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बैंक लोन नहीं चुकानेवालों के खिलाफ सरकार सख्त, आरबीआइ ने बैंकों को दिये ये निर्देश

रांची : इरादतन बैंक लोन चुकाने में कोताही या चूक करनेवाले व्यक्तियों या व्यापारिक इकाइयों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई तेज की है़ वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के नये सख्त प्रावधानों की वजह से अब बैंकों से लोन लेकर धोखाधड़ी आसान नहीं होगा़ सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार […]

रांची : इरादतन बैंक लोन चुकाने में कोताही या चूक करनेवाले व्यक्तियों या व्यापारिक इकाइयों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई तेज की है़
वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के नये सख्त प्रावधानों की वजह से अब बैंकों से लोन लेकर धोखाधड़ी आसान नहीं होगा़ सरकारी क्षेत्र के बैंकों द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़ों के अनुसार दिनांक 31 जनवरी तक इरादतन चूककर्ताओं के विरुद्ध 2,170 एफआइआर दर्ज किये गये हैं.
राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार द्वारा पूछे गये एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने ये जानकारी दी़ सांसद श्री पोद्दार ने राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न के माध्यम से पूछा था कि क्या पुराने खराब लोन को दुबारा नया लोन देकर इसे शोध्य ऋण बनाये रखने की प्रवृत्ति को रोकने हेतु कोई नीति बनायी गयी है़ सांसद ने यह भी जानना चाहा था कि क्या सरकार ने ऋण लेकर न चुकाने वाले औद्योगिक/व्यापारिक प्रतष्ठिानों/घरानों के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई की है़
आरबीआइ ने बैंकों को दिया है निर्देश
सांसद श्री पोद्दार के सवालों का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्‍ल ने बताया कि आरबीआइ ने बैंकों को निर्देश दिया है कि दबाव ग्रस्त खातों को अतिरक्ति वित्त प्रदान करते समय कठोरता से यह सुनश्चिति किया जाये कि ऐसे वित्त का उपयोग विद्यमान ऋणों को चुकाने अथवा खाते को सतत (एवरग्रीन) बनाने के लिए न किया जाये़
मंत्री श्री शुक्ल ने बताया कि आरबीआइ के अनुदेशों के अनुसार भुगतान की क्षमता होते हुए भी भुगतान में चूक करनेवाले लोन लेनेवाले को बैंक इरादतन चूककर्ता घोषित करता है़ इरादतन चूककर्ताओं को बैंकों अथवा वित्तीय संस्‍थाओं द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधा स्‍वीकृत नहीं की जाती है़ उनकी इकाई को पांच वर्ष तक नया उपक्रम आरंभ करने से वंचित किया जाता है और जब कभी आवश्‍यक हो, उधारदाता बैंक उनके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई आरंभ कर सकते हैं.
इरादतन चूककर्ता मोटर्स/डायरेक्टर्स वाली कंपनियों को निधियां एकत्र करने के लिए पूंजी बाजारों में प्रवेश करने से वंचित करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड विनियम में संशोधन किया गया है़ इरादतन चूककर्ताओं को दिवालियापन समाधान प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित करने के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता में भी संशोधन किया गया है़

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