चारा घोटाला : एके सिंह, वीएस दुबे, डीपी ओझा व एके झा को आरोपी बनाने के नोटिस को चुनौती देगी सीबीआइ

आरसी 38ए/96 में विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह के कोर्ट ने दिया है नोटिस रांची : चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 38ए/96 में विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत की ओर से जारी किये गये नोटिस को सीबीआइ चुनौती देगी.विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, बिहार व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 8, 2018 7:00 AM
आरसी 38ए/96 में विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह के कोर्ट ने दिया है नोटिस
रांची : चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 38ए/96 में विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत की ओर से जारी किये गये नोटिस को सीबीआइ चुनौती देगी.विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, बिहार व झारखंड के सेवानिवृत्त मुख्य सचिव वीएस दुबे, बिहार के सेवानिवृत्त डीजी विजिलेंस डीपी अोझा व सीबीआइ के एडिशनल एसपी एके झा सहित सात के खिलाफ धारा 319 के तहत नोटिस जारी किया था.
इस सभी पर चारा घोटाले के आपराधिक षड़यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया गया है. सभी को 28 मार्च को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है. अब रांची सीबीआइ के अधिकारियों ने इस मामले में फैसले के लिए निर्धारित तिथि (15 मार्च) से पहले अपील करने की अनुमति मुख्यालय से मांगी है. सीबीआइ ने अपील दायर करने के लिए सारी तैयारियां पूरी कर ली है.
सारे तथ्य कोर्ट में पेश किये गये हैं : सीबीआइ की ओर से तैयार किये गये जवाब में कहा गया है कि चारा घोटाले के इस मामले में सभी साक्ष्य और तथ्य अदालत में पेश किये गये हैं. सभी साक्ष्यों पर दोनों पक्षों की ओर से विस्तृत कानूनी वाद-विवाद हो चुका है. अब न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 319 के तहत अभियुक्त बनाते हुए सात लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया है.
पर इसके लिए कोई नया तथ्य पेश नहीं किया है. न्यायालय ने अपने समकक्ष अदालत की ओर से पहले दिये जा चुके आदेश को बदला है, जो न्याय सम्मत नहीं है.
सीबीआइ की दूसरी सक्षम अदालत ने ही सप्लायर दीपेश चांडक के मामले में कानूनी विवेचना के बाद उसे एप्रुवर के रूप में स्वीकार किया है और माफी दी है. शिव कुमार पटवारी घोटाले के इस मामले में सप्लायर नहीं है. इसे दुमका ट्रेजरी से एक भी पैसे के भुगतान नहीं हुआ है. इसलिए उसे अभियुक्त बनाया जाना भी न्याय सम्मत नहीं है.
सभी के खिलाफ आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगा है, तीन सप्लायर को भी जारी हुआ है नोटिस
क्या है सीबीआइ की ओर से तैयार जवाब में
वीएस दुबे
सीबीआइ के जवाब में कहा गया है कि बिहार के तत्कालीन वित्त सचिव वीएस दुबे को आपराधिक षड़यंत्र में शामिल होने का कोई तथ्य नहीं पेश किया गया है. वीएस दुबे ने ही वित्त सचिव के रूप में काम करने के दौरान चारा घोटाले को पकड़ा और कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
एके सिंह
दुमका के तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान एक लाख रुपये से अधिक के बिल का भुगतान जांच के बाद ही करने का आदेश दिया था. इससे पशुपालन विभाग की ओर से की जानेवाली निकासी पर पाबंदी लग गयी थी. पर दुमका के तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त एसएन दुबे ने उपायुक्त के आदेश को रद्द कर दिया था.
इसके बाद निकासी में तेजी आयी थी. मामले की जांच के दौरान सीबीआइ ने तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त एसएन दुबे को अभियुक्त बनाया था. पर हाइकोर्ट ने उन्हें इस मामले में डिस्चार्ज कर दिया है. दुमका कोषागार से हुई निकासी के मामले की प्राथमिकी तत्कालीन उपायुक्त अंजनी कुमार सिंह ने दर्ज करायी थी. जांच के दौरान सीबीआइ को कोई ऐसा तथ्य नहीं मिला, जिससे उन्हें अभियुक्त बनाया जाये.
डीपी ओझा
बिहार के तत्कालीन डीजी विजिलेंस डीपी ओझा के खिलाफ मिले तथ्यों के आधार पर सीबीआइ ने अभियोजन स्वीकृति मांगी थी. हालांकि इस मामले में तत्कालीन एटर्नी जेनरल सोली सोराब जी ने साक्ष्यों की जांच के बाद राय दी थी कि डीपी ओझा पर आपराधिक षड़यंत्र में शामिल होने का आरोप नहीं बनता है. चारा घोटाले की मॉनिटरिंग कर रही हाइकोर्ट की बेंच को सीबीआइ ने इसकी जानकारी दी थी.
एके झा
डीजी विजिलेंस डीपी ओझा को आरोपी नहीं बनाने के मामले में सीबीआइ अधिकारी एके झा को अभियुक्त बनाते हुए नोटिस जारी करना नियम सम्मत नहीं है. सीबीआइ अधिकारी एके झा चारा घोटाले के कांड संख्या आरसी 38ए/96 के जांच अधिकारी नहीं हैं. ऐसे में उन्हें घोटाले के इस मामले में किसी भी तरह की जिम्मेवारी तय नहीं की जा सकती है.

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