रांची : सोशल मीडिया आज संवाद का सबसे सशक्त माध्यम बन गया है. यह समाजसेवा और समाज सुधार में भी उतनी ही अहम भूमिका निभा सकता है, इसके बारे में कम ही लोगसोचतेहैं. लेकिन, जिसने भी इस दिशा में सोचाऔरउस पर अमल किया, उसने अपनी मंजिलपा ली. वह लोगों के जीवन और समाज में बदलाव लाने में कामयाब रहा. झारखंड में जन्मे और पले-बढ़े धनंजय कुमार सिंह ने इस दिशा में सोचा औरउसपर आगे बढ़े. रांची में जन्मलेनेवाले धनंजय ने झारखंड (तब बिहार) के अलग-अलग जिलों में पढ़ाई-लिखाई की और आज दिल्ली एनसीआर में WhatsApp केजरिये समाज सुधार से जुड़े कई काम कर रहे हैं. उनके संगठन इंडियन सोशल सर्विसेज से 500 से ज्यादा लोग जुड़े हैं, जो वीकेंड पर अलग-अलग इलाकों में समाजसेवा करते हैं.
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अपने ग्रुप के जरिये वह लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं, तो गरीब विद्यार्थियों को मुफ्त पुस्तकें भी उपलब्ध करवा रहे हैं. लोगों से पुराने कपड़े एकत्र कर फुटपाथ पर जीवन बसर करने वाले गरीब लोगों में बांटते हैं. एक बार जब वह लोगों में कपड़े बांट रहे थे, तो एक बुजुर्ग ने उनसे कहा, ‘बेटा, तुम जैसे लोगों की वजह से ही आज इस ठंड में हम जिंदा हैं.’ धनंजय कहते हैं कि लोगों की ऐसी बातें उन्हें बल देती हैं, बेहतर काम करने का. पिछड़े लोगों के चेहरे पर खुशी देखकर उन्हें यह सुकून होता है कि चलो आज कुछ अच्छा किया.
धनंजय कहते हैं कि ग्रामीण इलाकों में रहने और सरकारी स्कूलों में पढ़ने की वजह से उन्हें गांव और सरकारी स्कूलों का दर्द पता है. इसलिए उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने समाज के लिए कुछ करने की सोची. धनंजय संघर्ष कर रहे हैं, ताकि एक ऐसे समाज का निर्माण हो सके, जहां लोग बेहतर जीवन जी सकें. इसके लिए उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है. इस ग्रुप की मदद से वह जरूरतमंद बच्चों तक किताबें पहुंचाते हैं, बेघर लोगों को कपड़े उपलब्ध कराते हैं. इतना ही नहीं, बेरोजगार लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था भी करते हैं.
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बीबीए, एमबीए, एससीएम, पीएम और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद धनंजय ने कई बड़ी कंपनियों में काम किये. इस वक्त वह सिंगापुर की क्लाउड सॉफ्टवेयर कंपनी डेस्केरा प्राइवेट लिमिटेड में बिजनेस कंसल्टेंट हैं. इसके पहले उन्होंने करीब 12 साल तक टैली सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया. बिजनेस परफॉर्मेंस कंसल्टेंट धनंजय कुमार सिंह अपना वीकेंड अध्ययन और समाज सेवा में बिताते हैं.
वर्ष 2013 से वह ओल्ड बुक बैंक चला रहे हैं. यहां उन बच्चों को पुरानी पुस्तकें उपलब्ध करायी जाती हैं, जो किताबें खरीद नहीं सकते. धनंजय की इस योजना से हर साल 1,000 से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित होते हैं.
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वर्ष 2015 से वह नोएडा में WhatsApp पर एक जॉब्स ग्रुप चला रहे हैं. ग्रुप में सदस्यों की अधिकतम संख्या 256 हो गयी, तो उन्होंने वर्ष 2016 में टेलीग्राम एप्लीकेशन पर एक अन्य ग्रुप तैयार किया. इसके 1,200 सदस्य हैं. धनंजय के इस ग्रुप में हर दिन 15-20 लोगों की जरूरत से जुड़े पोस्ट आते हैं.
अलग-अलग जगहों पर करीब 5,000 आईटी पार्टनर्स और 10,000 चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के साथ काम कर चुके धनंजय पार्टनर फार्मिंग और विक्रेताओं को बाजार तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं. रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज और आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई करने वाले धनंजय का मानना है कि आपका नेटवर्क ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है.