रांची : चार राज्यों में लागू नियोजन नीति का कल अध्ययन करेगी कमेटी

गैर अनुसूचित जिलों में आरक्षण की कानूनी पहलुओं पर होगा मंथन रांची : स्थानीय व नियोजन नीति की समीक्षा को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय समिति 16 फरवरी को चार राज्यों छत्तीसगढ़, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल व मध्यप्रदेश में लागू नियोजन नीति का अध्ययन करेगी. समिति की बैठक भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2018 8:44 AM
गैर अनुसूचित जिलों में आरक्षण की कानूनी पहलुओं पर होगा मंथन
रांची : स्थानीय व नियोजन नीति की समीक्षा को लेकर राज्य सरकार की ओर से गठित उच्चस्तरीय समिति 16 फरवरी को चार राज्यों छत्तीसगढ़, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल व मध्यप्रदेश में लागू नियोजन नीति का अध्ययन करेगी. समिति की बैठक भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी के कार्यालय में दिन के 11 बजे से होगी. इसमें राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों में आरक्षण की कानूनी पहलुओं पर मंथन किया जायेगा.
ज्ञात हो कि भाजपा के 24 विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर स्थानीय व नियोजन नीति में संशोधन का आग्रह किया है. इसमें कहा गया है कि जिस प्रकार राज्य के 13 अनुसूचित जिलों में तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नियुक्तियों को अगले 10 वर्षों के लिए उस जिलों के जनजाति व मूलवासी के लिए आरक्षित कर दिया गया है, उसी प्रकार राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों में भी प्रावधान किया जाये. इसको लेकर सरकार ने भू राजस्व मंत्री अमर बाउरी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय कमेटी गठित की है. कमेटी की पहली बैठक सात फरवरी को नेतरहाट में हुई थी. इसमें पड़ोसी चार राज्यों में लागू नियोजन नीति से संबंधित प्रति मंगाने का निर्देश दिया गया था.
मंत्री अमर बाउरी के कार्यालय में होगी समिति की बैठक
गैर अनुसूचित जिलों में शत प्रतिशत आरक्षण में आयेगी कानूनी अड़चन
इधर, कानूनविदों के अनुसार राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों में शत प्रतिशत पद को स्थानीय के लिए आरक्षित करने में कानूनी अड़चन पैदा हो सकती है. इनका कहना है कि किसी भी क्षेत्र में पिछड़ापन व अति पिछड़ापन हो, तो किसी समूह या किसी पिछड़े वर्ग की नियुक्ति में 50 प्रतिशत से अधिक पदों पर आरक्षित करने का प्रावधान किया जा सकता है.
यद्यपि निवास स्थान के नाम पर ऐसा आरक्षण संसद द्वारा बनाये गये कानून के आधार पर हो सकता है. यदि कोई वर्ग पिछड़ा हो और सरकारी नियुक्तियों में उस पिछड़े वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा हो, तो सरकार नियुक्तियों के संबंध में आरक्षण करने का प्रावधान कर सकती है. परंतु पिछड़ापन को आधार नहीं मानते हुए सिर्फ स्थानीयता अथवा जन्म स्थान के आधार पर नियुक्तियों में आरक्षण किये जाने का प्रावधान सिर्फ संसद के द्वारा बनाये गये कानून से ही हो सकता है. इसको लेकर संविधान के अनुच्छेद 16 (3) व (4) में प्रावधान किया गया है. संविधान के इस प्रावधान को देखते हुए कमेटी ने दूसरे राज्यों में लागू नियोजन नीति से संबंधित कॉपी मंगायी है.
कौन-कौन हैं कमेटी में : कमेटी में मंत्री अमर बाउरी, विधायक राधाकृष्ण किशोर, सत्येंद्र नाथ तिवारी, राज सिन्हा, अमित मंडल और कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे शामिल हैं. बाद में मुख्यमंत्री के आदेश से भाजपा विधायक रामकुमार पाहन को भी कमेटी में शामिल किया गया है.

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