झारखंड : 17 साल में बने 26 जेल आइजी, सिर्फ तीन ही रहे स्थायी, क्लर्क कर रहे तीन जेलों का संचालन

II अजय दयाल II रांची : झारखंड बने 17 साल हो गये. इन वर्षों में राज्य में 26 जेल आइजी बने, लेकिन इनमें से तीन आइजी ही स्थायी रहे. इतने वर्षों में राज्य की जेलों के उद्धार के लिए किसी ने नहीं सोचा. गौरतलब है कि आइएएस अधिकारी ही जेल आइजी हाेते है़ं पिछले 17 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2018 8:09 AM
II अजय दयाल II
रांची : झारखंड बने 17 साल हो गये. इन वर्षों में राज्य में 26 जेल आइजी बने, लेकिन इनमें से तीन आइजी ही स्थायी रहे. इतने वर्षों में राज्य की जेलों के उद्धार के लिए किसी ने नहीं सोचा.
गौरतलब है कि आइएएस अधिकारी ही जेल आइजी हाेते है़ं पिछले 17 सालों में 26 जेल अाइजी में 23 आइएएस अधिकारी प्रभारी के तौर पर काम करते रहे़ सिर्फ तीन ही स्थायी (दो आइएएस व एक आइपीएस) रहे़ इनमें व जेल आइजी के प्रभार में रहे, लेकिन जेलों की स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही. आज भी राज्य की कई जेलों में कैदियों को मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं करायी जाती हैं.
राज्य में सात सेंट्रल जेल, 16 मंडल कारा, व पांच उपकारा : राज्य में सात सेंट्रल जेल रांची, हजारीबाग, जमशेदपुर, दुमका, डालटनगंज, गिरिडीह व देवघर में है़ं
जबकि 16 मंडल कारा (जिला जेल) धनबाद, चाईबासा, सरायकेला, गढ़वा, लातेहार, चतरा, कोडरमा, बोकारो (चास), जामताड़ा, पाकुड़, गाेड्डा, साहेबगंज, सिमडेगा, लातेहार व गुमला जिले में हैं. पांच उपकारा खूंटी, तेनुघाट, रामगढ़, राजमहल, मधुपुर में हैं.
प्रतिनियुक्ति पर कर्मचारी रख नये जेल का उदघाटन : कुछ दिन पहले बने मधुपुर जेल में कोई स्थायी अधिकारी-कर्मचारी नहीं हैं. जेल के सभी कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर है़ं प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी व कर्मचारी को रख कर आनन-फानन में इस जेल का उदघाटन करा दिया गया़
राज्य के कई जेलों में काफी कमियां है लेकिन किसी भी जेल आइजी को राज्य के जेलों के उद्धार की चिंता नहीं है. चूंकि उन्हें जेलों के प्रभार का जिम्मा दिया जाता है, तो वह अपने विभाग पर ज्यादा ध्यान देते हैं. ऐसे में जेलों का मुद्दा उनके लिए गौण हो जाता है. हमेशा विभिन्न जेल के अधिकारी जेल आइजी को समस्याआें से अवगत कराते रहते है़, लेकिन उनका ध्यान इन बातों पर नहीं रहता.
क्लर्क कर रहे हैं तीन जेलों का संचालन
राज्य में पदाधिकारियों की इतनी कमी है कि सिमडेगा, लोहरदगा व कोडरमा में जेल का संचालन क्लर्क कर रहे हैं. इन जिलों में असिस्टेंट जेलर भी नहीं है़ं कोडरमा में जेलर के प्रभार में एक मजिस्ट्रेट हैं.
लेकिन वे पूरी तरह से जेल पर ध्यान नहीं दे पाते. इसलिए इन तीनों जिलों के जेल का संचालन क्लर्क के भरोसे है़ वहीं देवघर व गिरिडीह को भले ही सेंट्रल जेल का दर्जा दे दिया गया है, लेकिन वहां जेलर व असिस्टेंट जेलर भी नहीं है़ं गिरिडीह नया सेंट्रल जेल बना है, वहां जेलर नहीं हैं. जेल अधीक्षक हैं लेकिन वे भी कुछ दिनों के बाद सेवानिवृत हो जायेंगे. वर्तमान में रांची, हजारीबाग व धनबाद में जेलर पदस्थापित है़ं

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