रांची : बिहारमें90 के दशक के बहुचर्चित चारा घोटाला के चौथे मामले में लालू प्रसाद को शनिवार को सबसे बड़ी और कड़ी सजा सुनायी गयी. रांची में सीबीआइ की विशेष अदालत में लालू प्रसाद को दुमका कोषागार (केस संख्या RC38A/96) से फर्जी बिल बनाकर 3.13 करोड़ रुपये की निकासी करने के मामले में अलग-अलग दो धाराओं में 14 साल के कारावास की सजा के साथ 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने कहा कि चारा घोटाला के सभी आरोपियों से 1990 के बाद घोटाले से अर्जित संपत्तियां जब्त की जायेंगी. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो को चारा घोटाला के चार मामलों में अब तक साढ़े 27 साल की सजा हो चुकी है.
दुमका कोषागार से 96 फर्जी वाउचर के जरिये पशु चारा और पशुओं की दवा के नाम पर 3.13 करोड़ रुपये की निकासी से जुड़े केस में सीबीआइ के विशेषजजशिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद को आइपीसी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत 7-7 साल के कारावास की सजा सुनायी. साथ ही दोनों मामलों में 30-30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. जुर्माना की राशि नहीं देने पर 2 (1-1) साल की अतिरिक्त सजा काटनी होगी. एक सजा खत्म होने के बाद दूसरी सजा भुगतनी होगी. यानी लालू को कम से कम 14 साल सश्रम कैद की सजा काटनी होगी.
#WATCH: Vishnu Sharma, counsel appearing for CBI, says, 'Lalu Prasad Yadav has been sentenced to 7 years each under different sections of !PC & sections of Prevention of corruption Act, both sentences to run consecutively.' #FodderScam #DumkaTreasuryCase pic.twitter.com/HhpQ8WvRWb
— ANI (@ANI) March 24, 2018
अपने 165 पेज के आदेश में विशेष न्यायाधीश नेनिर्देशदिया है कि इस मामले में लालू सहित जिन 19 लोगों को सजा सुनायी गयी है, उनकी एक जनवरी, 1990 के बाद से घोटाले से अर्जित चल-अचल संपत्ति जब्त कर उसे नीलाम किया जाये. ट्रायल के दौरान जिन 14 लोगों की मौत हो गयी, उनकी भी घोटाले से अर्जित संपत्ति जब्त कर उसे नीलाम करने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने कहा है कि नीलामी से मिली राशि सरकारी खजाने में डाली जाये. अदालत ने सीबीआइ को निर्देश दिया कि वहआरोपियोंकी संपत्ति की जांच करने की सूचना प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को दे और संपत्ति जब्त करने में इडी की मदद करे.
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ओपी को भी 14 साल की सजा : अदालत ने पशुपालन विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक ओपी दिवाकर को भी लालू प्रसाद यादव की तरह ही 7-7 साल की सजा और 30-30 लाख जुर्माने की सजा सुनायी है. दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी. जुर्माना नहीं भरने पर इन्हें भी दो साल अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. आइएएस फूलचंद सिंह को भी सात साल सश्रम कैद (दोनों धाराओं में साढ़े तीन-साढ़े तीन साल) और 30 लाख रुपये आर्थिक दंड की सजा सुनायी. आर्थिक दंड नहीं देने पर इन्हें 18 माह की साधारण सजा और भुगतनी होगी.
अदालत ने पशुपालन विभाग के नौ अधिकारियों को भी आइपीसी और पीसी एक्ट के तहत सात-सात वर्ष सश्रम कारावास (दोनों धाराओं में साढ़े तीन-साढ़े तीन साल) और 30-30 लाख रुपये आर्थिक जुर्माने की सजा सुनायी है. आर्थिक दंड नहीं देने पर इन्हें भी 18-18 माह की अतिरिक्त साधारण सजा भुगतनी होगी. अदालत ने 7 सप्लायरों को आइपीसी के तहत साढ़े तीन-साढ़े तीन साल के सश्रम कारावास और 15-15 लाख रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनायी है. आर्थिक दंड नहीं देने पर इन्हें अतिरिक्त नौ माह की साधारण सजा भुगतनी होगी.
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इसी मामले में केके प्रसाद, अजित कुमार वर्मा, गोपीनाथ दास, अरुण कुमार सिंह, विमल कांत दास समेत सभी अभियुक्तों को साढ़े तीन साल जेल की सजा सुनायी गयी है. सभी पर 15-15 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर सजा पूरी होने के बाद 9 महीने और जेल में रहना होगा. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में लालू प्रसाद को छोड़कर बाकी सभी अभियुक्त शामिल हुए. लालू की ओर से सीबीआइ की अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी जायेगी. लालू के बेटे और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि सभी 4 फैसलों को पढ़ने के बाद आगे की कार्रवाई के लिए समग्र रणनीति बनायेंगे.
अविभाजित बिहार के सबसे बड़े घोटाला के चौथे मामले RC 38A/96 में लालू प्रसाद समेत 19 लोगों को 21 मार्च को सीबीआइ की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया था. बिहार के एक और पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्र समेत 12 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया था. लालू प्रसाद समेत दोषी ठहराये गये सभी 19 लोगों की सजा के बिंदुओं पर तीन दिन (21 से 23 मार्च तक) सुनवाई हुई. इसके बाद शनिवार को सजा का एलान किया गया. शुक्रवार को लालू प्रसाद को हाइकोर्ट से भी झटका लगा, जब चाईबासा कोषागार से निकासी के मामले में उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी.
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ज्ञातहो कि दिसंबर, 1995 से जनवरी, 1996 के बीच दुमका कोषागार से 96 फर्जी बिल के आधार पर पशु चारा और दवा के नाम पर 3.13 करोड़ रुपये की निकासी की गयी थी. इसी मामले में सोमवार को रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत में लालू प्रसाद यादव समेत 19 आरोपियों को दोषी करार दियागया था.
दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की निकासी हुई थी
चारा घोटाले का यह मामला दुमका ट्रेजरी से दिसंबर 1995 और जनवरी 1996 की बीच हुई 3.13 करोड़ की निकासी का है. दुमका थाने में फरवरी, 1996 में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. बाद में सीबीआइ ने जांच की. सीबीआइ ने 11 मई, 2005 को 48 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. इसमें नौ राजनीतिज्ञ, पांच आइएएस, एक आइआरएस, ट्रेजरी व पशुपालन विभाग के 21 अधिकारी और 12 सप्लायर शामिल थे. ट्रायल के दौरान इनमें से 14 लोगों की मौत हो गयी. 34 अारोपियों में से एक सप्लायर ने अपना अपराध कबूल कर लिया था. दो अधिकारी सरकारी गवाह बन गये. कुल 31 ने ट्रायल फेस किया. 23 मार्च, 2018 को रांची की सीबीआइ की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह ने डॉ जगन्नाथ मिश्र समेत 12 लोगों को बरी कर दिया गया, जबकि लालू प्रसाद समेत 19 लोगों को दोषी करार दिया गया.
जिनकी मौत हो गयी : भोला राम तूफानी, चंद्र देव प्रसाद वर्मा, राजो सिंह, के अरुमुगम, छट्ठू प्रसाद, राम राज राम,एसबी सिन्हा,बीबी प्रसाद, कालिका प्रसाद सिन्हा, आरके दास,राजेंद्र सिंह, एसएन सिंह,वसीमुद्दीन व महेंद्र प्रसाद
सरकारी गवाह बने : रामेश्वर चौधरी व डॉ सईद
ऐसे समझें लालू की सजा को
लालू प्रसाद काे आइपीसी एक्ट की धारा 420 (आपराधिक साजिश), 409 (सरकारी राशि का गबन), 467 (फर्जीवाड़ा), 468 (फर्जीवाड़ा, चिटिंग), 471 (फर्जीवाड़ा, चिटिंग), 477ए (गलत तरीके से लेखा तैयार करना) और 120बी (साजिश) के तहत सात साल सश्रम कारावास व 30 लाख दंड. दंड नहीं देने पर एक साल की अतिरिक्त सजा
प्रीवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 120बी सह पठित धारा 13(2), 13(1) सी डी के तहत सात साल की सजा और 30 लाख रुपये का जुर्माना. जुर्माना नहीं देने पर एक साल अतिरिक्त सजा
तीनमामलों में पहले ही हो चुकी है सजा
आरसी 20/96
31 सितंबर, 2013
सजा : 05 साल
आरसी 64ए/96
23 दिसंबर, 2017
सजा : 3.6 साल
आरसी 68/96
24 जनवरी, 2018
सजा : 05 साल
क्रम | नाम | सजा | जुर्माना (रु में) | दंड नहीं देने पर |
1. | लालू प्रसाद यादव (पूर्व सीएम) | 14 साल | 60 लाख | 02 साल |
2. | फूल चंद सिंह (पूर्व सचिव) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
3. | ओपी दिवाकर (पूर्व क्षेत्रीय निदेशक) | 14 साल | 60 लाख | 02 साल |
4. | विमल कांत दास (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
5. | केके प्रसाद (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
6. | मनोरंजन प्रसाद (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
7. | नंद किशोर प्रसाद (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
8. | पीतांबर झा (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
9. | रघुनंदन प्रसाद (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
10. | राधा मोहन मंडल (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
11. | एसके दास (पूर्व असिस्टेंट) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
12. | पंकज मोहन भुई (पूर्व वेटनरी ऑफिसर) | 07 साल | 30 लाख | 18 माह |
13. | अरुण कुमार सिंह (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
14. | अजीत वर्मा (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
15. | गोपी नाथ दास (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
16. | एमएस बेदी (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
17. | नरेश प्रसाद (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
18. | राज कुमार शर्मा (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |
19. | आरके बगाड़िया (सप्लायर) | साढ़े तीन साल | 15 लाख | 09 माह |