12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड : प्रकृति पर्व सरहुल आज, जानें सरहुल मंत्र

झारखंड आंदोलन के बौद्धिक विचारक डॉ रामदयाल मुंडा आज हमारे बीच नहीं हैं. सरहुल पर लिखा उनका मंत्र उनकी प्रसिद्ध रचना है. सरहुल के अवसर पर प्रस्तुत है उनका सरहुल मंत्र. पूजा सामग्री : सरहुल फूल की डाली खड़ी, पानी से भरे दो मटके, दोनों कच्चे धागे से जुड़े हुए. धुवन-सिंदूर, आग, लोटे में पानी़ […]

झारखंड आंदोलन के बौद्धिक विचारक डॉ रामदयाल मुंडा आज हमारे बीच नहीं हैं. सरहुल पर लिखा उनका मंत्र उनकी प्रसिद्ध रचना है. सरहुल के अवसर पर प्रस्तुत है उनका सरहुल मंत्र.
पूजा सामग्री : सरहुल फूल की डाली खड़ी, पानी से भरे दो मटके, दोनों कच्चे धागे से जुड़े हुए. धुवन-सिंदूर, आग, लोटे में पानी़
हे स्वर्ग के परमेश्वर
पृथ्वी के धरती माए,
दूध लखे उगे वाला,
दही लखे डूबे वाला
चाइरो कोना दसो दिसा
उत्तर दखिन पूरब पछिम
झिलमिल धरती
निरहल आसमान
चटाई लखे विशाल
डूभा लखे ढांपल
गछ-वृक्ष चरई-चिरगुल
बन पहाड़ नदी मैदान
तोहरे हेके सृष्टि
तोहरे हेके उत्पत्ति
तोहरे इके टिकाई ह
तोहरे इके बचाई ह
आइज इ सरहुल केर दिन
आइज इ नेग केर दिन
हम तोहरे के संतान
हम तोहरे के औलाद
हम तोहरे के बोलाथी
हम तोहरे के गोहराथी
हमार संग तनी बैठ लेवा
हमार संग तनी बतियाय लेवा
सरहुल मंत्र….
एक दोना हड़िया केर रस
एक पतरी लेटवा भात
हमार संग पी लेवा
हमार संग खाए लेवा
पहाड़ के पहाड़ी देवता
दह के दह देवता
नाग-नागिन
हमार खेती के ओगरे वाला
हमार लक्ष्मी के देखे वाला
शिकार में सफल करे वाला
रोग के दूर करे वाला
पेट बाधा, मूड़ बाथा में
हमके बचाए वाला
हमके शांति देवे वाला
गांव के ग्राम देवता
घर कर गृह देवता
हमार बूढ़ा पुरखा मन
हमार पृथ पूर्वज मन
लुटकुम हड़ाम, लुटकुम बुड़िया
सिगराय बिंदराय गंगानारायण
सिदो कानु चांद भैरव
विश्वनाथ साही गणपतराय
बिरसा मुंडा गया सरदार
बुदु भगत शेख भिखारी
सिंगी दाई माकी दाई
गांधी जवाहर बोस विवेकानंद
ठेबले उरांव जुलियस तिग्गा
जयपाल सिंह कार्तिक उरांव
राम कृश्ण सीता सावित्री
एडम स्मिथ मार्क्स लेनिन
आइनस्टाइन टेट हयू
लिंकन केनेडी
माओ हो चि मिंह
वेद व्यास कालीदास
सूर तुलसी मीराबाई
विद्यापति चंडिदास
रबिंद्रनाथ निराला
बुदु बाबू घासीराम
दौले कुजुर रघुनाथ मुर्मू
सभे हमार पुरखामन,
सभी हमार पूर्वजमन
तोहरे केर बनाल डहर में
तोहरे केर देखाल रस्ता में
हम अनुमान करा थी
हम अनुसरन करा थी
हम तोहरे के संतान
हम तोहरे के औलाद
हम तोहरे के बोला थी
हमार संग तनी बैठा लेवा
हमार संग तनी बतियाय लेवा
एक दोना हड़िया के रस
एक पतरी लेटवा भात
हमार संग पी लेवा
आइज हिआ आवल
आइज हिआ पहुंचल
संग में बैठ के
पांति में बैठ के
तोहरे देवतामन से
तोहरे देवीमन से
हम ऐहे अर्जी करत थी
हम ऐहे विनती करत थी
हमार विद्या बुद्धि
हमार मन प्राण
हमार खेती कृषि
पशु लक्ष्मी
दिनों दिन बढ़ते जाए
दिनों दिन विकसित हो
हमार चलेक डहर में
हमार निकलेक रस्ता में
बाघ केर डर न रहो
सांप केर डर न रहो
कोनो खोंच न रहो
कोनो ठेस न रहो
हमार बीच के आपसी बैर
हमार बीच में खीस लोभ
जड़ से खतम हो जाए
मूल से सिराए जाए
देस में भूख गरीबी
अशिक्षा ज्ञान के
अमूल अंत होए जाए
सभे सुख नसीब हो
हम मिलजुल के
हम संगे जुइट केर
एक नावा भविष्य केर
एक नावा जुग केर
निर्माण में हम सफल होइ
बनाय के हम सफल होइ
तोहरे देवतामन से
तोहरी देवीमन से
हमरे ऐहे आशा करीला
हमरे ऐहे उम्मीद करीला
जोहार! जोहार! जोहार!

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें