लकड़ी के चूल्हे को मिली बायो गैस की ऊर्जा

रांची: नामकुम के रामपुर पंचायत के पिरीडीह गांव निवासी व हार्प पलांडू के दैनिक मजदूर खुदू तिर्की ने लकड़ी के चूल्हे को बायो गैस की ऊर्जा प्रदान कर खाना बनाने की प्रक्रिया को बेहद आसान कर दिया है. उनकी इस पहल से लकड़ी के चूल्हे की उपयोगिता बढ़ी है.खुदू तिर्की को गैर सरकारी संस्था केजीवीके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2014 7:51 AM

रांची: नामकुम के रामपुर पंचायत के पिरीडीह गांव निवासी व हार्प पलांडू के दैनिक मजदूर खुदू तिर्की ने लकड़ी के चूल्हे को बायो गैस की ऊर्जा प्रदान कर खाना बनाने की प्रक्रिया को बेहद आसान कर दिया है. उनकी इस पहल से लकड़ी के चूल्हे की उपयोगिता बढ़ी है.खुदू तिर्की को गैर सरकारी संस्था केजीवीके की ओर से एक गोबर गैस प्लांट प्रदान किया गया है.

उन्होंने गोबर गैस प्लांट की उपयोगिता बढ़ाने की दृष्टिकोण से गोबर गैस प्लांट की गैस पाइप से चूल्हे तक जाने के लिए एक अतिरिक्त पाइप को जोड़ा है. उसमें बर्नर लगाने के बाद उसे लकड़ी के चूल्हे में सुराग कर जोड़ा है. इससे अब इस प्लांट से निकली गैस से गोबर गैस चूल्हे के साथ-साथ लकड़ी के चूल्हे भी जलने लगे हैं.

खुदू तिर्की द्वारा लकड़ी के चूल्हे में बायो गैस का प्रयोग करने पर पाया गया कि उसमें गोबर गैस के बर्नर वाले आधुनिक चूल्हे से कम समय में खाना पकाया जा सकता है़ दिलचस्प बात यह है कि खुदू के घर में एक भी मवेशी नहीं है. उनकी पत्नी सुनीता देवी प्रतिदिन लावारिस पशुओं के गोबर को चुन कर घर लाती है और उसे घोल कर गोबर गैस प्लांट में डालती है. उनके प्रतिदिन के एक घंटे की मेहनत से उनके घर की दिन भर की ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो जाती हैं.

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