रांची : लातेहार के एक बीपीएल मरीज को 9.85 लाख रुपये बिल का भुगतान नहीं करने पर कई दिनों तक मेदांता अस्पताल ने अघोषित रूप से बंधक बना रखा था. prabhatkhabar.com (प्रभात खबर डॉट कॉम) की रिपोर्ट पर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने संज्ञान लिया. अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया.फलस्वरूपअस्पतालने आनन-फानन में मरीज को डिस्चार्ज कर दिया. मुख्यमंत्री की इस त्वरित कार्रवाई की चौतरफा प्रशंसा हो रही है. राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने त्वरित कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. साथ ही उम्मीद जाहिर की कि इस मामले का पटाक्षेप हो गया होगा.
Hope it's over now. Thanks to CM https://t.co/ibsSg3UqAq
— Mahesh Poddar (@maheshpoddarmp) February 11, 2018
राज्यसभा सांसद के ट्वीट पर कई लोगों की प्रतिक्रियाएं आयीं. इसमें से कुछ लोगों ने सीएम को भी ट्वीट किया था और अस्पतालों की दुर्दशा के बारे में जानकारी दी. साथ ही निजी अस्पतालों की मनमानी के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अपील भी की. वहीं, @nitnaz ने इस रिपोर्ट को पब्लिश करने के लिए प्रभात खबर डॉट कॉम की तारीफ की.उन्होंने लिखा, ‘धन्यवाद प्रभात खबर. आप पेड मीडिया नहीं हैं. हां, आप दुनिया को बचा रहे हैं.’
Thank you prabhat khabar.
You are not paid media….yes u r saving duniya.— A* (@nitnaz) February 8, 2018
बिमलेश कुमार शर्मा ने लिखा, ‘सर, धनबाद के पीएमसीएच अस्पताल में जहां गर्भवती महिलाएं जाती हैं, वहां का हाल चुपचाप पता कीजिये. इस बात का एहसास हो जायेगा कि हम कितने पीछे हैं.’ बिमलेश आगे लिखते हैं, ‘आपने अस्पताल खुलवा दिये. यहां काम करने वाले लोगों को सैलरी भी मिल जाती है. पर क्या वहां सब ठीक चल रहा है?’
अंशुमान ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए ऐसी घटनाओं को शर्मनाक करार दिया. उन्होंने कहा अस्पताल का लाइसेंस रद्द करें और अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार करें. लेकिन, क्या चुनावी वर्ष में सरकार ऐसा करने का साहस दिखा पायेगी? अंशुमान ने सरकार को सलाह दी कि दूसरे अस्पतालों में क्या हो रहा है, उसके बारे में भी जानकारी जुटा लें.
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राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए अंशुमान आगे लिखते हैं कि धनबाद जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है. रघुवर दास सरकार के सत्ता संभालने के बाद भी कुछ नहीं बदला. सारी सुविधाएं सिर्फ रांची और जमशेदपुर के लिए?
विकास गुप्ता ने मेदांता की हरकत को शर्मनाक बताया. उन्होंने कहा है कि ऐसे कॉर्पोरेट अस्पतालों के खिलाफ वह लगातार संघर्ष कर रहे हैं. 25 जनवरी, 2018 को रांची के लालपुर क्षेत्र में स्थित ऑर्किड अस्पताल में भी ऐसा ही मामला हुआ था. प्रधान सचिव को पूरे मामले की जानकारी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. रानी हॉस्पिटल भी लोगों को लूटता है.
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विकास के इस ट्वीट पर मेदांता – द मेडिसिटी ने उनसे संपर्क का पूरा विवरण मांगा. इस पर विकास गुप्ता ने लिखा, ‘क्या हमें बतायें कि हम लोगों को यह बतायें कि आपके अस्पताल या नारायण हृदयालय व अन्य कॉर्पोरेट अस्पतालों में जाने से पहले अपना जीवन बीमा करवा लें.’
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि बीपीएल कार्डधारी लातेहार के किसान अयूब को मेदांता में भर्ती करवाना पड़ा था. अस्पताल ने इलाज का खर्च सवा लाख रुपये के आसपास बताया. मरीज के परिजनों ने पैसे जमा करवा दिये. बाद में अस्पताल के कर्मचारियों की गलती से अयूब की हालत बिगड़ गयी और उसे लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा. मरीज को रिलीज करते समय परिजनों को 9.85 लाख रुपये से अधिक का बिल थमा दिया. बिल का भुगतान करने में असमर्थता जताने पर अयूब के परिजनों पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी अस्पताल प्रबंधन ने दी थी. तब थक-हारकर अयूब के बेटे मोहम्मद इमदाद ने मुख्यमंत्री और सोशल मीडिया पर अस्पताल प्रबंधन की करतूत का खुलासा किया था.