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ये है न्याय का नया भवन ””झारखंड हाइकोर्ट””, बनकर हुआ तैयार, अप्रैल में हो सकता है उदघाटन

झारखंड हाइकोर्ट का नया भवन बनाने का सपना करीब आठ साल पहले देखा गया था, जो साकार होने जा रहा है. धुर्वा स्थित एचइसी परिसर के प्रस्तावित कोर कैपिटल एरिया में झारखंड हाइकोर्ट की भव्य ग्रीन बिल्डिंग बनकर लगभग तैयार है. अप्रैल में इसका उदघाटन प्रस्तावित है. हाइकोर्ट प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी […]

झारखंड हाइकोर्ट का नया भवन बनाने का सपना करीब आठ साल पहले देखा गया था, जो साकार होने जा रहा है. धुर्वा स्थित एचइसी परिसर के प्रस्तावित कोर कैपिटल एरिया में झारखंड हाइकोर्ट की भव्य ग्रीन बिल्डिंग बनकर लगभग तैयार है. अप्रैल में इसका उदघाटन प्रस्तावित है.
हाइकोर्ट प्रशासन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी हैं. उम्मीद है कि ग्रीष्मावकाश के बाद नयी बिल्डिंग में हाइकोर्ट का कार्य शुरू हो जायेगा…..
रांची : कोर कैपिटल एरिया में झारखंड हाइकोर्ट का दायरा करीब आठ एकड़ में फैला है. इसके अंदर बनी नयी ग्रीन बिल्डिंग का दायरा लगभग 10 लाख वर्ग फीट है. भवन के निर्माण में 264 करोड़ रुपये की लागत आयी है. इसी साल अप्रैल में इसका उदघाटन प्रस्तावित है.
यही वजह है कि इंजीनियर, कारीगर और मजदूर दिन-रात इस बिल्डिंग को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. इसके तहत एडवोकेट्स हॉल, एडवोकेट्स चेंबर, एजी अॉफिस, हाइकोर्ट रजिस्ट्री शाखा अॉफिस, कोर्ट रूम आदि की फिनिशिंग का काम जोर-शोर से चल रहा है. प्रवेश द्वार से हाइकोर्ट तक जानेवाली सड़क का निर्माण कार्य भी जारी है. यहां तीन फव्वारे भी बनाये जा रहे हैं. कोशिश की जा रही है कि बिल्डिंग के उदघाटन से पहले यहां 17 कोर्ट रूम पूरी तरह से तैयार हो जायें.
इस तरह शुरू हुआ नया भवन बनाने का सफर
एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट के अध्यक्ष सह झारखंड सरकार के अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने वर्ष 2010 में झारखंड हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया था. इसमें मांग कहा गया था कि एचइसी ने राज्य सरकार को 2400 एकड़ जमीन दी है. इसमें से 300 एकड़ जमी न हाइकोर्ट की नयी बिल्डिंग के लिए दी जानी चाहिए. इस याचिका पर सुनवाई लंबे समय तक चली. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने नगड़ी अंचल के तिरिल मौजा में 165 एकड़ जमीन हाइकोर्ट के नये भवन के निर्माण के लिए आवंटित किया.
कोर्ट के आदेश पर ही इस पूरी जमीन की घेराबंदी के लिए चहारदीवारी का निर्माण किया गया. नाै फरवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने हाइकोर्ट के नये भवन की आधारशिला रखी थी, जबकि निर्माण कार्य 18 जून 2015 से शुरू किया गया. इस ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण का सपना तय समय सीमा के अंदर पूरा कराने में झारखंड हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल की उल्लेखनीय भूमिका रही है.
अधिवक्ताओं के लिए दो ब्लॉक में 540 चेंबर
इस ग्रीन बिल्डिंग में हाइकोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं समेत सभी अधिवक्ताओं के बैठने के लिए पर्याप्त जगह की व्यवस्था की गयी है. इसके लिए कोर्ट बिल्डिंग के आगे दायें-बायें दो ब्लॉक बनाये गये हैं. दोनों ब्लॉक में 288-288 चेंबर यानी कुल 540 एडवोकेट चेंबर बनाये गये हैं. दोनों ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर में वरीय अधिवक्ताओं के लिए नाै फीट गुणा 12 फीट (अलग से अटैच कीचन व टॉयलेट भी) वाले 76 चेंबर बनाये गये हैं. अन्य अधिवक्ताओं के लिए 11 फीट गुणा 12 फीट के चेंबर बनाये गये हैं. अधिवक्ताओं के बैठने के लिए दोनों ब्लॉक में एक-एक बड़ा हॉल बनाया गया है, जिसमें टेबल-कुर्सी सहित 2,500 अधिवक्ता के बैठने की पूरी व्यवस्था रहेगी. एक हॉल में 1250 एडवोकेट्स बैठेंगे. चेंबर कक्ष, हॉल का फिनिशिंग कार्य अंतिम चरण में है. आग से बचाव के लिए यहां फायर फाइंटिंग लगा दिया गया है.
मुख्य बिल्डिंग के ग्राउंड प्लोर में रजिस्ट्री शाखा
मुख्य कोर्ट बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर में रजिस्ट्री शाखा के विभिन्न कार्यालय तैयार किये जा रहे हैं. प्रथम तल पर जाने के लिए यहां स्वचालित सीढ़ी (एस्केलेटर) लगायी जा रही हैं, जिससे अधिवक्ता और अन्य लोग कोर्ट रूम में जा सकेंगे.
वातानुकूलित 25 कोर्ट रूम हो रहे तैयार
मुख्य बिल्डिंग में 25 वातानुकूलित कोर्ट रूम बन रहे हैं. 24 न्यायाधीशों के लिए तथा एक मुख्य न्यायाधीश के लिए कोर्ट रूम बनाया गया है. प्रथम तल पर दाये-बायें छह-छह कोर्ट रूम बने हैं. इतने ही कोर्ट रूम द्वितीय तल पर भी बनाये गये हैं. प्रत्येक कोर्ट रूम में इजलास, न्यायाधीश का चेंबर, एंटी रूम, टायलेट व पीए का कमरा बनाया गया है. एक कोर्ट रूम की लंबाई 60 फीट गुणा चौड़ाई 43 फीट है. कोर्ट रूम की फिनिशिंग का भी काम जारी है.
झारखंड का गौरव
रंग लाया अधिवक्ताओं के आठ साल का प्रयास
ग्रीष्मावकाश के बाद नयी बिल्डिंग में हाइकोर्ट का कार्य शुरू हो जाने की उम्मीद
भवन के फिनिशिंग का काम जोरों पर, रात-दिन लगे हुए हैं सरकार और संवेदक के इंजीनियर, कारीगर व मजदूर
बिल्डिंग के उदघाटन से पहले 17 कोर्ट रूम पूरी तरह से तैयार करने की चल रही कवायद
इको फ्रेंडली है पूरी बिल्डिंग, इसकी बाहरी दीवार आग, जल और ध्वनि प्रदूषण से है सुरक्षित बाहरी दीवार के निर्माण
में अोड़िशा के कटक में
निर्मित एएसी ब्लॉक का किया गया है उपयोग
बड़ी उपलब्धि
एजी अॉफिस भी बन कर तैयार
नयी बिल्डिंग में एडवोकेट जनरल (एजी) कार्यालय की फिनिशिंग का काम अंतिम चरण में है. यह अॉफिस एडवोकेट ब्लॉक के साथ में बनाया गया है. कोर्ट बिल्डिंग के साथ-साथ एजी अॉफिस को भी तैयार किया जा रहा है. इसमें एडवोकेट जनरल का अॉफिस, चेंबर, सरकार के अधिवक्ताओं के बैठने की व्यवस्था रहेगी. फिलहाल, फिनिशिंग का काम चल रहा है.
ड्रॉइंग में बदलाव से ढाई साल में नहीं हो पाया निर्माण
हाइकोर्ट बिल्डिंग की ड्रॉइंग में बदलाव के कारण संवेदक द्वारा निर्धारित ढाई साल में निर्माण कार्य पूरा नहीं किया जा सका. कार्य पूरा करने के लिए दिसंबर 2017 तक का समय था. अवधि विस्तार के लिए संवेदक ने सरकार से अनुरोध भी किया है.
अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने लड़ी थी हाइकोर्ट के नये भवन की कानूनी लड़ाई
एडवोकेट्स एसोसिएशन, झारखंड हाइकोर्ट के तत्कालीन अध्यक्ष रहे वरीय अधिवक्ता, संप्रति राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने नये भवन का सपना देखा था. जय प्रकाश ने बताया कि वर्ष 2009 में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के लिए नगड़ी में सरकार ने 100 एकड़ जमीन दी थी. इससे उत्साहित होकर नये भवन के लिए प्रयास करने का निर्णय लिया.
हाइकोर्ट के वर्तमान भवन में मुव्वकिलों के लिए बैठने, ठहरने, टॉयलेट की उचित व्यवस्था नहीं है. कोई भी कोर्ट मुव्वकिलों के लिए होता है. न्याय सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए. इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का होना जरूरी है. पांच एकड़ में फैले हाइकोर्ट परिसर में कोर्ट रूम कम थे. जगह भी नहीं थी. नया भवन राज्य के लिए गाैरव की बात है.
सबसे बड़ा है चीफ जस्टिस का कोर्ट रूम, पिछले हिस्से में बना है उनके वाहन के लिए पोर्टिको
हाइकोर्ट की नये बिल्डिंग में चीफ जस्टिस का कोर्ट रूम सबसे अंतिम हिस्से में बनाया गया है. इस कोर्ट रूम का क्षेत्रफल अन्य कोर्ट रूम से सबसे अधिक है. यह कोर्ट रूम 80 फीट लंबा, 65 फीट चाैड़ा व 40 फीट ऊंचा है. चीफ जस्टिस बिल्डिंग के पिछले हिस्से से आयेंगे. उनका वाहन कोर्ट रूम के समानांतर बने पोर्टिको पहुंचेगा, जहां से वे पैदल अपने चेंबर व कोर्ट रूम जा सकेंगे. बिल्डिंग के पिछले हिस्से का डिजाइन भी खूबसूरत बन पड़ा है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम, काॅन्फ्रेंस रूम, लाइब्रेरी, डायनिंग रूम, किचेन भी बनाया जा रहा है.
कोर्ट बिल्डिंग में 400 टन का सेंट्रलाइज्ड एसी
हाइकोर्ट बिल्डिंग के अंदरूनी हिस्से के तापमान को नियंत्रित करने के लिए सेंट्रलाइज्ड वातानुकूलित (एसी) प्लांट लगाया जा रहा है. यह 400 टन का होगा. फिलहाल एडवोकेट्स ब्लॉक में एसी का प्रावधान नहीं है.
कैंपस में जाने के लिए होंगे तीन प्रवेश द्वार
हाइकोर्ट कैंपस में जाने के लिए तीन प्रवेश द्वार बनाये जा रहे हैं. एक से न्यायाधीश जायेंगे तथा दो प्रवेश द्वार से एडवोकेट्स व मुव्वकिल जा सकेंगे. बिल्डिंग तक जाने के लिए पहुंच पथ का निर्माण शुरू कर दिया गया है.
बिल्डिंग में 32 लिफ्ट, दो एस्केलेटर लगेंगे
ग्रीन बिल्डिंग में 32 लिफ्ट लगायी जा रही हैं. एक की क्षमता 13 व्यक्तियों की है. कोर्ट रूम के अलावा एडवोकेटस ब्लॉक, एजी अॉफिस में भी लिफ्ट लगेंगे. कोर्ट रूम में जाने के लिए दो एस्केलेटर भी लगाये जा रहे हैं. एक ग्राउंड फ्लोर पर आैर दूसरा प्रथम तल पर.
बिल्डिंग का फ्लोर लेबल 1.2 मीटर बढ़ाया गया
नये भवन में पूर्व में 21 कोर्ट रूम तैयार किये जा रहे थे. बाद में हाइकोर्ट प्रशासन ने बढ़ाकर 25 कोर्ट कर दिया. इसके अलावा बिल्डिंग का फ्लोर लेबल भी 1.2 मीटर बढ़ाया गया. इस कारण बिल्डिंग का ड्राइंग भी बदला गया.
नहीं हुआ है बिजली-पानी का कनेक्शन
हाइकोर्ट बिल्डिंग के अंदरूनी हिस्से में संवेदक द्वारा बिजली वायरिंग, फायर फाइटिंग, पानी का कनेक्शन की व्यवस्था की जा रही है. पानी स्टोर करने के लिए संप बनाया जा चुका है. सब स्टेशन का निर्माण चल रहा है, लेकिन पेयजल व स्वच्छता विभाग तथा ऊर्जा विभाग ने अब तक कनेक्शन नहीं दिया है. हालांकि, भवन निर्माण विभाग के विशेष कार्य प्रमंडल द्वारा कनेक्शन देने के लिए संबंधित विभागों को पत्र लिखा गया है.
पूरी तरह से इको फ्रेंडली है यह बिल्डिंग
पूरी बिल्डिंग की बाहरी दीवार आग, जल, ध्वनि प्रदूषण से सुरक्षित है. बाहरी दीवार के निर्माण में अोड़िशा के कटक में निर्मित एएसी ब्लॉक का उपयोग किया गया है. दो ब्लॉक के बीच में रॉकूल दिया गया है. इस कारण बिल्डिंग के अंदर व बाहर के तापमान में हमेशा अंतर रहेगा. यह बिल्डिंग पूरी तरह से इको फ्रेंडली है.
पीके सिंह, कार्यपालक अभियंता, विशेष कार्य प्रमंडल
बिल्डिंग में छह तड़ित चालक
वज्रपात यानी आकाशीय बिजली से बचाने के लिए हाइकोर्ट की नयी बिल्डिंग की छतों पर छह तड़ित चालक लगाये जा रहे हैं. 32-32 मीटर की दूरी पर तड़ित चालक लगाये गये हैं. यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग की उत्तम व्यवस्था की जा रही है.
कार्य के बीच कार्यपालक अभियंता 28 फरवरी को हो जायेंगे रिटायर
हाइकोर्ट बिल्डिंग का निर्माण अंतिम चरण में है. राज्य सरकार की योजना के अनुसार विशेष कार्य प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता पीके सिंह ने झारखंड हाइकोर्ट बिल्डिंग को मूर्तरूप देने में अहम भूमिका निभायी है. 28 फरवरी को श्री सिंह सेवानिवृत्त हो रहे हैं. श्री सिंह की देखरेख में फिलहाल हाइकोर्ट बिल्डिंग के अलावा झारखंड विधानसभा बिल्डिंग, विस्थापित व पुनर्वास कॉलोनी के फ्लैट का निर्माण कार्य प्रगति पर है.

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