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झारखंड : राज्य के 9000 विद्यालयों को निकट के दूसरे विद्यालयों में मर्ज करने की तैयारी, पारा शिक्षकों का आंदोलन शुरू

II सुनील कुमार झा II रांची : राज्य के नौ हजार विद्यालय को निकट के दूसरे विद्यालय में मर्ज किया जा सकता है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. विभाग द्वारा तैयार की गयी प्रारंभिक रिपोर्ट में लगभग नौ हजार ऐसे विद्यालय पाये गये हैं, जो निर्धारित मापदंड को […]

II सुनील कुमार झा II
रांची : राज्य के नौ हजार विद्यालय को निकट के दूसरे विद्यालय में मर्ज किया जा सकता है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. विभाग द्वारा तैयार की गयी प्रारंभिक रिपोर्ट में लगभग नौ हजार ऐसे विद्यालय पाये गये हैं, जो निर्धारित मापदंड को पूरा नहीं करते हैं.
इन विद्यालयों में अब भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. विभाग द्वारा विद्यालयों के भौतिक सत्यापन के लिए कमेटी गठित की गयी है. कमेटी मार्च के अंतिम सप्ताह तक अपनी रिपोर्ट विभाग को देगी. इसके बाद विभागीय स्तर पर रिपोर्ट का अध्ययन किया जायेगा. जिन विद्यालयों को मर्ज करने की तैयारी की जा रही है, उनमें वैसे विद्यालय शामिल हैं, जहां बच्चों का नामांकन काफी कम है. विभाग द्वारा निर्धारित मानक से कम दूरी पर विद्यालय स्थित है. सरकार ने ऐसे विद्यालयों का पुनर्गठन कर संचालित करने का निर्णय लिया है.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में भी सरकार द्वारा लगभग 1200 प्राथमिक व मध्य विद्यालयों को निकटतम विद्यालयों में मर्ज किया गया था. विद्यालयों को मर्ज करने का अंतिम निर्णय प्रखंड व जिला स्तर पर गठित जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति द्वारा लिया जायेगा. विद्यालयों को मर्ज किये जाने के बाद खाली हुए भवन के उपयोग के बारे में भी विभाग द्वारा निर्देश जारी किया गया है. विभागीय पत्र में कहा गया है कि इन भवनों में अनौपचारिक शिक्षा केंद्र, सीआरसी, आंगनबाड़ी केंद्र खोले जा सकते हैं. इसके अलावा आवश्यकता अनुरूप अन्य सरकारी कार्य के लिए भी भवन आवंटित किया जा सकता है.
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने विद्यालयों के विलय का तय किया मापदंड
नहीं जायेगी एक भी शिक्षक की नौकरी : शिक्षा सचिव
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने कहा है कि विद्यालयों के पुनर्गठन के बाद कार्यरत एक भी शिक्षक, रसोइया या अन्य कर्मचारी की सेवा समाप्त नहीं होगी. विद्यालय को जिस विद्यालय में मर्ज किया जायेगा, उसकी सेवा नये विद्यालय को सौंप दी जायेगी. इसके अलावा अगर उक्त विद्यालय में शिक्षक अधिक होंगे, तो शिक्षक को दूसरे निकटतम विद्यालय में आवश्यकता अनुरूप पदस्थापित किया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में पहले से ही शिक्षकों की कमी है. विद्यालयों में शिक्षकों की आवश्यकता है.
विद्यालयों के भौतिक सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी विद्यालयों को मर्ज करने का निर्णय राज्य स्तर पर नहीं, बल्कि प्रखंड व जिला स्तर पर लिया जायेगा. विद्यालयों के पुनर्गठन का निर्णय जिला में उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला प्रारंभिक शिक्षा समिति के द्वारा लिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि अगर किसी विद्यालय में बच्चों की संख्या कम हैं, पर उस विद्यालय की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है कि बच्चे एक किलोमीटर दूर दूसरे विद्यालय जा सकें, तो ऐसे विद्यालयों को मर्ज नहीं किया जायेगा. विद्यालयों को मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है, इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
विद्यालयों को मर्ज करने का विरोध
पारा शिक्षकों का आंदोलन शुरू, सौंपा गया मांग पत्र
रांची : एकीकृत पारा शिक्षक माेर्चा का आंदोलन गुरुवार से शुरू हो गया. आंदोलन के पहले चरण में राज्य भर के पारा शिक्षकों ने अपने-अपने क्षेत्र के विधायक को मांग पत्र सौंपा. मोर्चा के संजय दूबे ने बताया कि स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग बड़े पैमाने पर विद्यालयों को बंद करने की तैयारी कर रहा है. इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारी की सेवा को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है. आंदोलन के अगले चरण में पारा शिक्षक 17 फरवरी को प्रखंड मुख्यालय पर धरना देंगे.
धरना के पश्चात मुख्यमंत्री के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र सौंपेंगे. 21 फरवरी को सभी सांसद को ज्ञापन सौंपेंगे. 24 फरवरी को सभी जिला मुख्यालय पर धरना देेंगे व मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे.
इसके बाद भी अगर पारा शिक्षकों की मांग पूरी नहीं हुई, तो आगे के आंदोलन की घोषणा की जायेगी. उल्लेखनीय है कि राज्य के तीन अलग-अलग पारा शिक्षक संगठनों ने मिल कर एकीकृत पारा शिक्षक मोर्चा का गठन किया है. एकीकृत पारा शिक्षक मोर्चा के संजय दुबे, हृषिकेश पाठक, मो सलीम समेत अन्य पदाधिकारियों ने अलग-अलग विधायकों को ज्ञापन सौंपा.

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