला पायेंगे.