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रांची : सावधान ! स्वास्थ्य विभाग ने की 43 सैंपल की जांच, ठेले की जलेबी में मिला कैंसर का रंग
स्वास्थ्य विभाग ने की 43 सैंपल की जांच, 33 सैंपल फेल रांची : राजधानी में स्ट्रीट फूड के रूप में चर्चित जलेबी का स्वाद कहीं महंगा न पड़ जाये. स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा निदेशालय द्वारा मोबाइल वैन से जगह-जगह जाकर खाने-पीने के समान की जांच की जा […]
स्वास्थ्य विभाग ने की 43 सैंपल की जांच, 33 सैंपल फेल
रांची : राजधानी में स्ट्रीट फूड के रूप में चर्चित जलेबी का स्वाद कहीं महंगा न पड़ जाये. स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा निदेशालय द्वारा मोबाइल वैन से जगह-जगह जाकर खाने-पीने के समान की जांच की जा रही है. 12 से 16 मार्च तक चलाये गये अभियान में अलबर्ट एक्का चौक, मोरहाबादी, रातू रोड चौक व डोरंडा बाजार में स्ट्रीट फूड के रूप में बिकने वाले खाद्य पदार्थों की जांच की गयी.
कुल 43 सैंपल लिये गये हैं, जिसमें 33 सैंपल फेल हो गये. यानी इनमें मिलावट पायी गयी है. खाद्य विश्लेषक चतुर्भुज मीणा ने बताया कि डोरंडा के एक चाय-नाश्ते के होटल से जलेबी और सेब(भुजिया) के सैंपल की जांच की गयी. दोनों सैंपल में मेटानिल यलो कलर पाया गया. यह एक कोलतार रंग है, जिसके इस्तेमाल से कैंसर तक हो सकता है.
हर जगह मिलावटी पनीर : खाद्य सुरक्षा निदेशालय द्वारा राजधानी में चलाये जा रहे मोबाइल टेस्टिंग लैब में जांच के लिए पनीर के 10 से अधिक सैंपल लिये गये. शहर में स्ट्रीट फूड के रूप में पनीर चिली काफी प्रसिद्ध है.
खाद्य विश्लेषक ने बताया के एक भी पनीर शुद्ध नहीं पाया गया. किसी पनीर में गेहूं का आटा, तो किसी में चावल का आटा मिलाया हुआ पाया गया. किसी-किसी पनीर में स्टार्च पाया गया. हालांकि, खाने में यह हानिकारक तो नहीं है, लेकिन लोग जिस न्यूट्रिशन के उद्देश्य से पनीर इस्तेमाल करते हैं, वह नहीं मिल पाता है.
सॉस में भी रंग और मिस ब्रांड : खाद्य सुरक्षा निदेशालय द्वारा चिली, टोमैटो और सोया सॉस की जांच की गयी. ऐसे करीब आठ सैंपल थे. सबमें रंग मिला हुआ था. कहा गया कि यह रंग परमिटेड कलर है. पर सॉस में रंग मिलाने की इजाजत नहीं है. इसके पूर्व अलबर्ट एक्का चौक से लिये गये सैंपल में चिकन चिली, पनीर, मिर्च पाउडर और दही में मिलावट पायी गयी थी.
अब भी नहीं चेते, तो बड़ा नुकसान हो जायेगा
जब लोग सही बेसन और तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो फिर इसमें रंग क्यों मिलाते हैं. एक अभियान चलाकर स्ट्रीट फूड संचालकों के बीच जागरूकता लाने की जरूरत है कि वे सही वस्तुओं का इस्तेमाल करें.
चतुर्भुज मीणा, खाद्य विश्लेषक
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