चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद को हाइकोर्ट से भी नहीं मिली जमानत

रांची : चारा घोटाला मामले के देवघर कोषागार से निकासी से जुड़े केस में लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाइकोर्ट ने बड़ा झटका दिया. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने लालू प्रसाद को इस मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया. जस्टिस सिंह ने निचली अदालत के दस्तावेजों को देखने के बाद सीबीआइ की विशेष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2018 11:45 AM

रांची : चारा घोटाला मामले के देवघर कोषागार से निकासी से जुड़े केस में लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाइकोर्ट ने बड़ा झटका दिया. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने लालू प्रसाद को इस मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया. जस्टिस सिंह ने निचली अदालत के दस्तावेजों को देखने के बाद सीबीआइ की विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा. कोर्ट ने कहा कि लालू प्रसाद ने यदि आधी सजा काट ली होती, तो उन्हें जमानत देने पर विचार किया जा सकता था. फिलहाल उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती.

लालू प्रसाद के वकील ने कहा था कि उनके मुवक्किलकीउम्रज्यादाहो गयी है और उनकी सेहत भी ठीक नहीं रहती. ऐसे में परिवार से दूर रहना उनके लिए परेशानी का सबब बन सकता है. लेकिन, कोर्ट ने उनकी इन दलीलों पर ध्यान नहीं दिया और निचली अदालत के दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद राजद सुप्रीमो को जमानत देने से इन्कार कर दिया.

देवघर कोषागार से फर्जी कागजात के आधार पर लाखों रुपये की निकासी के मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने उन्हें साढ़े तीन साल की सजा सुनायी थी. लालू प्रसाद ने सीबीआइ कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इसे रद्द करने की अपील की थी. 23 दिसंबर को सुनायी गयी सजा के खिलाफ की गयी लालू प्रसाद की अपील पर कोर्ट ने 9 फरवरी को सीबीआइ की विशेष अदालत से राजद सुप्रीमो की सजा से जुड़े दस्तावेज मांगे थे. इसके बाद सुनवाई23फरवरी तकटालदी थी.

शुक्रवार को सुनवाई से पहले लालू प्रसाद के वकील ने उम्मीद जतायी थी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष को न्यायालय से राहत मिल सकती है.

ज्ञात हो कि केस संख्या RC 64/96 देवघर कोषागार से वर्ष 1990 से 1994 के बीच पशु चारा के नाम पर 89.27 लाख रुपये की निकासी से जुड़ा है, जिसमें कुल 38 आरोपी थे. इनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को केस दर्ज किया और 21 साल बाद लालू प्रसाद यादव समेत 16 लोगोंको दोषी करार दिया था.

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