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झारखंड के डीजीपी ने हरियाणा के डीजीपी से की बात, बच्चियों के बयान की मांगी है कॉपी…जानें पूरा मामला
बड़े पुलिस अफसर के परिजनों के चंगुल से भागी नाबालिगों के मामले ने तूल पकड़ा रांची : आये दिन झारखंड पुलिस किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहती है. इस बार कम उम्र के बच्चियों से मारपीट कर उनसे जबरन घर में काम कराने के मामले में एक वरीय अफसर पर अंगुली उठ रही […]
बड़े पुलिस अफसर के परिजनों के चंगुल से भागी नाबालिगों के मामले ने तूल पकड़ा
रांची : आये दिन झारखंड पुलिस किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहती है. इस बार कम उम्र के बच्चियों से मारपीट कर उनसे जबरन घर में काम कराने के मामले में एक वरीय अफसर पर अंगुली उठ रही है.
क्योंकि पंचकुला के सेक्टर-6 स्थित जिस 57 नंबर कोठी में बच्चियों से काम कराया जाता था, वह झारखंड में पदस्थापित एक वरीय पुलिस अफसर के परिजनों का बताया जाता है. इस मामले में अंबाला के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और रांची की तुपुदाना ओपी पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं. मामले की गंभीरता को देखते ही झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय ने भी हरियाणा के डीजीपी बीएस संधू से बात की है. पांडेय ने रांची के तुपुदाना ओपी क्षेत्र के डहू गांव निवासी उन दोनों बच्चियों के बयान की कॉपी संधू से मांगी है, जिन्हें अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन से छह फरवरी की रात रेस्क्यू किया गया था.
सवालों के घेरे में अंबाला सीडब्ल्यूसी और रांची पुलिस की कार्यशैली
झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि मामले में अंबाला की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी और तुपुदाना ओपी पुलिस की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. क्योंकि बच्चियों को अंबाला रेलवे स्टेशन के महिला वेटिंग रूम से बरामद किया गया था.
वहां की जीआरपी ने दोनों बच्चियों को अंबाला के चाइल्ड लाइन को सौंपा. चाइल्ड लाइन ने दोनों को अंबाला की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष पेश किया. कमेटी ने दोनों बच्चियों के लिए जगह नहीं होने की बात कहते हुए पंचकुला भेज दिया. फिर तीन दिनों बाद दोनों बच्चियों को वापस अंबाला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी लाया गया. यहां पर दोनों बच्चियों के पिता को लेकर वही तस्कर पहुंचा था, जिसने बच्चियों को अफसर के रिश्तेदार के यहां पहुंचवाया था. चाइल्ड वेलफेयर कमेटी अंबाला ने दोनों बच्चियों को रांची के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करने की जगह तस्कर को ही सौंप दिया. मामले में जानकारी होने पर तुपुदाना पुलिस ने भी जांच की, लेकिन बच्चियों को रांची चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष मंगलवार तक पेश नहीं किया.
10 साल की तीसरी बच्ची को भी पहुंचा दिया : कुजूर
झारखंड राज्य चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की अध्यक्ष आरती कुजूर ने कहा कि पूछताछ में बच्चियों और उनके परिजनों ने कहा कि चांद गांव का भौवा उनको लेकर गया था. दो बच्ची प्रताड़ना से तंग आकर भागी. मामला उजागर होने के बाद भौवा ने चुपचाप 10 साल की तीसरी बच्ची, जो कि आरोपी के चंडीगढ़ स्थित घर में काम कर रही थी, उसे तुपुदाना ओपी क्षेत्र के घर पर पहुंचा दिया. इनमें से एक बच्ची दोबारा ट्रैफिकिंग की शिकार हुईं हैं.
उन्होंने तीनों बच्चियों के मामले में रांची एसपी से अब तक की गयी कार्रवाई के संबंध में सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी है. मामले की जांच के दौरान उनके साथ पंचायत समिति सदस्य अंजली लकड़ा, मुखिया प्रतिनिधि गणेश तिग्गा, वार्ड सदस्य सीमांती मिंज और ग्रामसभा के सदस्य थे.
बच्चियों को पीटा जाता था, इसलिए वह घर से भागी
अध्यक्ष ने कहा कि जो बच्चियां घर से भागी है उनके मुताबिक वे लोग किशन पाल्टा, सुनैना पाल्टा, राजीव पाल्टा और विराट पाल्टा के घर में काम करती थीं. पूछताछ में दोनों बच्चियों ने बताया कि जिस घर में वे काम करती थीं, वह तीन तल्ले का है. सुबह सात बजे से रात के 11 बजे तक उनसे काम कराया जाता था. काम नहीं करने पर मारपीट की जाती थी. इसी वजह से वे लोग घर से रात के अंधेरे में भागी.
अंबाला सीडब्ल्यूसी पर होनी चाहिए कार्रवाई : ऋषिकांत
मामले की जांच करने को लेकर स्वयंसेवी संस्था शक्तिवाहिनी के ऋषिकांत भी रांची पहुंचे. उन्होंने कहा कि अंबाला डीसी शरणदीप बारा के निर्देश पर वे दोनों बच्चियों के मामले मेें उनके फैमिली बैकग्राउंड सहित अन्य जानकारियां एकत्र करने आये हैं. इसके लिए उन्होंने तुपुदाना ओपी की पुलिस से संपर्क किया लेकिन पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी. इसलिए उन्होंने रांची के डीसी और एसएसपी से जानकारी मांगी है.
उन्होंने कहा कि सीडब्ल्यूसी अंबाला के ऊपर भी कार्रवाई होनी चाहिए. क्योंकि बिना फैमिली वेरीफिकेशन रिपोर्ट के कैसे बच्चियों को तस्करों के हवाले कर दिया गया. जबकि बच्चियाें को रांची सीडब्ल्यूसी के सुपुर्द किया जाना चाहिए था. मामले में अंबाला डीसी ने कहा कि केस को सीडब्ल्यूसी देख रही है.
पंचकुला के सेक्टर छह, कोठी संख्या 57 से दोनों लड़कियां भागकर अंबाला कैंट गयी थी. वहां पर जीआरपी ने बच्चियों को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द किया. चाइल्ड लाइन ने दोनों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश किया. बच्चियों के बयान से जब पता चला कि मामला हाइप्रोफाइल है, तो अंबाला सीडब्ल्यूसी ने मामले को पंचकुला सीडब्ल्यूसी को सुपुर्द कर दिया.
परमजीत सिंह बलौटा, सदस्य, राज्य बाल संरक्षण आयोग, हरियाणा
चाइल्ड लाइन अंबाला में जगह नहीं होने के कारण दोनों बच्चियों को पंचकुला चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पास भेजा गया था. तीन दिन बाद उन्हें वापस बुलाकर उनके पिता को सौंप दिया गया था. मामले को अभी क्लोज नहीं किया गया है. जांच चल रही है. जल्द ही मामले का खुलासा कर लिया जायेगा.
मोहित अग्रवाल, सदस्य, चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, अंबाला
मामले में झारखंड के डीजीपी डीके पांडेय ने भी मुझसे बात कर जानकारी मांगी है. उन्होंने रांची के तुपुदाना ओपी क्षेत्र के डहू गांव निवासी बच्चियों के बयान की कॉपी मांगी है. मैं मामले को देख रहा हूं.
बीएस संधू, डीजीपी, हरियाणा
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