झारखंड : रिम्स में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म, मरीजों को राहत
रांची : रिम्स में जूनियर डॉक्टरों हड़ताल खत्म हो गयी. मंगलवार को रिम्स का ओपीडी, इंडोर व ऑपेरशन ठप होने लगा था. अस्पताल में भर्ती मरीजों के देखभाल का जिम्मा लगभग 250 सीनियर डॉक्टरों के भरोसे था. रिम्स में पीजी स्टूडेंट की संख्या करीब 450 है. वहीं, इंटर्न की संख्या 150 के करीब है. इसके […]
रांची : रिम्स में जूनियर डॉक्टरों हड़ताल खत्म हो गयी. मंगलवार को रिम्स का ओपीडी, इंडोर व ऑपेरशन ठप होने लगा था. अस्पताल में भर्ती मरीजों के देखभाल का जिम्मा लगभग 250 सीनियर डॉक्टरों के भरोसे था.
रिम्स में पीजी स्टूडेंट की संख्या करीब 450 है. वहीं, इंटर्न की संख्या 150 के करीब है. इसके अलावा हाउस सर्जन करीब 100 हैं. जूनियर डॉक्टर ओपीडी में सीनियर डॉक्टर को सहयोग करते है. मरीजों को दवाएं लिखने के साथ-साथ अन्य सभी परीक्षण उनके द्वारा ही किया जाता है.
इसके अलावा वार्ड में भरती मरीजों को दवाएं लिखने, वार्ड में रात में देखभाल करने की जिम्मेदारी उनकी ही है. इसके अलावा ऑपरेशन में सहयोग करने व ऑपरेशन के बाद उनपर नजर रखने की जिम्मेदारी जूनियर डॉक्टरों की होती है. रेडियोलॉजिकल जांच, ब्लड जांच का जिम्मा भी जूनियर डॉक्टर के भरोसे होता है.
क्या था पूरा मामला
रिम्स के न्यूरो सर्जरी वार्ड में भर्ती रंजीत कुमार सिंह को उनके परिजन ने शनिवार को सर्जरी डी-2 वार्ड में शिफ्ट कराया था. जूनियर डॉक्टरों के अनुसार सोमवार सुबह करीब 10 बजे वे मरीज को देख रहे थे.
इस दौरान मरीज के पास पांच-छह लोग मौजूद थे. उनमें से एक व्यक्ति जूनियर डॉक्टरों पर मरीज को स्लाइन चढ़ाने का दबाव बना रहा था. जूनियर डॉक्टरों ने परिजन से कहा कि आप लोग यहां से चले जायें. इस पर परिजन में से एक ने जूनियर डॉक्टर पर हाथ चला दिया.
जूनियर डॉक्टरों का आरोप
वार्ड में भर्ती मरीज के इलाज में दखलंदाजी कर रहे थे उसके परिजन
जूनियर डॉक्टर ने बाहर जाने को कहा, तो परिजन करने लगे मारपीट
परिजन का क्या था आरोप
इलाज करने के लिए कहने पर जूनियर डॉक्टर करने लगे अभद्र व्यवहार
विरोध करने पर जूनियर डॉक्टरों ने वार्ड में हमारे साथ शुरू कर दी मारपीट
मांगें क्या थीं
रिम्स परिसर में पुलिस पीकेट को बहाल किया जाये
मेडिसिन, सर्जरी व पीडियेट्रिक आइसीयू में दो पुलिसकर्मी नियुक्त हों
दोषियों को गिरफ्तार कर उनके के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाये