1997 से शुरू हो गयी थी झारखंड के गांवों में पत्थलगड़ी
-आज चार गांवों में होगी पत्थलगड़ी-खूंटी में अड़की स्थित चार गांवों में रविवार को पत्थलगड़ी होगी. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है. रांची : झारखंड के गांवों में पत्थलगड़ी 1997 से ही शुरू हो गयी थी. भारत जन आंदोलन के तत्वावधान में डॉ बीडी शर्मा, बंदी उरांव सहित अन्य लोगों के नेतृत्व में खूंटी, […]
-आज चार गांवों में होगी पत्थलगड़ी
-खूंटी में अड़की स्थित चार गांवों में रविवार को पत्थलगड़ी होगी. इसकी तैयारी पूरी कर ली गयी है.
रांची : झारखंड के गांवों में पत्थलगड़ी 1997 से ही शुरू हो गयी थी. भारत जन आंदोलन के तत्वावधान में डॉ बीडी शर्मा, बंदी उरांव सहित अन्य लोगों के नेतृत्व में खूंटी, कर्रा सहित कई जिलों के दर्जनों गांवों में पत्थलगड़ी की गयी थी. इसके बाद झारखंड (एकीकृत बिहार) के गांवों में एक अभियान की तरह शिलालेख (पत्थलगड़ी) रामे की स्थापना की जाने लगी. डॉ बीडी शर्मा, बंदी उरांव, पीएनएस सुरीन सहित अन्य लोग इस काम में जुटे. गांवों में जागरूकता अभियान चलाया गया. पत्थलगड़ी पूरे विधि विधान के साथ की जाने लगी. पत्थलगड़ी समारोह चोरी छिपे नहीं, बल्कि समारोह आयोजित करके किया जाता था. इसकी सूचना प्रशासन को दी जाती थी. खूंटी सहित अन्य जिलों में आज भी उस समय की पत्थलगड़ी को देखा जा सकता है.
डॉ बीडी शर्मा ने अपनी पुस्तिका ‘गांव गणराज्य का स्थापना महापर्व’ में लिखा है कि 26 जनवरी से दो अक्तूबर 1997 तक गांव गणराज्य स्थापना महापर्व के दौर में हर गांव में शिलालेख की स्थापना अौर गांव गणराज्य का संकल्प लिया जायेगा. उन्होंने लिखा है कि हमारे गांव को 50 साल के बाद असली आजादी मिली है. यह साफ है कि आजादी का अर्थ मनमाना व्यवहार नहीं हो सकता है. उन्होंने लिखा है कि जब हमारा समाज हमारे गांव में हमारे राज की घोषणा करते हुए व्यवस्था की बागडोर अपने हाथ में ले लेता है, तो उसके बाद हर भली-बुरी बात के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होगा अौर उसी की जवाबदेही होगी.
दूसरे लोग यहां तक कि सरकार भी हमसे पूछ सकती है कि अब तो हर मामले में आप लोग खुद मुख्तार हो गये, तो यह गलत बात हुई कैसे? हमारे गांव में हमारा राज स्थापित होने के बाद हम नये युग में प्रवेश कर रहे हैं, जिसमें बाहर के बंधन टूटेंगे, मगर हमारे ऊपर हर बात को विवेकपूर्ण ढंग से चलाने की बड़ी जिम्मेदारी भी होगी.