चारा घोटाला मामले में लालू के बाद झारखंड सरकार ने भी मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को दी क्लीन चिट!

विवेक चंद्रा रांची : लालू प्रसाद यादव के बाद झारखंड सरकार ने भी चारा घोटाला मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को क्लीन चिट दे दी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार शाम राजबाला को चेतावनी देते हुए क्लीन चिट देने का आदेश दिया. हालांकि, इससे संबंधित फाइल देर रात तक कार्मिक विभाग को नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2018 11:58 AM

विवेक चंद्रा

रांची : लालू प्रसाद यादव के बाद झारखंड सरकार ने भी चारा घोटाला मामले में मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को क्लीन चिट दे दी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार शाम राजबाला को चेतावनी देते हुए क्लीन चिट देने का आदेश दिया. हालांकि, इससे संबंधित फाइल देर रात तक कार्मिक विभाग को नहीं भेजी गयी थी. आदेश में स्पष्ट नहीं है कि राजबाला वर्मा को लिखितचेतावनी दी जायेगी या मौखिक. सूत्रों की मानें, तो श्रीमती वर्मा को लिखित चेतावनी जारी की जायेगी. राजबाला वर्मा 28 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रही हैं.चारा घोटाला मामले में राजबाला वर्मा को जो नोटिस भेजा गया था, उन्होंने 16 जनवरी को उसका जवाब दिया था. इसमें उन्होंने चाईबासा कोषागार में फर्जी कागजात के आधार पर हुई निकासी के लिए कोषागार पदाधिकारी जवाबदेह थे. उन्होंने कहा था कि चाईबासा डीसी के रूप में उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि कोषागार में क्या फर्जीवाड़ा हो रहा है.

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उन्हेंइसबात का आभास तक नहीं था कि कुछ गलत हो रहा है. उन्होंने कहा कि कोषागार से संबंधित मामलों की प्रत्यक्ष निगरानी डीसी नहीं करते. यह कोषागार पदाधिकारी की जिम्मेवारी है. उन्होंने अपने जवाब में उपायुक्त की जिम्मेवारियों की जानकारी दी थी. कहा था कि विधि-व्यवस्था से संबंधित कर्तव्य डीसी को निभाने होते हैं.

उन्होंने आगे लिखा था कि सरकार से मिले आदेशों के आलोक में निरीक्षण का काम उपायुक्त का है. कोषागार पदाधिकारी को उपायुक्त के लिए नि कासी से संबंधित मासिक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है. ऐसे में कोषागार पदाधिकारी को गड़बड़ी की जानकारी देते हुए उपायुक्त को रिपोर्ट करनी चाहिए थी. उनके (राजबाला के) कार्यकाल में ऐसा कभी नहीं हुआ. उन्होंने कहा था कि उनकी कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्न उठाना सही नहीं है. अधिकारी के रूप में उन्होंने सदैव अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया.

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ज्ञात हो कि चारा घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महसूस किया था कि राजबाला वर्मा ने चाईबासा के उपायुक्त के रूप में काम करते हुए अपनी भूमिका सही तरीके से निर्वहन नहीं किया. उन्होंनेकाम में लापरवाही बरती. इसके मद्देनजर कोर्ट ने सरकार को अपने स्तर से उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था. राज्य सरकार ने वर्ष 2003 से उन्हें दो दर्जन से अधिक बार नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया, लेकिन राजबाला ने कभी जवाब नहीं दिया. जनवरी, 2018 में मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्मिक विभाग ने उनसे फिर से स्पष्टीकरण मांगा था.

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