रांची: शहर के ग्राउंड वाटर लेबल को रिचार्ज करने को लेकर रांची नगर निगम ने कड़ा कदम उठाये है. नगर निगम ने शहर के कांके रोड में डीप बोरिंग कराने के आधा दर्जन से अधिक आवेदनों को अस्वीकार कर दिया है.
निगम अधिकारियों के अनुसार कांके रोड क्षेत्र का जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. इसलिए इस क्षेत्र में डीप बोरिंग की अनुमति नहीं दी जा रही है. विशेष परिस्थिति में ही इस क्षेत्र में डीप बोरिंग की अनुमति दी जायेगी. निगम अधिकारियों की मानें तो रातू रोड की भी स्थिति भी कमोबेश कांके रोड जैसी ही है.
ज्ञात हो कि शहर के भूगर्भ जल की स्थिति पर नजर रखने के लिए नगर निगम द्वारा एक कमेटी का गठन किया गया है. कमेटी में भूगर्भ जल निदेशालय, रांची नगर निगम व अन्य संस्थानों के विशेषज्ञों को रखा गया है. कमेटी के सदस्य डीप बोरिंग के आवेदनों पर गंभीरता पूर्वक विचार के बाद ही अनुमति देते हैं.
ऐसे नीचे गया जलस्तर : हरमू 13 मीटर, आइटीआइ 11 मीटर, नामकुम 13 मीटर, कांके 15 मीटर, बरियातू 12 मीटर, अशोक नगर 10 मीटर और कडरू में वाटर लेबल 10 मीटर से अधिक नीचे चला गया है.
14 आवेदन को रिजेक्ट किया निगम ने
रांची नगर निगम में जनवरी से लेकर अप्रैल माह तक डीप बोरिंग कराने के 51 आवेदन आये. इन आवेदनों में आठ कांके रोड, चार रातू रोड, दो लालपुर सहित शहर के विभिन्न कॉलोनियों के 37 आवेदन आये थे. इन आवेदनों की जांच के समय निगम के द्वारा गठित कमेटी ने वाटर लेबल के नीचे जाने के कारण कांके रोड के आठ, रातू रोड के चार व सकरुलर रोड के दो आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया. शेष 29 को डीप बोरिंग की अनुमति दी गयी. अनुमति देते समय देखा गया कि मोहल्ले में निगम की पाइपलाइन है या नहीं.
अपार्टमेंटों के लिए खतरे की घंटी
जल स्तर का नीचे जाना राजधानी के अपार्टमेंटों के लिए खतरे की घंटी है. एक-एक अपार्टमेंट में 20 से अधिक फ्लैट होते हैं. इनमें आमतौर पर 150-200 व्यक्ति रहते हैं. इनकी पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए अपार्टमेंटों में 800-1000 फीट तक डीप बोरिंग की जाती है. वर्तमान में कांके रोड में जल संकट का एक बहुत बड़ा कारण यहां के अपार्टमेंट हैं. निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले आठ सालों में कांके रोड के आसपास 110 से अधिक अपार्टमेंट का निर्माण हुआ है.
बिना वाटर हार्वेस्टिंग सब बेकार
दिनों दिन घटते जलस्तर के संबंध में भूगर्भ जल निदेशालय के पूर्व निदेशक एसएल जागेश्वर ने बताया कि राजधानी के लोगों के लिए यह खतरे की घंटी है. भूगर्भ जल का रिचार्ज होना बहुत जरूरी है. दिनों दिन कंक्रीट के महल खड़े होने व नालियों की सतह पक्का होने के कारण बारिश का पानी बह कर निकल जाता है. इससे भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो पाता. इस समस्या से निबटने का एकमात्र उपाय यह है कि हम हर घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य करें.