बिगड़ी शहर की सूरत
रांची: राजधानी के विभिन्न भागों में बेतरतीब व अवैध तरीके से लगाये गये होर्डिग व विज्ञापन पट्ट ने इसकी सूरत को बिगाड़ दिया है. विज्ञापन एजेंसियों व भवन मालिकों की मिलीभगत से लगाये गये इन होर्डिगों से शहर त्रस्त है. सड़कों के किनारे व भवनों पर लगे इन होर्डिगों पर निगम अधिकारियों की नजर नहीं […]
रांची: राजधानी के विभिन्न भागों में बेतरतीब व अवैध तरीके से लगाये गये होर्डिग व विज्ञापन पट्ट ने इसकी सूरत को बिगाड़ दिया है. विज्ञापन एजेंसियों व भवन मालिकों की मिलीभगत से लगाये गये इन होर्डिगों से शहर त्रस्त है. सड़कों के किनारे व भवनों पर लगे इन होर्डिगों पर निगम अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती. निगम की अनदेखी व लापरवाही के कारण अवैध होर्डिग व विज्ञापन पट्ट लगाने का कारोबार फल-फूल रहा है.
नगर निगम को चूना
नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो शहर की होर्डिग को छोड़ कर छतों, दीवारों व खुले स्थानों पर लगाये जाने वाले विज्ञापन पट्ट की संख्या आठ हजार के आसपास है. दस बाइ दस के एक विज्ञापन पट्ट को लगाने पर नगर निगम को राजस्व के रुप में 1500 रुपया सालाना मिलता है. आठ हजार विज्ञापन पट्ट के लिए यह राशि 1.20 करोड़ से अधिक होती है. शहर में छह हजार से अधिक दुकानें हैं, जिनके बाहर विज्ञापन पट्ट लगे हैं.
120 रुपया प्रति वर्गफीट की दर से पांच बाइ दो के एक पट्ट से नगर निगम को 1200 रुपये राजस्व मिलता. ऐसे छह हजार से पट्ट से नगर निगम को सालाना 72 लाख मिलते. घर की छत व दुकानों पर लगाये गये विज्ञापन पट्ट से नगर निगम को प्रति वर्ष दो करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान हो रहा है.