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झारखंड : शिक्षा विभाग ने जैक को भेजा मार्गदर्शन, 12वीं तक के मदरसों के लिए जरूरी 20 कट्ठा जमीन

II सुनील कुमार झा II रांची : राज्य के 186 मदरसे की जांच के लिए मापदंड का निर्धारण कर दिया गया है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इस संबंध में झारखंड एकेडमिक काउंसिल को मार्गदर्शन भेज दिया है. राज्य में 186 अराजकीय मदरसे वर्ष 1980 से पहले से संचालित हैं. इन मदरसों के भौतिक […]

II सुनील कुमार झा II
रांची : राज्य के 186 मदरसे की जांच के लिए मापदंड का निर्धारण कर दिया गया है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इस संबंध में झारखंड एकेडमिक काउंसिल को मार्गदर्शन भेज दिया है.
राज्य में 186 अराजकीय मदरसे वर्ष 1980 से पहले से संचालित हैं. इन मदरसों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने झारखंड एकेडमिक काउंसिल को भेजी है. इसमें मौलवी (12वीं) स्तर तक के मदरसा के लिए 20 कट्ठा जमीन मदरसा के नाम से होना अनिवार्य है. शहरी क्षेत्र में इसमें 50 फीसदी की छूट दी जा सकती है.
भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट के आधार पर इन मदरसों की स्थिति की समीक्षा की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने इस संबंध में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से मार्गदर्शन मांगा था. जैक ने विभाग से पूछा था कि वर्ष 1980 से पहले से संचालित मदरसे की जांच किस आधार पर की जाये. इसके लिए कोई मापदंड उपलब्ध नहीं है. जैक के पास इन मदरसों के संचालन के कोई कागजात नहीं हैं. इस मामले में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने जैक को दिशा-निर्देश भेज दिया है. इसमें कहा गया है कि इन मदरसों के भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट की समीक्षा के लिए बिहार सरकार द्वारा वर्ष 1980 में अराजकीय मदरसों के वर्गीकरण, उनकी प्रस्वीकृति की शर्त और उनमें शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मियों को लेकर बनायी गयी नियमावली को आधार बनाया जाये. उल्लेखनीय है राज्य गठन के बाद झारखंड में भी 1980 की नियमावली को ही आधार बनाकर मदरसों को मान्यता दी जाती है.
1980 से पहले से संचालित मदरसा के लिए मापदंड निर्धारित नहीं था
अब इन मापदंडों को करना होगा पूरा
जमीन : वस्तानियां (कक्षा एक से आठ) तक के मदरसा के लिए पांच कट्ठा, फौकानियां (कक्षा एक से दस ) व मौलवी (कक्षा एक से 12वीं ) तक के लिए न्यूनतम 20 कट्ठा जमीन मदरसा के नाम से निबंधित होना अनिवार्य है. शहरी क्षेत्र में भूमि के रकबा में 50 फीसदी तक की छूट दी जा सकती है.
भवन : वस्तानिया के छह वर्ग कक्ष, फौकानियां के लिए दस वर्ग कक्ष व मौलवी स्तर के मदरसा के लिए 12 वर्ग कक्ष होना अनिवार्य है. फौकानियां तथा मौलवी स्तर के मदरसा में प्रधान मौलवी के लिए कार्यालय, सहायक मौलवी के लिए कॉमन रूम व लिपिक के लिए कार्यालय का होना अनिवार्य है. वर्ग कक्ष न्यूनतम 300 वर्ग फिट का होना चाहिए. फौकानियां व ऊपर के स्तर के मदरसों का भवन पक्का होना चाहिए.
पुस्तकालय : फौकानियां एवं मौलवी स्तर के मदरसा के लिए पुस्तकालय में कम से कम 1500 रुपये का पुस्तक होना अनिवार्य है. इसके अलावा अन्य शर्त भी निर्धारित है.
क्यों हो रही मदरसों की जांच
शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव के निर्देश पर पिछले वर्ष जुलाई में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी उपायुक्त को एक सप्ताह में जिले के सभी अराजकीय मदरसों का भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट देने को कहा था. इस क्रम में इस बात पर ध्यान देने को कहा गया था कि संस्थान द्वारा तय मानक का पालन किया जा रहा है अथवा नहीं. जांच टीम में अनुमंडल स्तर से नीचे के पदाधिकारी को शामिल नहीं करने को कहा गया था. अब उपायुक्त की जांच रिपोर्ट की जैक समीक्षा करेगा. उल्लेखनीय है कि जांच प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण दस माह से मदरसा के शिक्षकों को वेतन नहीं मिला है. झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन की मांग
झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव हामिद गाजी ने कहा कि 1980 से पहले से संचालित मदरसा के लिए मापदंड निर्धारित नहीं था. ऐसे में जब 1980 के नियमावली के आधार पर मदरसों की स्थिति की समीक्षा की जा रही है, तो सर्व शिक्षा अभियान के तहत मदरसों के भवन बनाने के लिए राशि दी जाये. जो कर्मचारी मानक को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें समय देते हुए सशर्त उनका वेतन भुगतान किया जाये.

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