HEC के निजीकरण के खिलाफ गोलबंद हुए भाजपा सांसद, पीएम मोदी व मंत्री गीते को लिखा पत्र
रांची : नरेंद्र मोदी सरकार के एक संभावित फैसले के खिलाफ झारखंड के भाजपा सांसदगोलबंद हो गये हैं. भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गीतेद्वारा रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के निजीकरण के संकेत देने पर झारखंड के भाजपा सांसदों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है. रांची के सांसद रामटहल चौधरी की अगुवाई में […]
रांची : नरेंद्र मोदी सरकार के एक संभावित फैसले के खिलाफ झारखंड के भाजपा सांसदगोलबंद हो गये हैं. भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गीतेद्वारा रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के निजीकरण के संकेत देने पर झारखंड के भाजपा सांसदों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है. रांची के सांसद रामटहल चौधरी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी के झारखंड के सांसदों विष्णु दयाल राम, रवींद्र कुमार राय, महेश पोद्दार, सुनील सिंह, लक्ष्मण गिलुआ, पीएन सिंहऔर रवींद्र कुमार पांडेय ने भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गंगाराम गीते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है.
प्रधानमंत्री और गीते को लिखे खत में झारखंड के सांसदों ने कहा है कि रांची के धुर्वा में स्थित एचईसी एशियाकेसबसे बड़े इंजीनियरिंगप्रतिष्ठानों में एक है. भारत सरकार इसे बेचने की बात कर रही है. इस कारखाना के लिए क्षेत्र के किसानों ने हजारों एकड़ जमीन दी थी.उन्होंनेइस उम्मीद में जमीनदीथी कि उन्हें कॉर्पोरेशन में रोजगार मिलेगा. उनके क्षेत्र का विकास होगा. उनके जीवन में बदलाव आयेगा.
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श्री चौधरी ने आगे लिखा है कि जब एचईसी की स्थापना करनी थी, उस वक्त कौड़ियों के भाव कंपनी को जमीन दी गयी थी. अब उन्हीं लोगों की उम्मीदों के विपरीत भारत सरकार राज्य के इस बड़े संस्थान को बेचने का षड्यंत्र कर रही है. रांची के सांसद ने कहा है कि यदि सरकार अपने इस फैसले पर आगे बढ़ी, तो क्षेत्र में बेतहासा बेरोजगारी बढ़ेगी. इतना ही नहीं, सरकार के प्रति जनता का विश्वास खत्म हो जायेगा. लोगों का आक्रोश भी फूट पड़ेगा.
सांसदों ने कहा है कि यदि इस संस्थान को बंद किया गया या इसका निजीकरण किया गया, तो इससे सरकार की भी भारी बदनामी होगी. सांसदों ने कहा है कि एचईसी को बंद करने की नहीं, इसके आधुनिकीकरण की जरूरत है, ताकि इसका उत्पादन बढ़े. इसके विस्तार की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले.
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रामटहल चौधरी के लेटर पैड पर लिखी गयी इस चिट्ठी में प्रधानमंत्री और भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री को बताया गया है कि सरकार के इस संकेत से क्षेत्र के लोगों में काफी आक्रोश है. यह संकेत है कि यदि राज्य के इस सबसे बड़े सरकारी उपक्रम को बंद करने या उसे निजी हाथों में सौंपने की कोशिश की गयी, तो रांची के लोग शांत नहीं बैठेंगे.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि रूस की मदद से स्थापित एचईसी देश भरके सरकारी स्टील उद्योगों के साथ-साथ, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और सामरिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए उपकरण की आपूर्ति करती है. वर्ष 1958 में स्थापित इस कंपनी ने 6 दशक की यात्रा में कई क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की है.
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करीब 21 लाख वर्ग मीटर में फैले झारखंड के इस सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थान में स्टील मेल्टिंग से लेकर, कास्टिंग, फोर्जिंग, फैब्रिकेशन, मशीनिंग, असेंबली और टेस्टिंग तक की सुविधा उपलब्ध है. एचईसी का खुद का रिसर्च एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट विंग है, जो अपने ग्राहकों की जरूरत के अनुरूप प्रोडक्ट तैयार करता है.
स्टील प्लांट के लिए स्वदेशी उपकरण बनाने के उद्देश्य से स्थापित एचईसी ने देश के कई स्टील प्लांट्स के आधुनिकीकरण और उसके विस्तार में अपना योगदान दिया है. हेवी इंजीनियरिंग उपकरण बनाने में इस कंपनी का कोई सानी नहीं है. बेहतरीन काम के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थाओं ने एचईसी को पुरस्कारों से नवाजा है.
कंपनी में लगातार घट रहे हैं कामगार
31 मार्च, 2017 की एचईसी की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि कंपनी में 1455 लोग काम कर रहे हैं. वर्ष 2016 में यह संख्या 1549, वर्ष 2015 में 1756 और वर्ष 2014 में 2034 थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि संस्थान में कामगारों की घटती संख्या से काम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.
वर्ष 2005 के बाद वर्ष 2013-14 तक मुनाफे में थी कंपनी
एचईसी की एनुअल रिपोर्ट में एक टेबल के जरिये कंपनी में उत्पादन और मुनाफे के बारे में जानकारी दी गयी है. इसके मुताबिक, वर्ष 2005-06 में कंपनी को 86.90 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. इसके बाद वर्ष 2006-07 से वर्ष 2013-14 तक एचइसी मुनाफे में था. वर्ष 2013-14 में तो इसका मुनाफा 299.31 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. यह मुनाफा वर्ष 2006-07 में महज 2.86 करोड़ रुपये थी. वर्ष 2014-15 में कंपनी का मुनाफा निगेटिव हो गया और उसे 241.68 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. वर्ष 2015-16 में नुकसान घटकर 144.77 करोड़ और वर्ष 2016-17 में 82.27 करोड़ रुपये रह गया.