चार साल में तीन गुना बढ़ा नगर निकायों का राजस्व

रांची : पिछले चार वर्षों में झारखंड के नगर निकायों का राजस्व तीन गुणा तक बढ़ गया है. फरवरी माह तक राजस्व के रूप में 133.33 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. ऐसे में राजस्व को देखते हुए झारखंड के शहरों में रह रहे नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर नगर विकास व आवास […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2018 8:33 AM
रांची : पिछले चार वर्षों में झारखंड के नगर निकायों का राजस्व तीन गुणा तक बढ़ गया है. फरवरी माह तक राजस्व के रूप में 133.33 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.
ऐसे में राजस्व को देखते हुए झारखंड के शहरों में रह रहे नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर नगर विकास व आवास विभाग ने गंभीरता दिखायी है. सरकार ने तय कर दिया है कि जिस नगर निकाय से जितनी राशि टैक्स कलेक्शन के रूप में आयेगी उसमें से कम से कम 20% राशि जनोपयोगी विकास कार्यों में खर्च की जायेगी. नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह के हस्ताक्षर से जारी संकल्प में कहा गया है कि इससे 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत उपलब्धि आधारित अनुदान प्राप्त करने के लिए जरूरी अर्हता पाने में भी मदद मिलेगी.
श्री सिंह ने बताया कि इस पहल से शहरी स्थानीय निकायों को वित्तीय दृष्टिकोण से सुदृढ़ एवं सफल बनाया जा सकेगा. यह भी कहा कि शहरों में रह रहे नागरिकों को यह महसूस होना चाहिए कि उनसे लिया जाना वाला टैक्स उनकी सुविधाओं के लिए खर्च किया जाता है
सरकार ने पाया है कि हाल के दिनों में नगर निकायों द्वारा लगातार राजस्व संग्रहण बढ़ाया जा रहा है. इसलिए यह जरूरी है कि इस राशि के खर्च का भी एक बेहतर प्रबंधन हो. लिहाजा विभाग ने राजस्व संग्रहण से आनेवाले आय के खर्च के लिए कुछ और भी प्राथमिकताएं तय की हैं. जिसमें नियमित कर्मियों का वेतन भुगतान,संविदा आधारित कर्मियों का मानदेय भुगतान, दैनिक पारिश्रमिक पर कार्यरत कर्मियों का समय से दैनिक भत्ता भुगतान, पेंशन दायित्व का भुगतान शामिल है.
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ऊर्जा पेय जल स्वच्छता से मिलने वाले सेवा के विरुद्ध भुगतान और जल आपूर्ति तथा अन्य नागरिक सुविधाओं के लिए भुगतान किया जायेगा. कुल मिला कर सरकार की योजना है कि जनता से मिलने वाले पैसे का अधिक से अधिक उपयोग उनको दी जानेवाली नागरिक सुविधाओं पर हो और नागरिक सुविधा मुहैया कराने वाली एजेंसियों के सरकार के विभिन्न विभागों का कर्ज नगर निकायों पर ना हो.

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