झारखंड के पारा टीचरों का एेलान, संघर्षों आैर आंदोलन का साल रहेगा 2018

रांची : ‘हम चाहें तो कलम को तलवार बना देंगे, बच्चों को दमदार बना देंगे/रघुवर की सरकार कौन कहे, देश में ‘पारा’की सरकार बना देंगे…’ कविता की ये चार पंक्तियां किसी कवि या साहित्यकार ने नहीं कही है. ये शनिवार को अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री नीरा यादव का घेराव करने रांची आये झारखंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2018 5:59 PM

रांची : ‘हम चाहें तो कलम को तलवार बना देंगे, बच्चों को दमदार बना देंगे/रघुवर की सरकार कौन कहे, देश में ‘पारा’की सरकार बना देंगे…’ कविता की ये चार पंक्तियां किसी कवि या साहित्यकार ने नहीं कही है. ये शनिवार को अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री नीरा यादव का घेराव करने रांची आये झारखंड के हजारों पारा शिक्षकों के नेताआें ने कही है. झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव के घेराव से पूर्व बिरसा चौक स्थित जगन्नाथपुर थाना के सामने विधानसभा मैदान में प्रदर्शन कर रहे पारा शिक्षकों के नेताआें ने इस बात का भी एेलान किया है कि अगर सरकार ‘समान काम के बदले समान वेतन’ के अलावा अन्य मांगों को नहीं मानती है, तो 2018 का पूरा साल संघर्षों आैर आंदोलनों का रहेगा.

एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विधानसभा मैदान में प्रदर्शन कर रहे शिक्षक आैर उनके नेताआें ने अपने भाषणों के दौरान कहा कि झारखंड का बिहार से अलग होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के शासनकाल में उन्हें ग्राम शिक्षा समिति के जरिये पारा शिक्षक के तौर पर प्राथमिक आैर मिडिल स्कूलों में नियुक्त किया गया था. आज पारा शिक्षक के तौर पर सेवा देते हुए उन्हें 16-17 साल हो गये, मगर सरकार ने हजारों पारा शिक्षकों आैर उनके परिवारों के हितों के लिए अब तक कोर्इ कारगर कदम नहीं उठाया है.

हर दल की सरकारों ने पारा शिक्षकों को किया है ठगने का काम

पारा शिक्षकों को संबोधित को संबोधित कर रहे शिक्षक नेता मनोज यादव ने कहा कि झारखंड में चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो, लेकिन सबने यहां के 60 हजार से अधिक पारा शिक्षकों को छलने आैर ठगने का काम किया है. पारा शिक्षकों को स्थायी करने के नाम पर देश में शिक्षा का अधिकार कानून लागू होन के बाद से सरकार की आेर से कर्इ तरह के प्रशिक्षण भी दिलवाये गये. प्रायः सभी शिक्षकों ने एलीमेंटरी ट्रेनिंग लेने के साथ डीएलएड, बीएड, शिक्षक पात्रता परीक्षा आैर केंद्रीय पात्रता परीक्षा तक दी है आैर उसमें उत्तीर्ण होने में सफलता हासिल की, मगर बीते 16-17 सालों से यहां के विभिन्न दलों की सरकारें उनके साथ में राजनीति करती आ रही हैं.

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पारा शिक्षकों को स्थायी करते राजनीतिक मुद्दा खत्म हो जाने का सता रहा भय

उन्होंने कहा कि यहां की प्रायः सभी दलों की सरकारों ने उन्हें नियमित करने का भरोसा दिया है. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यहां के राजनीतिक दल आैर नेता हमेशा से यही चाहते रहे हैं कि यदि पारा शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन के लाभ के साथ सरकारी शिक्षकों की तरह अन्य प्रकार की तमाम सुविधाएं देकर नियमित कर दिया जायेगा, तो एक राजनीतिक मुद्दा ही खत्म हो जायेगा. इसीलिए यहां की सरकारें नहीं चाहतीं कि पारा शिक्षकों को नियमित किया जाये. उन्होंने एेलान करते हुए कहा कि यदि इस बार रघुवर दास की सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया, तो यह 2018 का साल आंदोलनों आैर संघर्षों का साल रहेगा.

घेराव टालने के लिए एसडीआे ने शिक्षक नेताआें को शुक्रवार शाम को ही किया था तलब

गौरतलब है कि अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर झारखंड की शिक्षा मंत्री नीरा यादव का घेराव करने के लिए शनिवार को सूबे के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में पारा शिक्षक एकत्र हुए थे. शिक्षकों की भारी भीड़ को देखते हुए पैदल मार्च शुरू होने के पहले ही एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष समिति के प्रमुख चार नेताआें को पहले पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया आैर बाद में रांची के एसडीआे अंजलि यादव उन्हें वार्ता के नाम पर अपने पास बुला लिया. हालांकि, इन नेताआें का एेहतियातन शुक्रवार की रात को भी एसडीआे ने शिक्षा मंत्री का घेराव टालने के लिए अपने पास बुलाया था.

मैनेजमेंट आैर इवेंट वाली सरकार नहीं दे रही पारा शिक्षकों पर ध्यान

पारा शिक्षकों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दुबे, विनोद बिहारी महतो, विक्रांत ज्योति, नारायण महतो, मनोज यादव, सुष्मिता देवी, उमाशंकर, आशुतोष कुमार सिंह, रवींद्र कुमार सिंह समेत अन्य ने कहा कि वे लोग झारखंड के निवासी हैं. संविधान ने सभी को सम्मान के साथ जीने का हक दिया है. यदि राज्य सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो शांतिपूर्ण आंदोलन हिंसक आंदोलन में भी तब्दील हो सकता है. चतरा जिले से आये आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि फिलहाल, देश ही नहीं झारखंड में भी मैनेजमेंट आैर इवेंट वाली सरकार चलायी जा रही है. इसीलिए यहां के परा शिक्षकों की मांगों के प्रति सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है. उन्होंने कहा कि एक मजदूर अगर दिनभर मजदूरी करता है, तो उसे शाम को उसके हाथ में पैसा मिल जाता है. वहीं, एक पारा शिक्षक पूरे महीने मजदूरों की तरह खटता है, स्कूली बच्चों को अपने बच्चों से भी अधिक स्नेह देता है, फिर भी उसे पांच महीने-छह महीने के बाद भी तनख्वाह मयस्सर नहीं होता.

पारा शिक्षकों ने मांगे मनवाने का लिया संकल्प

इससे पहले, छह प्रमुख मांगों के समर्थन में झारखंड के पारा शिक्षकों ने एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष समिति के बैनर तले शनिवार को बड़ा आंदोलन शुरू किया. राज्य की मानव संसाधन विकास मंत्री नीरा यादव के आवास का घेराव करने पहुंचे हजारों पारा शिक्षकों और शिक्षा मित्रों ने सरकार से अपनी मांगें मनवाने का संकल्प लिया. झारखंड के अलग-अलग जिलों से जुटे पारा शिक्षकों और शिक्षा मित्रों ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी, तो पारा शिक्षक आगामी विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में विधायकों और सांसदों को सबक सिखायेंगे.

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