झारखंड में बड़े हमले की फिराक में नक्सली? बूढ़ा पहाड़ से भागा सुधाकरण और अरविंद
रांची : झारखंड सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2018 में राज्य से नक्सलवाद का नाम-ओ-निशान मिटा देना है. राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान इस अभियान में जुटे हुए भी हैं. नक्सलियों के हर ठिकाने की गहन निगरानी की जा रही है और जहां भी पता चलता है, अभियान चलाकर उनका […]
रांची : झारखंड सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2018 में राज्य से नक्सलवाद का नाम-ओ-निशान मिटा देना है. राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान इस अभियान में जुटे हुए भी हैं. नक्सलियों के हर ठिकाने की गहन निगरानी की जा रही है और जहां भी पता चलता है, अभियान चलाकर उनका खात्मा किया जा रहा है. लेकिन, झारखंड पर बड़े नक्सली हमले का खतरा मंडरा रहा है. सूत्र बताते हैं कि नक्सली थिंक टैंक सुधाकरण और अरविंद जिस तरह से बूढ़ा पहाड़ से अचानक भागे हैं, उससे इसके संकेत मिल रहे हैं.
आमना-सामना होने पर सुरक्षा बल नक्सिलयों को सरेंडर करने का मौका देते हैं. नहीं माने, तो उनके सीने में गोलियां उतार देते हैं. लेकिन, सुधाकरण और अरविंद को पकड़ने में सुरक्षा बलों के पसीने छूट रहे हैं. उनकी नाक के नीचे से नक्सली नेता सुधाकरण और अरविंद भाग गये और उनकी घेराबंदी करने के लिए तैनात बलों को इसकी भनक तक नहीं लगी. आशंका जतायी जा रही है कि अरविंद और सुधाकरण का पहाड़ से भागना, किसी बड़े खतरे का संकेत हो सकता है.
इसे भी पढ़ें : अब सुधाकरण और उसकी पत्नी नीलिमा के खिलाफ पोस्टर वार
बताया जाता है कि करीब दो साल से नक्सलियों ने झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को अपना ठिकाना बना रखा है. 100-150 नक्सलियों को पकड़ने के लिए बूढ़ा पहाड़ के आसपास 500 से अधिक जवानों ने घेर डाल रखा है. बावजूद इसके, अरविंद और सुधाकरण को उसके गुर्गे आसानी से बचा ले गये. इस पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी अरविंद, सुधाकरण, छोटू खरवार, नवीन यादव, संदीप यादव समेत कई टॉप माओवादियों के होने की जानकारी पुलिस को मिलती रही है.
पुलिस इनकी घेराबंदी करने की कोशिश शुरू ही करती है कि नक्सली अपने शीर्ष नेता को यहां से अन्यत्र शिफ्ट कर देते हैं. इस बार भी ऐसा ही हुआ. बताया जाता है कि सुधाकरण और उसके सहयोगी पहाड़ से नीचे उतर चुके हैं. झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ इलाके से टॉप माओवादी कमांडर भाग गये हैं. पुलिस की मानें, तो ये शीर्ष माओवादी कमांडर अपने दस्ते के साथ गुमला और बिहार के गया की तरफ चले गये हैं.
इसे भी पढ़ें : सुधाकरण का भाई व सहयोगी रिमांड पर
सुधाकरण के साथ उसकी पत्नी नीलिमा और सहयोगी विश्वनाथ उर्फ संतोष भी है. नीलिमा और विश्वनाथ पर भी 25-25 लाख रुपये के इनाम घोषित हैं. खबर है कि नक्सली सारंडा इलाके में जाने की फिराक में हैं. सुधाकरण और उसके साथियों का लोकेशन गुमला में मिल रहा है, तो एक अन्य नक्सली समूह का लोकेशन लातेहार बता रहा है.
नक्सलियों का सफाया कर पहाड़ को आजाद करा लेने का वादा करने वाली पुलिस की मौजूदगी के बीच सुधाकरण का निकल जाना पुलिसिया अभियान पर भी सवाल खड़े कर रहा है. वहीं, लोगों के मन में यह भी सवाल उठ रहा है कि माओवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में तो नहीं?