झारखंड : ओएनजीसी को जमीन नहीं मिल रही, सरकार से मांगा सहयोग
रांची : अॉयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने कोल बेड मिथेन (सीबीएम) गैस परियोजना में देरी की वजह छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) के प्रावधानों को बताया है. पिछले दिनों राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ परियोजना के कार्यान्वयन की स्थिति पर विचार-विमर्श के दौरान ओएनजीसी की ओर से बताया गया कि सीएनटी एक्ट में […]
रांची : अॉयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने कोल बेड मिथेन (सीबीएम) गैस परियोजना में देरी की वजह छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) के प्रावधानों को बताया है. पिछले दिनों राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ परियोजना के कार्यान्वयन की स्थिति पर विचार-विमर्श के दौरान ओएनजीसी की ओर से बताया गया कि सीएनटी एक्ट में इस बात का प्रावधान है कि जो भी जमीन ली जायेगी, उसके लिए उपायुक्त से अलग-अलग अनुमति लेनी होगी.
इस प्रावधान की वजह से जमीन हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में काफी समय लग रहा है. जमीन के हर टुकड़े के लिए अलग-अलग वाद उपायुक्त की अदालत में दायर करना पड़ता है. उनके फैसले के बाद ही जमीन हस्तांतरित हो पा रही है. जमीन हस्तांतरण में अानेवाली इस समस्या की वजह से प्रोस्पेक्टिंग माइनिंग लीज (पीएमएल) का एकरारनामा तैयार होने में काफी समय लग रहा है.
अतिक्रमण भी है समस्या : ओएनजीसी को सीबीएम के लिए इस वर्ष चार कुएं की खुदाई करनी है. इनमें दो झरिया में और दो नोर्थ कर्णपुरा में है. ओएनजीसी के सामने दूसरी समस्या अतिक्रमण की भी है. अधिकतर प्रस्तावित कुआं तक पहुंचने के लिए जो गैरमजरूवा जमीन है, उस पर काफी लंबे समय से अवैध कब्जा है. इस जमीन के बदले मुआवजा नहीं दिया जा सकता है.
स्थानीय स्तर पर विधि-व्यवस्था की समस्या भी है. अगर गैर मजरूवा जमीन किसी को बंदोबस्त की गयी है, तो ओएनजीसी ऐसी स्थिति में उन्हें मुआवजा दे सकता है. पर इस मामले में भी सबसे बड़ी समस्या यह है कि 2009 से ज्यादातर लोगों को जमीन की रसीद नहीं दी गयी है. ओएनजीसी ने सरकार से अविलंब इस मामले में समाधान की मांग की गयी है.